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ईरान परमाणु समझौते पर यूक्रेन में रूसी हमले का साया

२ मार्च २०२२

विएना में अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि ईरान परमाणु समझौते को बहाल करने के मकसद से जुटे हैं लेकिन यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से माहौल बदल सकता है. इस्राएल ने अपने धुर शत्रु के साथ हो रहे समझौते की रूपरेखा पर "गंभीर चिंता" जताई है.

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Israel | Bundeskanzler Olaf Scholz in der Gedenkstätte Yad Vashem
2 मार्च 2022 को इस्राएल के याद वाशेम स्मारक में इस्राएली पीएम के साथ जर्मन चांसलर शॉल्त्स तस्वीर: Michael Kappeler/dpa/picture alliance

जर्मनी के चांसलर के रूप में ओलाफ शॉल्त्स पहली बार इस्राएल की यात्रा पर आए हैं. इस्राएली प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट के साथ येरूशलम के याद वाशेम होलोकॉस्ट मेमोरियल का उन्होंने पूरे रस्मो रिवाज के साथ दौरा किया और गेस्ट बुक में खास संदेश छोड़ा.

शॉल्त्स ने लिखा कि "जर्मनी की शह पर ही यहूदियों की सामूहिक हत्या हुई थी. उसकी योजना और उस पर अमल भी जर्मनों ने किया था. इसलिए हर जर्मन सरकार की हमेशा हमेशा के लिए यह जिम्मेदारी बनती है कि वह इस्राएल और यहूदी लोगों के जीवन की रक्षा करे." इस्राएली प्रधानमंत्री ने शॉल्त्स का स्वागत करते हुए कहा, "शोआ, यानि यहूदियों की पूर्वनियोजित तबाही एक ऐसा जख्म है जो जर्मनी और इस्राएल के संबंधों का आधार बना. उस जख्म के ऊपर हमने बहुत मजबूत और अहम संबंध खड़े किए हैं."

Israel | Bundeskanzler Olaf Scholz in der Gedenkstätte Yad Vashem
याद वाशेम होलोकॉस्ट मेमोरियल में श्रद्धांजलि देते जर्मन चांसलरतस्वीर: Michael Kappeler/dpa/picture alliance

दोनों देशों के प्रमुख अपने अपने देशों में सरकार के मुखिया के तौर पर अपेक्षाकृत नए हैं. जहां जर्मनी में अंगेला मैर्केल के 16 सालों के शासन के बाद शॉल्त्स चांसलर बने, वहीं इस्राएल में भी राजनीतिक परिदृश्य में सबसे प्रमुख चेहरा रहे बेन्यामिन नेतन्याहू के बाद नफ्ताली ने सरकार की कमान संभाली. मौजूदा वक्त के सबसे बड़े संकट यानी यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर दोनों नेताओं की स्थिति काफी अलग है.

यूक्रेन पर रूसी हमले के साये में दौरा

शॉल्त्स की अगुआई वाली गठबंधन सरकार ने हिंसाग्रस्त क्षेत्र में हथियार ना भेजने के अपने रुख में बदलाव करते हुए यूक्रेन को हथियार भेजने का फैसला किया. साथ ही रूस और जर्मनी के बीच शुरु होने को तैयार गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट नॉर्थ स्ट्रीम- 2 को भी रोक दिया. इसके अलावा, जर्मनी ने जर्मन सेना को आधुनिक बनाने के लिए इस साल 100 अरब यूरो देने और जर्मनी के कुल जीडीपी के दो फीसदी से भी ज्यादा रक्षा पर खर्च करने का फैसला लिया है.

वहीं इस्राएल यूक्रेन संकट पर रुढ़िवादी रवैया अपनाते हुए कीव और मॉस्को दोनों के साथ अपने अच्छे संबंधों को खराब ना करने की कोशिश कर रहा है. इस्राएली मीडिया में आई खबरों के अनुसार, बेनेट ने यूक्रेन के हथियार भेजने की अपील को नहीं माना लेकिन इसी हफ्ते वह करीब 100 टन की गैरसैन्य सहायता भेजने की तैयारी में हैं, जिनमें कंबल, पानी साफ करने वाले किट और मेडिकल सप्लाई शामिल होंगे. यूक्रेनी यहूदियों के लिए इस्राएल ने एक हॉटलाइन भी शुरु की है जो उन्हें युद्ध क्षेत्र से निकालने में मदद कर रही है.

ईरान के खिलाफ रूस पर निर्भरता का सवाल

इस्राएली नेताओं के हाल में आए बयानों से साफ होता है कि वे रूस के साथ चले आ रहे सुरक्षा के अपने नाजुक संतुलन को खतरे में नहीं डालना चाहते. मिसाल के तौर पर, सीरिया में रूसी सैनिकों की काफी बड़ी मौजूदगी है जहां इस्राएल अकसर उन ठिकानों पर हमले करता है जिन्हें वह ईरान-समर्थित मानता है.

Österreich | Atomgespräche mit Iran in Wien
ऑस्ट्रिया के विएना में स्थित कोबुर्ग पैलेस में ईरान परमाणु समझौते को बहाल करने से जुड़ी बैठक हुई. तस्वीर: Michael Gruber/AP Photo/picture alliance

शॉल्त्स की यात्रा के दौरान ही ईरान के साथ एक नई परमाणु संधि तैयार करने के लिए विएना में बैठक चल रही है. ईरान से प्रतिबंधों को हटाने के बदले इस संधि में उस पर परमाणु कार्यक्रमों को रोकने पर सहमति बनाने का लक्ष्य है. मूल संधि 2015 में हुई थी जिससे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपना हाथ खींच लिया था. इस कदम को इस्राएल की ओर से पूरा समर्थन था. ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और रूस इस समय विएना में मिल कर चर्चा कर रहे हैं कि कैसे ईरान संधि को बचाया जाए, जिसमें अमेरिका केवल परोक्ष रूप से हिस्सा ले रहा है.

इस्राएली प्रधानमंत्री बैनेट ने संधि की रूपरेखा पर "गंभीर चिंता" जताते हुए कहा है कि वह उसके प्रबल शत्रु ईरान को रोकने के लिए काफी नहीं होगा. इस्राएल को डर है कि ईरान परमाणु बम बना लेगा जबकि ईरान बम बनाने के इरादे से ही इनकार करता आया है. पहले दौर की वार्ता नवंबर में हुई थी, जिसके इस बार ठोस रूप लेने की उम्मीदें जताई जा रही हैं. ईरान के साथ परमाणु संधि का सवाल इस पर आ कर अटक रहा है कि यूक्रेन में हिंसा का उस पर कितना असर पड़ता है. ईरान के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ फयाज जाहिद कहते हैं, "जाहिर है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस संकट में ईरान को रूस के सहयोगी के तौर पर देखता है."

आरपी/एनआर (एएफपी)