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समाज

इस तरह से खुलने वाले हैं जर्मनी के स्कूल

ईशा भाटिया सानन
२९ अप्रैल २०२०

करीब छह हफ्ते घर में बिताने के बाद जर्मनी में अब धीरे धीरे बच्चे स्कूल जाना शुरू करेंगे. स्कूल में संक्रमण ना हो, इसे सुनिश्चित करने के लिए राज्यों ने मिल कर एक योजना तैयार की है.

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Deutschland Gütersloh | Coronavirus | Vorbereitung auf Schulbeginn
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Strauch

भारत की ही तरह जर्मनी में भी स्कूल बंद हैं. हालांकि बारहवीं कक्षा के छात्रों को पिछले एक हफ्ते से स्कूल जा कर परीक्षा की तैयारी करने की अनुमति दी गई है. इस बीच देश के सभी 16 राज्यों के मंत्री यह विचार करने में लगे रहे हैं कि कोरोना के खतरे के बीच बच्चों की स्कूल में वापसी कैसे हो. सभी राज्यों ने मिल कर एक योजना तैयार की है जिसे अब वे जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के सामने पेश करेंगे. समाचार एजेंसी डीपीए को प्राप्त इस ड्राफ्ट के अनुसार जून के अंत में शुरू होने वाली गर्मियों की छुट्टियों से पहले सभी बच्चों को स्कूल भेजने की योजना बनाई गई है. लेकिन स्कूल का रूप अब बदला हुआ होगा. क्लासरूम पहले जैसे नहीं दिखेंगे.

शिक्षा मंत्री आन्या कार्लीचेक ने एक स्थानीय अखबार को बयान दिया, "हम नए प्रकार के स्कूलों का अनुभव करने जा रहे हैं.. अगले कई महीनों तक स्कूलों में सभी बच्चों वाली सामान्य क्लास नहीं हो सकेगी." उन्होंने कहा कि बच्चों के साथ साथ माता पिता, अध्यापकों और नेताओं को भी जिम्मेदारी लेनी होगी क्योंकि सभी को इस अनोखी स्थिति के साथ "बहुत लंबे वक्त तक ना है."

इस योजना के अनुसार बच्चों को अलग अलग ग्रुप में बांटा जाएगा ताकि सभी को एक साथ क्लास में मौजूद ना रहना पड़े. क्लास के अंदर भी बच्चों को एक दूसरे से दूरी बना कर रहना होगा. पूरे स्कूल का लंच ब्रेक भी एक साथ नहीं हुआ करेगा. परीक्षाओं को रद्द नहीं किया जाएगा, बल्कि उन्हें बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आयोजित किया जाएगा. हर स्कूल को एक "हाइजीन प्लान" बनाना होगा जिसमें बच्चों को हाथ धोने, डेढ़ मीटर की दूरी बनाने और खांसने और छींकने के सही तरीकों के बारे में बताया जाएगा. स्कूलों को टॉयलेट और भीड़ वाली अन्य जगहों में सफाई का खास ध्यान रखना होगा. लेकिन जिन बच्चों या अध्यापकों को पहले से स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ दिक्कतें हों, उन्हें स्कूल आने पर मजबूर नहीं किया जाएगा. साथ ही बच्चों को सार्वजनिक परिवहन से बचने और पैदल या फिर साइकिल चला कर स्कूल आने के लिए कहा जाएगा.

बच्चों के डॉक्टर भी उन्हें जल्द से जल्द स्कूल भेजने की पैरवी कर रहे हैं. बच्चों के डॉक्टरों के संगठन बीवीकेजे के डॉक्टर याकोब मास्के का कहना है कि बच्चों के लिए स्कूल से दूर रहना "बेहद बुरा" है. जर्मन टीवी चैनल आरटीएल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "सिर्फ दोस्तों के साथ ही नहीं, अध्यापकों के साथ संपर्क भी अहम है. ये बहुत करीबी रिश्ते होते हैं जो वहां बनते हैं." डॉक्टर मास्के के अनुसार अगर साफ सफाई का ठीक तरह से ध्यान रखा जाए तो स्कूल जाने में कोई खतरा नहीं है. यहां तक कि अस्थमा जैसी सांस की दिक्कत होने पर भी वे स्कूल जाने की हिदायत दे रहे हैं, "अगर अस्थमा काबू में है और बच्चा डॉक्टर की दी दवा नियमित रूप से ले रहा है, तो उस पर कोई खतरा नहीं है और हम कहेंगे कि उसे स्कूल जाना चाहिए."

जर्मनी में बच्चों का स्कूल जाना अनिवार्य है. ऐसे में बच्चे को स्कूल भेजना है या नहीं, यह फैसला माता पिता नहीं कर सकते. ना ही वे अपनी मर्जी से बच्चे की स्कूल से छुट्टी करा सकते हैं. स्कूल से एक-दो दिन की छुट्टी भी सिर्फ उसी हाल में मुमकिन होती है, अगर डॉक्टर लिख कर दे कि बच्चा स्कूल जाने की हालत में नहीं है. इसीलिए स्कूलों को ले कर नए नियमों का माता पिता बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. जहां एक तरफ कामकाजी माता पिता के लिए यह राहत की खबर है, वहीं कई लोग बच्चों के स्वास्थ्य को ले कर चिंतित भी हैं. एक हालिया शोध में आंकड़े लगभग आधे आधे बंटे हुए दिखे.

नई योजना के अनुसार स्कूलों को भविष्य में भी डिजिटल सुविधाओं का सहारा लेना होगा और उन्हें रोजमर्रा का हिस्सा बनाना होगा. बच्चों में दूरी बनाए रखने के लिए यह जरूरी होगा. लेकिन स्कूलों में मास्क को अनिवार्य बनाने की कोई योजना नहीं है. जहां सार्वजनिक परिवहन, दुकानों और दफ्तरों में अब मास्क लगाना अनिवार्य हो रहा है, वहीं स्कूलों में बच्चे बिना मास्क के ही जा सकेंगे. टीचरों को भी मास्क के बिना पढ़ाने की इजाजत होगी.

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