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हार के बाद बराबरी की लड़ाई जीत पाएंगी जर्मन फुटबॉलर?

१ अगस्त २०२२

जर्मनी की महिला फुटबॉलर खिलाड़ियों को बराबर सैलरी दिलाने की लड़ाई अब सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई है. लेकिन अंतर इतना बड़ा है कि इसे पाटना आसान नहीं होगा.

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Women's Euro 2022 - Finale - England vs Deutschland
तस्वीर: Michael Regan/Getty Images

यूरोपीय चैंपियनशिप के फाइनल में जर्मनी की टीम हार गई. अतिरिक्त समय में किए गए विजयी गोल की बदौलत इंग्लैंड की महिला फुटबॉल टीम ने पहली बार यह खिताब जीता और जर्मनी के सपनों को तोड़ दिया. अगर जर्मनी की टीम जीत जाती तो टीम की हर खिलाड़ी को लगभग 90 हजार यूरो मिलते. अब उन्हें 30 हजार यूरो मिलेंगे, जो फाइनल में प्रवेश के साथ ही तय हो गए थे. पर जर्मनी इस वक्त हार जीत से बड़ा एक सवाल पूछ रहा है. सवाल है कि पुरुष जीतते हैं तो उन्हें ज्यादा धन क्यों मिलता है.

पिछले साल जर्मनी की पुरुष फुटबॉल टीम भी यूरोपीय चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंची थी. अगर वे जीतते तो हर खिलाड़ी को लगभग तीन लाख 60 हजार यूरो मिलते. जबकि महिलाओं की टीम पिछली बार यानी 2017 में जीती थी, तो हर खिलाड़ी को लगभग 37,500 यूरो मिले थे. यानी पुरुषों और महिलाओं के इनाम में लगभग दस गुना का फर्क है.

यह फर्क इतना बड़ा है कि देश के चांसलर को भी परेशान कर रहा है और ओलाफ शॉल्त्स ने कहा है कि वह महिलाओं और पुरुषों को बराबर सैलरी दिलाने के लिए देश के फुटबॉल संघ के प्रमुख ओलिवर बियरहॉफ से बात करेंगे. उन्होंने कहा, "बियरहॉफ से मेरी मुलाकात होनी है. मैं इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हूं कि ऐसी प्रतियोगिताओं में बराबर तन्ख्वाह बेहद महत्वपूर्ण है.”

जर्मन चांसलर ने पहली बार महिलाओं को लिए बराबर सैलरी पर बात नहीं की है. दो हफ्ते पहले भी उन्होंने ट्वीट कर महिलाओं को बराबर धन की पैरवरी की थी, जिसके बाद बियरहॉफ ने उन्हें बातचीत के लिए बुलाया था. उस ट्वीट के बाद बियरहॉफ ने कहा था, "मैं उस बयान से थोड़ा सा हैरान हूं. मैं बेशक उन्हें मिलने के लिए बुलाऊंगा.”

तभी बियरहॉफ ने इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया था कि यदि जर्मन महिला टीम यूरोपीय चैंपियनशिप जीतती है तो हर खिलाड़ी को 60 हजार यूरो का बोनस मिलेगा. हालांकि पुरुषों के मुकाबले यह बेहद कम है. अगर इस साल कतर में होने वाला वर्ल्ड कप जर्मनी की पुरुष टीम जीतती है हर खिलाड़ी को लगभग चार लाख यूरो का बोनस मलेगा.

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इस बारे में खिलाड़ी भी गाहे-बगाहे बोलते रहे हैं. जर्मनी की खिलाड़ी लीना मागुल ने हाल ही में कहा था देश की महिला खिलाड़ियों को दो-तीन हजार यूरो का मासिक वेतन जैसा कुछ मिलना चाहिए. उन्होंने स्पेन की टीम को इस तरह की मासिक सैलरी का भी हवाल दिया था.

मागुल का कहना था कि राष्ट्रीय स्तर की महिला खिलाड़ियों को भी खेलने के साथ-साथ पढ़ाई और नौकरी दोनों करनी पड़ती हैं. उनका कहना था कि कम से कम सेकंड डिविजन के ऊपर के खिलाड़ियों के लिए तो यह मजबूरी नहीं होनी चाहिए.

कितना बड़ा है अंतर?

