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कला

कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव में फोकस देश बना जर्मनी

प्रभाकर मणि तिवारी
११ नवम्बर २०१९

अपने आयोजन और विविधता के लिए पूरी दुनिया में मशहूर कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव (केआईएफएफ) के रजत जयंती वर्ष में इस साल जर्मनी को फोकस देश बनाया गया है.

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Indien Kolkata International Film Festival
तस्वीर: DW/P. Tewari

आठ नवंबर से शुरू हुए इस फिल्मोत्सव का उद्घाटन अभिनेता शाहरुख खान ने किया. वैसे पहले अमिताभ बच्चन को इसका उद्घाटन करना था. लेकिन अचानक तबियत बिगड़ जाने की वजह से वह समारोह में शामिल होने के लिए कोलकाता नहीं पहुंच सके. इस दौरान जर्मनी के जाने-माने निर्देशकों की 42 फिल्मों व वृत्तचित्रों का प्रदर्शन किया जाएगा. इस मौके पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली और देश-विदेश के जाने-माने फिल्मकार मौजूद रहे.

रजत जयंती वर्ष

कोलकाता फिल्मोत्सव का यह 25वां आयोजन. इस दौरान अपनी विविधता और विस्तार की वजह से इसने दुनिया के जाने-माने फिल्मोत्सवों में अपनी खास पहचान बना ली है. अभिनेता शाहरुख खान ने अपने भाषण में कहा कि कोलकाता फिल्मोत्सव फिल्मद्योग के लिए मील का पत्थर बन गया है. जाने-माने निर्माता-निर्देशक महेश भट्ट ने अपने भाषण में राष्ट्रीय सिनेमा में बंगाल के योगदान का विस्तार से जिक्र किया. जानी-मानी अबिनेत्री राखी गुलजार ने भी समारोह को संबोधित किया.

Indien Kolkata International Film Festival
तस्वीर: DW/P. Tewari

15 नवंबर तक चलने वाले इस फिल्मोत्सव के दौरान 76 देशों की 366 फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा. केआईएफएफ के अध्यक्ष राज चक्रवर्ती बताते हैं, "इस बार पांच प्रतियोगी वर्ग बनाए गए हैं. अंतरराष्ट्रीय वर्ग में सर्वश्रेष्ठ फिल्म को 51 लाख और सर्वश्रेष्ठ निर्देशक को 21 लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा. भारतीय वर्ग में यह रकम क्रमशः सात व पांच लाख रुपए होगी. इसके अलावा सर्वश्रेष्ठ लघु फिल्म को पांच लाख और सर्वश्रेष्ठ वृत्तचित्र को तीन लाख रुपये दिए जाएंगे.” फिल्मोत्सव की शुरुआत सत्यजित रे की फिल्म गुपी गाएन बाघा बाएन से हुई. इस साल इस फिल्म के निर्माण के पचास साल पूरे हो रहे हैं.

चक्रवर्ती ने बताया कि फिल्मोत्सव में पहली बार दो सिनेमाघरों में दो थ्री डी फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा. इनमें डांस कोरियोग्राफर पीना बाउश पर 2011 में बने वृत्तचित्र पीना के अलावा आलेक्जांडर फॉन हुम्बोल्ट पर बनी द मीनिंग ऑफ द वर्ल्ड भी शामिल है. इसके अलावा पहली बार 35 मिमी सेल्यूलायड फॉर्मेट में भी फिल्में दिखाई जाएंगी.

इस दौरान 11 नवंबर को कुमार साहनी सत्यजित रे मेमोरियल लेक्चर देंगे. कोलकाता फिल्मोत्सव के 25 साल के सफर और राइनर वेर्नर फासबिंडर पर दो प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाएगा.

Indien Kolkata International Film Festival
तस्वीर: DW/P. Tewari

फोकस देश जर्मनी

केआईआईएफ ने अपने रजत जयंती वर्ष में जर्मनी को फोकस देश चुना है. इस दौरान जर्मनी की 42 फिल्मों और वृत्तचित्रों का प्रदर्शन किया जाएगा. फिल्मोत्सव के महानिदेशक और राज्य के सूचना व संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव विवेक कुमार बताते हैं, "तकनीक के मामले में जर्मनी विश्व के अग्रणी देशों में शुमार है. फिल्मोत्सव के नौ में एक वर्ग में भारत-जर्मन सहयोग से शुरुआती दौर में बनी फिल्मों को शामिल किया गया है. इनमें शिराजः ए रोमांस आफ इंडिया (1928), प्रपंच पाशः थ्रो ऑफ डाइस (1929) और अछूत कन्या (1936) शामिल हैं. पहली दो फिल्में मूक हैं जबकि अशोक कुमार और देविका रानी अभिनित तीसरी फिल्म हिंमाशु राय ने बनाई थी. इन तीनों फिल्मों का निर्देशन फ्रांत्स ओस्टेन ने किया था.” तमाम जर्मन फिल्में महानगर के नंदन थिएटर में दिखाई जा रही हैं.

गोएथे इंस्टीट्यूट के निदेशक फ्रिसो मेकर बताते हैं, "जर्मन फिल्म निर्माताओं फ्रांत्स ओस्टेन और योसेफ विरशिंग ने कई पुरानी भारतीय फिल्मों का निर्माण किया था. यह दोनों बॉम्बे टॉकीज शुरू करने वाली टीम का भी हिस्सा थे. उन्होंने बताया कि फिल्मोत्सव के दौरान नोसफेरातू, डाॉक्टर माबुसे और मेट्रपोलिस जैसी क्लासिक जर्मन फिल्मों का भी प्रदर्शन किया जाएगा. फ्रिसो बताते हैं, "फिल्मोत्सव के दौरान 1926 में बनी सबसे पुरानी एनिमेशन फिल्म द एडवेंचर्स ऑफ प्रिंस आखमेद भी दिखाई जाएगी. इस दौरान जर्मनी के आलेक्जांडर क्लूगे और स्लोवाकिया के डूसान हनक की फिल्मों का पुनरावलोकन भी आयोजित होगा.” कोलकाता के 17 सिनेमाघरों में इन फिल्मों का प्रदर्शन किया जाएगा.

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