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बायर्न म्यूनिख पर 'स्पोर्ट्स वॉशिंग' का आरोप

७ जुलाई २०२२

जर्मन फुटबॉल क्लब बायर्न म्यूनिख की दुविधा यह है कि वह अपने प्रायोजक कतर एयरलाइंस से आप्रवासी मजदूरों के उत्पीड़न जैसे मुद्दों पर कितने कड़े सवाल पूछ सकता है. उधर मजदूरों की हालत खराब है तो इधर फैन्स नाराज हैं.

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Fußball FC Bayern München und Katar
2012, दोहा में ट्रेनिंग के दौरान की इस फोटो में कतर के एक फैन को ऑटोग्राफ देते हुए एफसी बायर्न के तत्कालीन खिलाड़ी थोमास म्यूलर तस्वीर: Imago sportfotodienst

बायर्न म्यूनिख के सीईओ और पूर्व गोलकीपर ओलीवर कान को जर्मन फुटबॉल क्लब के प्रायोजक कतर के साथ संबंधों पर कड़े सवालों का सामना करना पड़ रहा है. हाल ही में एक इस मुद्दे पर फैन्स की चिंताओं को दूर करने के मकसद से बायर्न ने एक पैनल डिस्कशन आयोजित किया. इसमें बोलते हुए हुए कान ने कहा कि उन्हें यकीन है कि उनकी पार्टनरशिप के कारण कतर में सकारात्मक बदलाव आए हैं.

कान ने कहा, "मेरे ख्याल से बहुत कुछ हुआ है," और इसलिए "क्योंकि हम यहां बैठे इस बारे में चर्चा कर रहे हैं." कान ने बताया कि बायर्न की कतर के अधिकारियों के साथ "कई सारी बैठकें" हुईं हैं और उन्हें भरोसा है कि "खेल से बहुत कुछ बदल सकता है."

हालांकि समस्या तब खड़ी होती दिखी जब फैन्स ने उनसे ऐसी कोई मिसाल देने के लिए कहा. कान क्लब में या कतर के रवैये में ऐसा कोई बदलाव नहीं गिना पाए जिससे साफ होता हो कि कतर में आप्रवासी मजदूरों के काम की स्थितियों में कोई भी सुधार हो रहा है.

इसी साल कतर में फुटबॉल विश्व कप का आयोजन होना है. पिछले कुछ सालों से वहां चल रही तैयारियों के दौरान कई बार मानवाधिकारों के उल्लंघन और आप्रवासी मजदूरों के शोषण और उनके साथ दुर्व्यवहार की अनगिनत शिकायतें आती रही हैं.

'कफाला' खत्म, कानून बदला, फिर भी..

कुछ अपुष्ट रिपोर्टें बताती हैं कि इस दौरान हजारों की संख्या में मजदूरों और दूसरे कामगारों की रहस्यमय हालातों में जान गई है. हालांकि जर्मनी में कतर के दूत अब्दुल्ला बिन मोहम्मद बिन सऊद अल थानी ने कतर में 6,500 आप्रवासी कामगारों की मौत के आंकड़े को विवादित बताया.

कुछ साल पहले तक कतर में कफाला सिस्टम प्रचलित था जिसके जरिए विश्व कप के आयोजन स्थलों पर निर्माण के काम के लिए कई आप्रवासी मजदूरों को लाया गया. इसमें कर्मचारियों के ऊपर बहुत सी शर्तें होती थीं जिससे वे बंधुआ मजदूरी जैसे हाल में काम करने को मजबूर थे.

कुछ साल पहले कफाला प्रथा खत्म कर दी गई. पिछले साल कतर के श्रम कानूनों में भी विस्तृत बदलाव लाए गए. हालांकि कई भरोसेमंद रिपोर्टें दिखाती हैं कि यह कागजी बदलाव जमीन पर वैसे ही नजर नहीं आते और श्रमिकों की हालत अब भी खराब है.

क्लब के प्रतिनिधि हाल ही में लंदन में कतरी अधिकारियों से मिले थे और वहां उनसे विविधता और सहनशीलता जैसे विषयों पर बात की. इस पर कान ने बताया, "इन पर चर्चा करना मेरे लिए व्यक्तिगत तौर पर भी बहुत बहुत जरूरी है," और "मुझे लगता है कि इसी तरह हम एक एक कदम करके आगे बढ़ सकते हैं."

कान का समर्थन करते हुए बायर्न ने अध्यक्ष हर्बर्ट हाइनर ने कहा, "बेशक, यह रातों रात नहीं होता. जर्मनी में लोकतंत्र भी रातों रात नहीं आ गया था, वह भी एक विकास की प्रक्रिया थी."

