राजनीति से प्रेरित अपराधों का गढ़ बनता जर्मनी
११ मई २०२२जर्मनी के आंतरिक मामलों के मंत्रालय और संघीय अपराध कार्यालय बीकेए ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 2021 में बीते साल के मुकाबले राजनीति से प्रेरित अपराध करीब एक चौथाई और बढ़े हैं. 2021 में 55 हजार से अधिक आपराधिक मामलों की कोई ना कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि थी. इनमें से करीब 22 हजार मामलों के तार दक्षिणपंथियों से जुड़े थे, जो कि एक साल पहले की अवधि के मुकाबले सात फीसदी कम हुआ. लगभग 10 हजार मामले वामपंथी विचारधारा वाले लोगों के पाए गए. इसमें भी एक साल पहले की तुलना में आठ फीसदी कमी आई है.
जिस तरह के अपराधों में डेढ़ सौ फीसदी की बढ़ोत्तरी आई है, वे किसी भी एक विचारधारा से जुड़े नहीं हैं. ऐसे 21 हजार से भी ज्यादा मामले हैं, जिनमें से ज्यादातर का संबंध उन लोगों से रहा जो कि सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों में शामिल हुए. कोविड 19 के संक्रमण पर काबू पाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने जो नियम और पाबंदियां लगाईं, उनसे बहुत से लोग नाखुश थे.
देश के आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फेजर ने अति-दक्षिणपंथी अपराधों को "लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा अतिवादी खतरा" बताया. रिपोर्ट जारी करने के बाद उन्होंने कहा कि जर्मनी में हिंसक अपराधों के 41 फीसदी पीड़ित किसी ना किसी दक्षिणपंथी अतिवादी के शिकार बने. उन्होंने कहा कि जर्मनी इस समस्या का सामना "सब सुविधाओं से लैस सुरक्षा सेवाओं, अभियोजन पक्ष के अथक प्रयासों और सक्रिय नागरिकों" से करेगा.
ऐसे अपराधों में भी 50 फीसदी की बढ़त दर्ज हुई जिसमें किसी व्यक्ति को उसकी सेक्शुअल ओरिएंटेशन या पहचान के चलते निशाना बनाया गया हो. एंटी-सेमिटिक यानि यहूदी विरोधी भावना से प्रेरित अपराध भी करीब 29 फीसदी बढ़े और दक्षिणपंथी सोच वाले लोग इसमें आरोपी बनाए गए हैं.
इस तरह के अपराधों के बढ़ने को "देश के लिए शर्मनाक बताते हुए मंत्री फेजर ने होलोकॉस्ट की ऐतिहासिक भूल को हल्के में लेने पर दुख जताया. कोविड पाबंदियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे कुछ लोगों ने इन दोनों की तुलना कर डाली थी.
मिसाल के तौर पर एक गैस स्टेशन पर 20 साल के आलेक्सांडर की हत्या का मामला, जिसमें हमलावर ने मास्क पहनने से मना कर दिया था और इसी पर गुस्सा होकर वहां काम करने वालों ने युवा पर हमला कर दिया. पिछले साल बीकेए को कोविड के टीके का विरोध करने वालों और कोरोनावायरस को ना मानने वालों को "रेलेवेंट रिस्क" की श्रेणी में रखना पड़ा था.
आरपी/एनआर (एएफपी, रॉयटर्स)