जर्मनी रोकेगा नाबालिगों की शादी
१२ अक्टूबर २०१६हाल में किए गए एक सर्वे के अनुसार जर्मनी में इस समय करीब 1500 शादीशुदा बच्चे और किशोर रह रहे हैं. नए कानून के आने से मौलवियों के लिए जर्मनी में नाबालिग लोगों की शादी करवाना संभव नहीं रह जाएगा. चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू पार्टी के उप संसदीय नेता श्टेफान हारबार्थ कहते हैं, "हम चाहते हैं कि 18 साल से नीचे कोई धार्मिक शादी न हो." यह रोक सभी धर्म के लोगों पर लागू होगी. लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर मुसलमानों पर होगा.
इवांजेलिक और कैथोलिक चर्च का कहना है कि उनके यहां 18 वर्ष से नीचे कोई शादी नहीं हो रही है. चर्च कानून के विशेषज्ञ गियॉर्ग बीयर का कहना है कि हालांकि कैथोलिक चर्च में शादी की न्यूनतम उम्र लड़कियों के लिए 14 और लड़कों के लिए 16 साल है, लेकिन जर्मनी में नाबालिगों की शादी का कोई मामला सामने नहीं आया है. उनका कहना है कि चर्च का रवैया यह है कि सिर्फ ऐसे लोगों को शादी करनी चाहिए जिसने अच्छी तरह तैयारी की हो और तद्नुरूप परिपक्व भी हो.
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जर्मन सरकार सिविल शादी की न्यूनतम आयु भी बढ़ाकर 18 कर देगी. जर्मनी में इस समय शादी सिर्फ बालिग होने पर संभव है लेकिन अपवाद वाले मामलों में 16 साल के बाद शादी संभव है. जर्मनी आने वाले बहुत से शरणार्थी अपने देशों से शादी कर आ रहे हैं. इसलिए नए कानून के अनुसार विदेशों में की गई शादियां तभी वैध होंगी जब शादी के वक्त लड़के और लड़की की उम्र 18 साल की हो.
नाबालिगों की शादी की प्रथा बहुत से विकासशील देशों में आम है लेकिन शरणार्थियों के कारण यह पश्चिमी देशों की भी समस्या बनती जा रही है. बाल अधिकार संगठन सेव द चिल्ड्रन के अनुसार अगर बाल विवाह पर रोक नहीं लगाई गई तो 2050 तक ऐसी लड़कियों की संख्या 1.2 अरब हो जाएगी जिनकी शादी बालिग होने से पहले कर दी गई थी. इस समय ऐसी लड़कियों और महिलाओं की तादाद 70 करोड़ है. रिपोर्ट का कहना है कि अफगानिस्तान, यमन, भारत और सोमालिया जैसे देशों में कुछ लड़कियों की शादी दस साल की उम्र में ही कर दी जाती है.
तस्वीरों में: शादी के कानून जो होश उड़ा देंगे
बाल अधिकार संस्था सेव द चिल्ड्रन का कहना है कि बचपन में शादी का लड़कियों के स्वास्थ्य और विकास पर बुरा असर पड़ता है. वे पढ़ाई पूरी नहीं कर पातीं और इसके अलावा यौन रोग से संक्रमित होने, दुर्व्यवहार और गर्भधारण का खतरा भी रहता है. संगठन की प्रमुख सुजाना क्रूगर का कहना है, "बाल विवाह भेदभाव के चक्रव्यूह की शुरुआत होती है जो लड़कियों से शिक्षा का अधिकार, विकास और बचपना छीन लेती है."
एमजे/वीके (डीपीए)