बीलेफेल्ड की यूनिवर्सिटी ऑफ अप्लाइड साइंसेज में शोध करने वालीं योहाना बुर्रे महिला और पुरुष फुटबॉल खिलाड़ियों के बीच अंतर की गहराई नाप रही हैं. उन्होंने गुणात्मक तरीकों से अध्ययन करते हुए पता लगाया है कि महिलाओं और पुरुषों के बीच हालात में असल में अंतर कितना बड़ा है.

खुद भी 15 साल से फुटबॉल खेल रहीं बुर्रे के लिए यह शोध आसान भी था क्योंकि पेशेवर खिलाड़ियों तक उनकी सीधी पहुंच थी और एक लीग क्लब में कोच होने के नाते वह हालात को बहुत करीब से देख सकती थीं. बुर्रे का शोध कहता है कि पुरुष खिलाड़ी महिलाओं के मुकाबले 50 से 200 गुना ज्यादा कमाते हैं. जर्मन अखबार डेवेत्सेट को दिए एक इंटरव्यू में बुर्रे ने बताया कि फुटबॉल खिलाड़ियों को मिलने वाली सैलरी सार्वजनिक नहीं की जाती लेकिन विशेषज्ञों ने इसके बारे में विस्तृत अनुमान लगाए हैं और दोनों के बीच अंतर बहुत बड़ा है. वह कहती हैं, "फुटबॉल में ‘जेंडर पे गैप' किसी भी अन्य खेल और खेल के बाहर के क्षेत्र के मुकाबले कहीं ज्यादा है.”

हालांकि कई अपवाद भी मौजूद हैं. जैसे कि जर्मन फुटबॉल टीम की कप्तान और मशहूर खिलाड़ी आलेग्जांद्रा पोप सालाना लगभग डेढ़ लाख यूरो कमाती हैं. इसके पीछे उनका खेल और लोकप्रियता दोनों काम करते हैं. इसी तरह इंस्टाग्राम पर उनके तीन लाख से ज्यादा फॉलोअर के साथ देश की सबसे लोकप्रिय खिलाड़ियों में शामिल जूलिया ग्विन को अखबार बिल्ड के मुताबिक हर महीने करीब आठ हजार यूरो की कमाई होती है. साथ ही विज्ञापन आदि से उन्हें 65 हजार यूरो सालाना भी मिलते हैं. लेकिन ये अपवाद हैं और दूसरे देशों के मुकाबले फिर भी बहुत कम हैं. मिसाल के तौर पर फ्रांस में ओलिंपिक ल्योन के लिए खेलने वालीं जेनिफर मारोत्सान की सालाना कमाई लगभग साढ़े तीन लाख यूरो है.

लंबी लड़ाई बाकी है

कुछ विशेषज्ञ इस अंतर की बड़ी वजह दोनों खिलाड़ियों के मैचों के लिए बाजार और दर्शकों में अंतर को मानते हैं. लेकिन बुर्रे इस अंतर को समुचित आधार नहीं मानतीं. वह कहती हैं कि वजह महिलाओं के साथ होने वाला भेदभाव है. इस इंटरव्यू में बुर्रे बताती हैं कि अमेरिका, ब्राजील, इंग्लैंड और नॉर्वे में महिला खिलाड़ियों को पुरुषों के बराबर सैलरी और बोनस मिल रहे हैं लेकिन जर्मनी में यह अंतर अब भी बहुत बड़ा है.

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अमेरिका में महिला फुटबॉलरों को पुरुषों के बराबर सैलरी मिलनी भी हाल ही में शुरू हुई है और इसके लिए खिलाड़ियों को छह साल तक लड़ाई लड़नी पड़ी. वर्ल्ड कप जीतने वाली अमेरिका की महिला फुटबॉल टीम के सदस्य और अधिकारियों ने कानूनी लड़ाई के बाद यह बराबरी हासिल की है. इसी साल फुटबॉल संघ ने मुकदमे को अदालत के बाहर ही समझौते के जरिए खत्म किया और महिलाओं को बराबर सैलरी देने पर राजी हुआ.

बुर्रे कहती हैं कि हालात पहले से बेहतर हुए हैं और अब महिला खिलाड़ियों को ज्यादा मीडिया कवरेज, ज्यादा विज्ञापन आदि मिलने लगे हैं लेकिन अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है.

रिपोर्टः विवेक कुमार (एपी, डीपीए)

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