इंडोनेशिया में रहते थे 3.3 फुट के इंसान
२६ अगस्त २०२४वैज्ञानिकोंको इंडोनेशिया के एक द्वीप पर मिली बांह की एक छोटी सी हड्डी से पता चलता है कि "हॉबिट्स" नामक प्राचीन मानवों का आकार छोटा होना तब शुरू हुआ जब वे लगभग दस लाख साल पहले इस द्वीप पर पहुंचे थे. नए शोध में पाया गया है कि इन इंसानों का आकार लगभग 101 सेंटीमीटर यानी 3.3 फुट तक था.
इन छोटे कद के होमो फ्लोरेसिएन्सिस के बारे में अभी भी कई रहस्य हैं. पहली बार इन हड्डियों के अवशेष 2003 में फ्लोरेस द्वीप पर मिले थे. ऐसा माना जाता है कि औजारों का उपयोग करने वाले होमिनिन्स लगभग 50,000 साल पहले तक इस द्वीप पर रहते थे. यह तब की बात है जब हमारी प्रजाति होमो सेपियन्स पहले से ही पृथ्वी पर, विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया में, बस चुकी थी.
सिर्फ एक मीटर ऊंचाई
करीब 60,000 साल पुराने दांत और जबड़े की हड्डी से वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया था कि ये "हॉबिट्स" लगभग 1.06 मीटर (3.5 फीट) लंबे थे. लेकिन द्वीप पर एक खुले क्षेत्र में मिली ऊपरी भुजा की हड्डी और कुछ दांतों की खोज से पता चला है कि लगभग 700,000 साल पहले कुछ हॉबिट्स सिर्फ एक मीटर लंबे थे. यह अध्ययन ‘नेचर कम्यूनिकेशंस‘ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.
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हड्डी इतनी छोटी थी कि पहले अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं की टीम ने सोचा कि यह किसी बच्चे की होगी. लेकिन अध्ययन के सह-लेखक और ऑस्ट्रेलिया के ग्रिफिथ विश्वविद्यालय के पुरातत्वविद् एडम ब्रूम ने एएफपी को बताया कि यह वयस्क होमिनिन की अब तक की सबसे छोटी ह्यूमरस यानी बांह की हड्डी है.
शोध के सह-लेखक, टोक्यो यूनिवर्सिटी के यूसुके कैफु ने समाचार एजेंसी एपी को दिए इंटरव्यू में कहा, "हमें उम्मीद नहीं थी कि हमें इतनी पुरानी जगह से और भी छोटे व्यक्तियों के अवशेष मिलेंगे."
2016 में, शोधकर्ताओं को नई जगह से मिले जबड़े की हड्डी और दांतों का अध्ययन करने के बाद संदेह हुआ कि पहले के रिश्तेदार हॉबिट्स से भी छोटे हो सकते थे. एक छोटी भुजा की हड्डी के टुकड़े और दांतों के और विश्लेषण से पता चलता है कि ये पूर्वज 2.4 इंच (6 सेंटीमीटर) और छोटे थे और 700,000 साल पहले मौजूद थे.
कैसे छोटे हुए हॉबिट्स?
यह खोज वैज्ञानिकों के बीच चल रही एक गर्म बहस को और तेज कर सकती है कि आखिर होमो फ्लोरेसिएन्सिस का आकार इतना छोटा कैसे हुआ. एक पक्ष का मानना है कि ये "हॉबिट्स" पहले से ही छोटे होमिनिन से विकसित हुए, जो लगभग दस लाख साल पहले फ्लोरेस पहुंचे थे जबकि दूसरे पक्ष का मानना है कि हमारे पूर्वज होमो इरेक्टस, जो हमारे समान आकार के थे और पूरे एशिया में फैले हुए थे, इस द्वीप पर फंस गए और अगले 300,000 वर्षों में छोटे होमो फ्लोरेसिएन्सिस में विकसित हो गए.
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इस नई खोज के पीछे के शोधकर्ता मानते हैं कि यह खोज दूसरे सिद्धांत का मजबूत समर्थन करती है. ब्रूम ने कहा कि इन प्राचीन मनुष्यों का आकार "आइलैंड ड्वार्फिज्म" नामक एक प्रसिद्ध विकासवादी घटना के अनुसार काफी कम हो गया. इस प्रक्रिया में, बड़े जानवर समय के साथ अपने सीमित परिवेश के अनुकूल होने के लिए छोटे हो जाते हैं. इस उष्णकटिबंधीय द्वीप पर अन्य छोटे स्तनधारी भी रहते थे, जिनमें हाथी के आकार का एक छोटा रिश्तेदार भी शामिल था.
कैसे पहुंचे इंडोनेशिया?
शोधकर्ताओं का कहना है कि खोजे गए नए दांत भी होमो इरेक्टस के दांतों के छोटे संस्करण जैसे दिखते हैं. ब्रूम ने कहा, "अगर हम सही हैं, तो ऐसा लगता है कि होमो इरेक्टस किसी तरह गहरे समुद्र की बाधाओं को पार करके फ्लोरेस जैसे अलग-थलग द्वीपों तक पहुंच गए थे."
एक बार जब ये प्राचीन मनुष्य द्वीप पर फंस गए, तो वे सैकड़ों हजारों वर्षों तक जीवित रहे और "अजीब नए रूपों" में विकसित हो गए. ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू इंग्लैंड के पुरातत्वविद् मार्क मूर, जो इस अध्ययन में शामिल नहीं थे, ने कहा कि इस खोज का मतलब है कि अब हम "आत्मविश्वास से कह सकते हैं" कि होमो इरेक्टस सिद्धांत अधिक संभावित है.
मूर ने हॉबिट्स द्वारा उपयोग किए जाने वाले पत्थर के औजारों का अध्ययन किया है. उन्होंने एएफपी को बताया, "यह तकनीक हमारी इस रिश्तेदार प्रजाति को जैविक विकास की शक्तियों से बचा नहीं सकी. "हॉबिट्स" का सिर्फ 300,000 वर्षों में इतना बदल जाना प्राकृतिक चयन की शक्ति की याद दिलाता है."
मूर कहते हैं, "इन होमिनिन्स के इस समूह की विकासवादी कहानी वास्तव में महाकाव्य है."
वीके/सीके (एपीए, एएफपी)