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जर्मनी में जनादेश की घड़ी, आम चुनावों के लिए वोटिंग

२६ सितम्बर २०२१

जर्मनी में नई संसद को चुनने के लिए वोट डाले जा रहे हैं. इन चुनावों से तय होगा कि अंगेला मैर्केल की जगह कौन लेगा, जो 16 साल तक जर्मनी की चांसलर रहने के बाद अपना पद छोड़ रही हैं.

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BTW 2021 Deutschland Wahllokal Berlin Symbolbild
तस्वीर: Kai Pfaffenbach/REUTERS

रविवार को जर्मनी में हो रहे आम चुनावों में मुकाबला बहुत कांटेदार है. अभी तक स्थिति साफ नहीं है कि अगली सरकार किसकी बनने जा रही है. हालांकि चुनावी सर्वेक्षणों में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी एसपीडी को थोड़ी सी बढ़त है. मैर्केल की पार्टी सीडीयू और उसकी सहयोगी पार्टी सीएसयू दूसरे नंबर पर आ सकती हैं जबकि तीसरा स्थान ग्रीन पार्टी को मिल सकता है. ऐसे में संभावना है कि चुनाव नतीजे आने के बाद भी नई सरकार बनाने के लिए गहन वार्ताओं और सौदेबाजी की जरूरत होगी. इसलिए नई सरकार बनने में समय लग सकता है.

इस चुनाव में सीडीयू-सीएसयू की तरफ से आर्मिन लाशेट को चांसलर पद का उम्मीदवार बनाया गया है जबकि उन्हें टक्कर दे रहे हैं मौजूदा सरकार में वित्त मंत्री और एसपीडी पार्टी के ओलाफ शॉल्त्स. ग्रीन पार्टी पहली बार चांसलर पद की उम्मीदवार को सामने रखकर चुनाव लड़ रही है. पार्टी ने अनालेना बेयरबॉक को उम्मीदवार बनाया है.

कैसे होता है जर्मनी में चुनाव

लाशेट चुनावी अभियान में अपनी पार्टी के पारंपरिक आधार को अपने हक में करने के लिए जूझते दिखाई पड़े. वहीं एसपीडी पार्टी को ओलाफ शॉल्त्स की लोकप्रियता का फायदा हुआ है. पार्टी लंबे समय बाद चुनावी सर्वेक्षणों में पहले स्थान पर बताई जा रही है. शुरू में बेयरबॉक बहुत आगे चल रही थी. लेकिन अपनी कुछ गलतियों की वजह से आखिरी दिनों में उन्हें काफी नुकसान झेलना पड़ा.

लगभग 8.3 करोड़ की आबादी वाले जर्मनी में कुल 6.04 करोड़ मतदाता हैं, जो जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेस्टाग का चुनाव कर रहे थे. यही संसद नई सरकार को चुनेगी. जर्मनी में दूसरे विश्व युद्ध के बाद आज तक किसी भी एक पार्टी को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला है. अनुपातिक चुनावी प्रणाली होने के कारण जिस पार्टी को जितने प्रतिशत वोट मिलते हैं, संसद में उसका उतना ही प्रतिनिधित्व होता है. संसद में प्रवेश करने के लिए किसी भी पार्टी को चुनाव में पांच प्रतिशत वोट हासिल करने जरूरी हैं.

इस बार चुनावी सर्वेक्षणों में किसी भी पार्टी को 30 प्रतिशत से ज्यादा समर्थन नहीं मिल रहा है. इसका मतलब है कि सरकार बनाने के लिए जरूरी 50 प्रतिशत का आंकड़ा हासिल करने के लिए दो या दो से ज्यादा पार्टियों के गठबंधन की जरूरत होगी. नई सरकार बनने तक मैर्केल अपने पद पर बनी रहेंगी.

नई जर्मन सरकार से क्या चाहते हैं भारतीय

लाशेट ने चुनाव अभियान में वादा किया कि करों में कोई वृद्धि नहीं की जाएगी क्योंकि जर्मनी महामारी से बाहर निकल रहा है. वहीं शॉल्त्स और बेयरबॉक अमीर लोगों पर ज्यादा टैक्स लगाने की बात कर रहे हैं. वे न्यूनतम वेतन में वृद्धि का वादा भी कर रहे हैं. चुनाव प्रचार के आखिर चरण में शॉल्त्स ने शुक्रवार को मैर्केल की निवर्तमान सरकार की तारीफ की और कहा कि उसने महामारी के दौरान लोगों की नौकरियां बचाईं. सरकार में वह वित्त मंत्री हैं. इस तरह उन्होंने खुद की पीठ थपथपाई. वहीं लाशेट ने अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने का वादा किया. मैर्केल ने भी लाशेट को तारीफ करते हुए कहा कि वह "पुल बनाते हैं और सबको साथ लेकर चलते हैं."

चुनाव में हिस्सा ले रही अन्य अहम पार्टियों में कारोबारी समर्थक एफडीपी, धुर दक्षिणपंथी एएफडी और वामपंथी डी लिंके भी शामिल हैं. एएफडी पार्टी को पिछले आम चुनाव में मिले 12.6 प्रतिशत वोटों के मुकाबले थोड़ा कम समर्थन मिलने का अनुमान है. लेकिन नई सरकार में उसके शामिल होने की संभावना नहीं है. सभी पार्टी उससे गठबंधन ना करने की बात कर रही हैं.

बुंडेस्टाग में कम से कम 598 सीटें होती हैं, लेकिन जर्मनी की जटिल चुनावी प्रणाली की वजह से सांसदों की संख्या घटती बढ़ती रहती है. मौजूदा संसद में 709 सदस्य हैं. चुनाव के बाद अस्तित्व में आने वाली संसद में इससे भी ज्यादा सदस्य हो सकते हैं.

एके/एमजे (एपी, रॉयटर्स)

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