महिलाओं की सैलरी पुरुषों से कितनी कम?
आइसलैंड में कानून बनाया गया है जिसके तहत महिलाओं को पुरुषों के बराबर वेतन देना होगा. दुनिया भर में वेतन के मामले में लैंगिक असमानता को देखते हुए यह कदम एक उम्मीद की किरण है. जानते हैं कहां कितना कमाती हैं महिलाएं.
सबसे अच्छा, सबसे खराब
वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) का कहना है कि आइसलैंड दुनिया में सबसे ज्यादा लैंगिक समानता वाला देश है. शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक अवसरों और राजनीतिक सशक्तिकरण के क्षेत्रों में मौजूद अंतर के विश्लेषण के आधार पर यह बात कही गई. दूसरी तरफ, यमन की स्थिति इस मामले में सबसे खराब है.
औसत कमाई
दुनिया भर में महिलाओं का सालाना औसत वेतन 12 हजार डॉलर है जबकि पुरुषों का औसत वेतन 21 हजार डॉलर है. डब्ल्यूईएफ का कहना है कि वेतन के मामले में समानता कायम करने के लिए दुनिया को 217 वर्ष लगेंगे.
समानता की कीमत
वेतन में अंतर को पाटने के लिए ब्रिटेन की जीडीपी में अतिरिक्त 250 अरब डॉलर, अमेरिका की डीजीपी में 1,750 अरब डॉलर और चीन की डीजीपी में 2.5 ट्रिलियन डॉलर डालने होंगे.
ब्रिटेन में सुधरी स्थिति
2017 के दौरान महिला और पुरुषों के बीच प्रति घंटा मेहनताने का अंतर 20 वर्ष के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. सरकारी आकंड़ों के मुताबिक एक फुलटाइम पुरुष कर्मचारी ने महिला कर्मचारियों की तुलना में 9.1 प्रतिशत ज्यादा वेतन पाया.
टॉप देश
आर्थिक भागीदारी और अवसरों के मामले में जो देश टॉप पर है उनमें बुरुंडी, बारबाडोस, बहमास, बेनिन और बेलारूस शामिल हैं. डब्ल्यूईएफ के मुताबिक इन सभी देशों में महिला और पुरुषों के बीच आर्थिक अंतर 20 प्रतिशत से कम है.
यहां बदतर है हालात
इस मामले में जिन पांच देशों की स्थिति सबसे खराब है उनमें सीरिया, पाकिस्तान, सऊदी अरब, यमन और ईरान शामिल हैं. वहां आर्थिक लैंगिक अंतर कम से कम 65 प्रतिशत है.
महिलाओं की भागीदारी
विश्व स्तर पर वरिष्ठ प्रबंधकीय पदों पर सिर्फ 22 प्रतिशत महिलाएं हैं. डब्ल्यूईएफ का कहना है कि आम तौर पर महिलाओं को कम वेतन वाले पदों पर रखे जाने की संभावना ही ज्यादा होती है.
योग्यता की अनदेखी
डाटा से पता चलता है कि महिलाओं से उनकी योग्यता से कम दक्षता वाला काम लिया जाता है. इसकी वजह कई बार उनकी घरेलू जिम्मेदारियां होती हैं या फिर कई बार भेदभाव. इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी से जुड़े क्षेत्र में महिलाएं कम होती हैं.
ईयू की स्थिति
यूरोपीय आयोग ने अंतर को कम करने के लिए नवंबर 2017 में एक दो वर्षीय योजना का प्रस्ताव रखा था. पिछले पांच साल के दौरान इस मामले में यूरोपीय संघ में कोई खास प्रगति नही हुई. यहां महिलाएं पुरुषों के मुकाबले प्रति घंटा 16.3 प्रतिशत कम कमाती हैं.
कंपनियों की निगरानी
इस प्रस्ताव में उन कंपनियों पर कुछ प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है जो महिलाओं को पुरुषों के बराबर वेतन नहीं देती हैं. साथ ही इसमें यूरोपीय सबसे बड़ी कंपनियों की निगरानी करने के लिए भी कहा गया है.