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जर्मनी में नए गठबंधन ने किए कई वादे

बेन नाइट
२५ नवम्बर २०२१

एसपीडी, ग्रीन पार्टी और एफडीपी ने नए गठबंधन कॉन्ट्रैक्ट की घोषणा कर दी है जिसमें कई वादे किए गए हैं. लेकिन कई जलवायु ऐक्टिविस्टों ने चिंता जताई है और कहा है कि इस समझौते से उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हुई हैं.

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Deutschland | Vorstellung des Koalitionsvertrags
तस्वीर: Kay Nietfeld/dpa/picture alliance

तीनों पार्टियों ने अपने साझा कार्यक्रम का नाम "रिस्क मोर प्रोग्रेस" यानी "प्रगति के लिए और जोखिम उठाओ" रखा है और खुद को "स्वतंत्रता, न्याय और सस्टेनेबिलिटी के लिए बने गठबंधन" के रूप में प्रस्तुत किया है.

ऐसा लग रहा है कि मुख्य समझौता गठबंधन के दो जूनियर साझेदारों यानी ग्रीन पार्टी और एफडीपी के बीच है. पर्यावरण को अपने एजेंडे पर रखने वाली ग्रीन पार्टी ने जर्मनी के कोयला उद्योग को "आदर्श रूप से" 2030 तक खत्म करने का लक्ष्य रखना हासिल कर लिया.

ग्रीन और एफडीपी को मिले फायदे

बदले में एफडीपी को सरकार का दूसरे सबसे शक्तिशाली पद मिल गया. पार्टी के नेता क्रिस्चन लिंडनर देश के अगले वित्त मंत्री होंगे. ग्रीन पार्टी के सह-नेता रोबर्ट हाबेक अर्थव्यवस्था और ऊर्जा मंत्रालय संभालेंगे, जिसमें अब जलवायु को भी शामिल किया जाएगा.

Koalitionsgespräche zwischen SPD, Grünen und FDP in Berlin
एसपीडी के ओलाफ शॉल्त्स होंगे चांसलर, पार्टी को मिले छह और मंत्रालय तस्वीर: Michael Kappeler/dpa/picture alliance

ग्रीन पार्टी की कुछ और मांगें भी समझौते में दिख रही हैं. नई सरकार ने यह सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा है कि 2030 तक देश की ऊर्जा सप्लाई का 80 प्रतिशत हिस्सा अक्षय ऊर्जा स्रोतों से आए और तब तक जर्मनी की सड़कों पर 1.5 करोड़ पूरी तरह से बिजली से चलने वाली गाड़ियां आ जाएं.

हाबेक ने वादा दिया कि यह समझौता जर्मनी को ग्लोबल वॉर्मिंग को सीमित करने के लिए "1.5 डिग्री की राह पर डाल देगा". लेकिन पर्यावरण समूह खुश नहीं दिखे और उन्होंने निकट भविष्य में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने के ठोस कदमों के गायब होने की आलोचना की.

नहीं बढ़ेगा टैक्स

जर्मनी के राज्यमार्ग ऑटोबान पर गति सीमा का कोई जिक्र नहीं था (एफडीपी के लिए जीत का विषय) और गैस या डीजल से चलने वाली गाड़ियों को धीरे धीरे खत्म करने की भी कोई ठोस तारिख नहीं थी.

Deutschland | Beginn der Koalitionsverhandlungen
एफडीपी के नेता क्रिस्चन लिंडनर देश के अगले वित्त मंत्री होंगेतस्वीर: Britta Pedersen/dpa/picture alliance

एफडीपी को कई मोर्चों पर जीत मिली है. 2023 में जर्मनी फिर से "ऋण ब्रेक" लगाएगा यानी और ज्यादा ऋण लेने पर रोक लगाने वाली प्रक्रिया को लागू करेगा. इसे कोविड-19 के असर से निपटने के लिए हटा लिया गया था.

इसके अलावा नए समझौते में किसी तरह के टैक्स को बढ़ाने का भी कोई जिक्र नहीं है. हालांकि आगे जाकर भी टैक्स नहीं बढ़ेगा इसका वादा भी नहीं है. कुछ हफ्तों पहले जब तीनों पार्टियां पहली बार साथ आई थीं तब इस वादे पर विचार किया गया था.

रूढ़ीवादी नीतियों से दूर

इस बात के भी कई सबूत दिखाई दे रहे थे कि देश पर पिछले 16 सालों से शासन करने वाली चांसलर अंगेला मैर्केल की पार्टी सीडीयू के रूढ़िवादी प्रभाव को बाहर निकाल दिया गया है. समझौते में ऐसे कई प्रगतिवादी कदम हैं जिनके बारे में सीडीयू की सरकार में सोचा भी नहीं जा सकता है.

Robert Habeck | Bundesvorsitzender von Bündnis 90/Die Grünen
ग्रीन पार्टी के सह-नेता रोबर्ट हाबेक अर्थव्यवस्था और ऊर्जा मंत्रालय संभालेंगेतस्वीर: Michael Kappeler/dpa/picture alliance

लाइसेंस प्राप्त दुकानों से शौकिया इस्तेमाल के लिए कैनेबिस या भांग की बिक्री को कानूनी मान्यता दी जाएगी, मतदान को 16 साल की उम्र से ही कानूनी मान्यता दे दी जाएगी और गर्भपात करने वालों की देखभाल को लेकर जानकारी को सार्वजनिक करने पर या विज्ञापन देने पर प्रतिबंध लगाने वाले नाजी काल के बदनाम अनुच्छेद 219ए को रद्द कर दिया जाएगा.

इसके अलावा एक नया नागरिकता कानून भी लाया जाएगा जिससे जर्मनी में आने वाले लाखों आप्रवासियों के लिए दो बेहद जरूरी चीजें और आसान हो जाएंगी. आप्रवासियों को देश में सिर्फ तीन साल बिताने के बाद भी नागरिकता मिल सकेगी और जर्मन नागरिक बनने के बाद उन्हें अपनी पूर्व नागरिकता भी रखे रहने की अनुमति मिलेगी.

एसपीडी को क्या मिला

चुनाव में जीतने वाली एसपीडी के ओलाफ शॉल्त्स चांसलर तो होंगे ही, पार्टी को मंत्रिमंडल में छह और मंत्रालय मिले हैं. इनमें गृह, रक्षा, स्वास्थ्य, श्रम और नया निर्माण मंत्रालय भी शामिल हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय महामारी के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है और श्रम मंत्रालय अगले साल न्यूनतम आय को 9.60 यूरो प्रति घंटा से बढ़ा कर 12 यूरो प्रति घंटा करने वाला है.

निर्माण के नए मंत्रालय ने वादा किया है कि हर साल 4,00,000 नए अपार्टमेंट्स बनाये जाएंगे, जिससे कई अहम शहरों में मौजूद किराए का संकट कम हो सके. हालांकि किराएदारों के संगठनों ने इस योजना की आलोचना की है, क्योंकि गठबंधन के समझौते में पहले से मौजूद किराया नियंत्रण को और बढ़ाने की गुंजाइश बहुत कम है.

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