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संदिग्ध आतंकियों के प्रत्यर्पण को जर्मन अदालत की हरी झंडी

२७ जुलाई २०१७

जर्मनी की सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि उसे ऐसे विदेशी लोगों के प्रत्यर्पण पर कोई आपत्ति नहीं है जिन पर संदेह हो कि वे जर्मनी में आतंकवादी हमला कर सकते हैं. आलोचक इस कदम को असंवैधानिक मानते हैं.

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Symbolbild Bundesverfassungsgericht Deutschland Richter Roben
तस्वीर: picture-alliance/dpa

गुरुवार को प्रकाशित हुए जर्मनी के कार्ल्सरूहे की संवैधानिक अदालत के फैसले में कहा गया है कि उसे ऐसे गैर जर्मन लोगों के प्रत्यर्पण से कोई समस्या नहीं है, जो संभावित आतंकवादी खतरा हों. जजों का कहना है कि जर्मन गृह मंत्रालय अगर बिना जर्मन नागरिकता वाले विदेशी नागरिकों को खतरा समझता है तो वह उन्हें प्रत्यर्पित कर सकता है.

यह फैसला जर्मनी के निवास संबंधी कानून के एक अनुच्छेद पर आधारित है, जो देश को खतरा होने या किसी आतंकवादी जोखिम की स्थिति में सरकार को किसी व्यक्ति का तेजी से प्रत्यर्पण करने का अधिकार देता है.

यह अनुच्छेद जर्मन संविधान में अमेरिका पर 11 सितंबर के हमले के बाद जोड़ा गया था लेकिन इसे चुनौती पिछले साल बर्लिन में हुए क्रिसमस बाजार हमले के सिलसिले में दी गयी है. 2003 में जर्मनी आने वाले एक अल्जीरियाई व्यक्ति के मामले में अदालत से पूछा गया था कि क्या यह अनुच्छेद संवैधानिक है.

इस साल की शुरुआत में ब्रेमेन राज्य के गृह मंत्रालय ने कहा कि वह इस व्यक्ति को एक जोखिम मानता है और उसे प्रत्यर्पित कर दिया जाना चाहिए. इस फैसले को संवैधानिक आधार पर चुनौती दी गयी.

वैसे यह मामला पहली बार चर्चा में उस वक्त आया जब इस साल फरवरी में सैक्सनी राज्य में एक संभावित आतंकवादी हमले की साजिश के सिलसिले में दो लोगों को हिरासत में लिया गया था. इन दोनों लोगों का जन्म जर्मनी में हुआ था लेकिन उनके पास विदेशी पासपोर्ट थे. इनमें एक 27 वर्षीय अल्जीरियाई और एक 22 वर्षीय नाइजीरियाई शामिल था. चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट का कथित रूप से समर्थन करने के कारण इन लोगों पर पुलिस की काफी समय से नजर थी.

एके/आरपी (डीपीए, रॉयटर्स)