कितने पैसों का सवाल

जर्मन क्लब 2011 से ही अपने मिड सीजन अभ्यास सत्र कतर में रखता आया है. क्लब ने कतर एयरवेज के साथ 2023 तक प्रायोजक के रूप में समझौता किया हुआ है. क्लब को कतर एयरवेज से हर साल 2 करोड़ यूरो मिलते हैं. उसके सभी खिलाड़ी कतर एयरवेज के लोगो वाली जर्सी पहनते हैं. फैन्स का आरोप है कि क्लब कतर से पैसे लेकर उनकी छवि सुधारने में मदद पहुंचा रहा है, जिसे "स्पोर्ट्स वॉशिंग" भी कहा जाता है.

नवंबर 2021 में क्लब की सालाना आम बैठक (एजीएम) के बाद के समय क्लब के फैन्स के प्रतिनिधि संगठनों ने कतर के साथ उसकी डील पर नाराजगी जताई थी. इसी वजह से अब क्लब ने फैन्स की चिंताएं दूर करने के लिए पैनल चर्चा का आयोजन किया था. इस पैनल में होस्ट बने क्रिस्टोफ हॉइसगन जो कि संयुक्त राष्ट्र में जर्मनी के पूर्व दूत रहे हैं. पैनल में एक भी महिला शामिल नहीं थी. वहां मीडिया से भी कोई मौजूद नहीं था. हालांकि बायर्न की वेबसाइट से लॉग इन करके चर्चा को देखा जा सकता था. 

पैनल में अपनी बात रखते हुए जर्मनी के पूर्व विदेश मंत्री जिगमार गाब्रिएल ने कहा कि हर देश को सुधार करने में समय लगता है और चेताया कि हर जगह जर्मन स्टैंडर्ड लागू करवाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. विश्व कप सुप्रीम कमेटी के महासचिव हसन अल-थवाडी और दोहा में अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के प्रमुख मैक्स टनन ने कतर में आप्रवासी मजदूरों के हालात में हाल के सालों में आए सुधारों का जिक्र किया. सन 2018 से ही आईएलओ कतर सरकार के साथ मिल कर श्रम सुधार लाने पर काम कर रहा है.

कतर के पक्ष में आवाजें

पैनल में अपनी बात रखते हुए जर्मनी के पूर्व विदेश मंत्री जिगमार गाब्रिएल ने कहा कि हर देश को सुधार करने में समय लगता है और चेताया कि हर जगह जर्मन स्टैंडर्ड लागू करवाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल के स्टेफन कॉकबर्न ने कहा कि यह जानना संभव ही नहीं है कि कतर में स्टेडियम बनाने के दौरान कितने मजदूरों की जान गई है. उन्होंने कहा कि हजारों मौतों की जांच नहीं हुई है, और चूंकि इसके लिए पर्याप्त निगरानी की व्यवस्था नहीं थी इसलिए मृतकों के परिवारों को मुआवजा भी नहीं मिला.

Fußball Bundesliga | SC Freiburg - Bayern München | Ultras
नवंबर 2021 में कतर की प्रयोजक डील के विरोध में बायर्न फैन्स ने स्टेडियम में ऐसे जताई नाराजगीतस्वीर: Markus Ulmer/Pressebildagentur ULMER/picture alliance

बायर्न फैन्स के प्रतिनिधि मिषाएल औट ने सवाल उठाया कि क्या कतर ने एक सीआईए एजेंट के द्वारा जर्मन सॉकर फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष थेओ स्वांसिगर को प्रभावित करने की कोशिश की थी. उन्होंने कतर में प्रेस की आजादी पर भी सवाल उठाया और कहा, "आलोचना करने वाले गेस्ट वर्करों और पत्रकारों को कतर संदेहास्पद आधार बनाकर जेल में क्यों डाल देता है? अगर आप सुधारों को लेकर गंभीर हैं तो उनसे इस पर बहस करनी चाहिए."

एक और फैन रॉबिन फाइनआउवेर ने जनवरी 2020 में म्यूनिख में ही एक सार्वजनिक सभा का आयाजन किया था जिसका शीर्षक रखा था "कतर, मानवाधिकार और एफसी बायर्न." इसमें वह दो आप्रवासी कर्मचारियों को ले आए थे जिन्होंने स्टेडियम बनाने के काम के दौरान अपने अनुभव साझा किए. बायर्न को भी इस सभा का निमंत्रण मिला था लेकिन उन्होंने अपना कोई प्रतिनिधि वहां नहीं भेजा था.

एडिटर, डीडब्ल्यू हिन्दी
ऋतिका पाण्डेय एडिटर, डॉयचे वेले हिन्दी. साप्ताहिक टीवी शो 'मंथन' की होस्ट.@RitikaPandey_