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जर्मनी अफगानिस्तान से और 15 हजार लोग निकालेगा

२४ दिसम्बर २०२१

जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने कहा है कि अफगानिस्तान की मदद के लिए और भी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है. उन्होंने 15,000 और लोगों को अफगानिस्तान से निकाल कर जर्मनी लाए जाने की प्रतिबद्धता दोहराई है.

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Deutschland Berlin | Annalena Baerbock, Außenministerin zu Afghanistan
जर्मन सरकार की अफगानिस्तान नीति पर विदेश मंत्री बेयरबॉक ने दिया बयान. तस्वीर: Michael Sohn/AP Photo/picture alliance

जर्मन सरकार अफगानिस्तान से उन लोगों को जल्दी से जल्दी निकाल कर जर्मनी लाएगी जो जान के खतरे के बीच वहां फंसे हुए हैं. जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने जर्मनी की कार्ययोजना पेश करते हुए कहा कि वह लाल फीताशाही को कम कर इस प्रक्रिया को तेज करने की कोशिश कर रही हैं. उन्होंने माना कि अफगानिस्तान हमारे समय की सबसे बुरी मानव त्रासदी से गुजर रहा है.

बेयरबॉक ने मीडिया से बातचीत में कहा, "अर्थव्यवस्था के कई बड़े सेक्टर ध्वस्त हो गए हैं, इतने सारे लोग भूखमरी झेल रहे हैं. ऐसी खबरें सही नहीं जातीं कि कई परिवार खाना खरीदने के लिए अपनी बेटियों को बेचने को मजबूर हो गए हैं." उन्होंने कहा कि ऐसी महिलाओं और बच्चियों के लिए एक-एक दिन बहुत मायने रखता है.

बेयरबॉक ने बताया कि लोगों को निकालने के लिए नए रास्ते खोलने के मकसद से ईरान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान जैसे अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों के साथ फिर से बात करनी होगी. पाकिस्तान और कतर के साथ जर्मनी पहले से ही बातचीत करता आया है.

अनुमान दिखाते हैं कि इन जाड़ों में ही करीब 2.4 करोड़ अफगानों पर जान जाने का खतरा मंडरा रहा है. सेनाओं की वापसी के चार महीने बीच जाने के बाद भी ऐसे करीब 15,000 अफगान हैं जिन्हें वहां से निकाल कर जर्मनी लाया जाना बाकी है. इनमें 135 जर्मन नागरिक भी शामिल हैं. यह वह लोग थे जिन्होंने पश्चिमी सेनाओं की मदद की थी और ड्राइवर से लेकर दुभाषिए के रूप में काम किया था. बेयरबॉक ने जोर देते हुए कहा कि "उन्हें भुलाया नहीं गया है." अब तक जर्मनी ने वहां से करीब 10,000 लोगों को निकालने में कामयाबी पाई है. इसमें से 5,300 लोगों को जर्मन सेना के विमानों से और बाकी 5,000 को दूसरे कमर्शियल साधनों से लाया गया.

इसी साल अगस्त में पश्चिमी सेनाओं के लौटने के बाद अफगानिस्तान फिर से तालिबान के कब्जे में चला गया. जर्मन विदेश मंत्री ने बताया कि जर्मनी में विपक्षी दल तक यह मानते हैं कि तालिबान की सरकार पहले से अलग नहीं है और जर्मनी "तालिबान की डि फैक्टो सरकार को राजनैतिक तौर पर और ज्यादा मान देने की कोई वजह नहीं देखता है.''

आरपी/एके (डीपीए, एपी)