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फिर किंगमेकर बन सकती है एफडीपी

८ सितम्बर २०१७

पिछले आम चुनावों में जर्मनी की एफडीपी पार्टी संसद में पहुंचने में नाकाम रही. इसलिए लोगों ने उसे खत्म मान लिया था. लेकिन कारोबारियों की पार्टी कही जाने वाली एफडीपी इस बार फिर से किंगमेकर बन सकती है.

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FDP Symbolbild - Die Liberalen
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Weigel

गुरुवार को जारी एक सर्वे में पता चला है कि 24 सितंबर को होने वाले जर्मनी के आम चुनावों में फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी (एफडीपी) को सीडीयू और एसपीडी के बाद तीसरा स्थान मिल सकता है. सर्वे संस्था आलेन्सबाख के सर्वे में हिस्सा लेने वाले 10 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे एफडीपी को वोट देंगे. अगर एफडीपी तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनती है तो संभावना है कि वह चुनाव के बाद बनने वाले सत्ताधारी गठबंधन में शामिल हो.

आलेन्सबाख के सर्वे के मुताबिक चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू और बवेरिया में उसकी सहयोगी सीएसयू पार्टी को 38.5 प्रतिशत मत मिल सकते हैं जबकि एसपीडी को 24 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिल सकता है. इस समय सीडीयू और एसपीडी मिल कर सरकार चला रही हैं. मैर्केल बतौर चांसलर चौथे कार्यकाल के लिए चुनावी मैदान में उतरी हैं जबकि उनके मुकाबले एसपीडी ने मार्टिन शुल्त्स को चांसलर पद का उम्मीदवार बनाया है.

आलेन्सबाख के सर्वे के अनुसार वामपंथी पार्टी डी लिंके को 7.5 प्रतिशत जबकि पर्यावरण की सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को उठाने वाली ग्रीन पार्टी को 8 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिल सकता है.

सर्वे के नतीजों से इस बात की संभावना बढ़ गयी है कि एफडीपी मैर्केल के नेतृत्व में बनने वाली सीडीयू-सीएसयू की सरकार में शामिल हो सकती है. वह अकेले या फिर ग्रीन पार्टी के साथ सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा बन सकती है.

ऐतिहासिक रूप से, एफडीपी सीडीयू के साथ जूनियर पार्टी की हैसियत से सालों तक सरकार में रही है. लेकिन 1970 के दशक में वह एसपीडी के विली ब्रांट के जमाने में भी सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा रही. अभी जर्मन राज्य राइनलैंड पैलेटिनेट में भी वह एसपीडी के साथ मिल कर सरकार चला रही है.

जर्मनी में 2013 में हुए पिछले आम चुनावों में एफडीपी बहुत कम अंतर से पांच प्रतिशत मतों का आंकड़ा हासिल करने से चूक गयी थी जो संसद में जाने के लिए जरूरी है. लेकिन यह भी सही है कि वह दूसरे विश्व युद्ध के बाद जर्मनी में बनने वाली 25 में 17 सरकारों में किंगमेकर की भूमिका में रही है. ताजा सर्वे के आंकड़े इशारा करते हैं कि सत्ता की चाबी फिर से एक बार उसके हाथ में आ सकती है.

एफडीपी को कारोबारी तबके की पार्टी समझा जाता है. इसलिए उसके वोटरों में सेल्फ-इम्प्लॉयड लोग सबसे ज्यादा शामिल हैं जिनमें खासकर बिजनेसमैन, डेंटिस्ट, वकील और कुछ कामगार भी शामिल हैं. पार्टी का जोर हमेशा सरकारी नियंत्रण में कमी और टैक्स में कटौतियों पर रहा है, लेकिन वह वित्तीय बाजार को निरंकुश छोड़ने के भी खिलाफ है. यह पार्टी यूरोपीय संघ की मजबूत समर्थक है और उसका सबसे ताजा घोषणापत्र भी यूरोपीय संघ के भीतर और अधिक नजदीकी संबंधों की वकालत करता है.

एके/एमजे (डीपीए)