1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जर्मनी में 16 की उम्र में मताधिकार पर चर्चा

२५ मई २०२०

भारत की ही तरह जर्मनी में भी वोटिंग का अधिकार 18 साल की उम्र से ही मिलता है. कोरोना संकट के बीच जर्मनी के एक नेता ने इसे कम करने का सुझाव दिया है.

https://p.dw.com/p/3ciht
Deutschland Wahlen Symbolbild Wahlurne Stimmzettel und Flagge
तस्वीर: picture-alliance/dpa

कोरोना महामारी के कारण दुनिया भर में लोग लॉकडाउन से प्रभावित हुए हैं. करोड़ों बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. जहां मुमकिन हो वहां ऑनलाइन क्लास चल रही हैं लेकिन बच्चों के घर से बाहर निकलने और अपने दोस्तों से मिलने पर पहरा लगा हुआ है. इन सब के बीच जर्मनी की ग्रीन पार्टी के नेता रोबेर्ट हाबेक ने कहा है कि इस मुश्किल दौर में बच्चों ने जितनी समझदारी दिखाई है, उसे सराहा जाना चाहिए और 16 की उम्र में ही उन्हें मताधिकार मिलना चाहिए.

स्थानीय अखबार नॉये ओस्नाब्रुकर साइटुंग से बात करते हुए हाबेक ने कहा कि इन बच्चों ने दिखा दिया है कि वे किस तरह जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार हैं. हाबेक ने कहा, "हमें इस राजनीतिक परिपक्वता को पहचानना होगा. मुझे लगता है कि मतदान की उम्र को घटा कर 16 कर देना चाहिए और वह भी अगले चुनाव में ही."

जर्मनी में अगले आम चुनाव सितंबर 2021 में होने हैं. यहां हर चार साल में चुनाव होते हैं. 2005 से जर्मनी की चांसलर रहीं अंगेला मैर्केल कह चुकी हैं कि वे अगले चुनावों में हिस्सा नहीं लेंगी. राजनीतिक रूप से यह जर्मनी में एक बड़ा बदलाव होगा और ग्रीन पार्टी के नेता रोबेर्ट हाबेक चाहते हैं कि इसमें 16 से 18 उम्र के युवाओं को भी हिस्सा लेने का मौका मिल सके.

हाबेक ने कहा कि महामारी की शुरुआत से ही बच्चों और युवाओं को नजरअंदाज किया जा रहा है. सरकार की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, "शुरू से ही नारा रहा है - बच्चे और युवा अंत में." पर्यावरण के लिए बच्चों द्वारा चलाए गए "फ्राइडे फॉर फ्यूचर" अभियान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "पिछले साल बच्चे हर शुक्रवार स्कूल जाने की जगह पर्यावरण के बचाव और अपने भविष्य के लिए प्रदर्शन करते रहे. अब पिछले दस हफ्तों से स्कूल बंद पड़े हैं और वयस्क, बच्चों को कोई सही दिशा नहीं दिखा पा रहे हैं."

बच्चों को स्कूल से दूर रखने पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा, "बच्चों को कई कई हफ्तों तक घर में बैठना पड़ रहा है. कुछ हद तक तो उनके खिलाफ कदम उठाए जा रहे हैं. ऐसे में हमारी जिम्मेदारी बनती कि लोकतंत्र में उनकी भागीदारी को मजबूत किया जाए." जर्मनी में स्कूलों को कब और कैसे खोलना है यह फैसला राज्यों पर छोड़ा गया है. अधिकतर राज्यों में स्कूल लीविंग परीक्षा में हिस्सा लेने वाले बच्चों के लिए स्कूल खोल दिए गए हैं. पहली से चौथी कक्षा के बच्चे अब भी घर पर हैं और अधिकतर किंडरगार्टन और डे केयर भी नहीं खुले हैं. हालांकि देश भर में अब दुकानें और रेस्तरां इत्यादि खुलने लगे हैं. ऐसे में जिन वयस्कों के लिए काम पर जाना अनिवार्य है, उन्हें बच्चों को स्कूल भेजने का अधिकार है. हालांकि इस पर भी विरोध हो रहा है और इसे बाकी बच्चों के प्रति भेदभाव बताया जा रहा है. 

देश में लॉकडाउन जैसी स्थिति भले ही ना हो लेकिन लोगों के बड़ी संख्या में एक दूसरे से मिलने पर अब भी रोक है. हाल ही में चांसलर मैर्केल ने घोषणा की थी कि दो परिवार एक दूसरे के घर जा कर बंद दरवाजों में मिल सकते हैं. लेकिन इससे ज्यादा की अनुमति अब भी नहीं हैं. इससे पहले तक बच्चों को बुजुर्गों से भी दूर रहने को कहा गया था. 65 साल से अधिक उम्र के लोगों पर कोरोना संक्रमण के अधिक खतरे को देखते हुए लोगों से अपील की गई थी कि बच्चों को दादा दादी से दूर रखा जाए. ऐसे में हाबेक ने बच्चों की तारीफ करते हुए कहा कि इस मुश्किल वक्त में बच्चों ने खूब समझदारी दिखाई है और बुजुर्गों के प्रति भी जिम्मेदारी का भाव दिखाया है.

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी