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मशहूर कव्वाल अमजद साबरी की गोली मारकर हत्या

विवेक कुमार२२ जून २०१६

पाकिस्तान के मशहूर कव्वाल अमजद साबरी की कराची में गोली मारकर हत्या कर दी गई है. पाकिस्तान के सबसे नामी कव्वाल साबरी को क्यों मारा गया, अभी कोई नहीं जानता.

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Pakistan Amjad Sabri erschossen
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/S. Adil

शहर के लियाकताबाद इलाके में अमजद साबरी की कार पर गोलियां दागी गईं. उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन बचाया नहीं जा सका. पुलिस एआईजी मुश्ताक मेहर ने डॉन अखबार को बताया कि दो बंदूकधारी एक मोटरसाइकल पर आए थे. उन्होंने साबरी की कार पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं. 45 साल के साबरी तब अपने एक सहयोगी साथ कार में मौजूद थे. गोलियां लगने से दोनों लोग घायल हो गए. उन्हें फौरन अस्पताल ले जाया गया जहां अमजद साबरी ने दम तोड़ दिया.

पुलिस अधिकारी ने कहा, "हत्यारों ने 30 बोर की पिस्तौलों का इस्तेमाल किया था. उन्होंने साबरी को पांच गोलियां मारीं. दो गोलियां तो उनके सिर पर लगीं और उनकी जान ले ली." एक चश्मदीद गुलाम अहमद ने स्थानीय टीवी चैनल समा टीवी को बताया कि उन्होंने दो लोगों को बाइक पर गोलियां चलाकर भागते हुए देखा. पहले उन्होंने कार की एक तरफ गोलियां चलाईं. फिर वे मुड़े और दूसरी तरफ भी चार गोलियां चलाईं. सिंध सेंसर बोर्ड के प्रमुख फाखरी आलम ने इस घटना के बाद ट्वीट किया है कि साबरी ने सुरक्षा की गुहार लगाई थी लेकिन उनकी अर्जी पर गृह विभाग ने कोई ध्यान नहीं दिया.

साबरी का अपराध क्या था?

अमजद साबरी पाकिस्तान के सबसे अच्छे कव्वालों में से एक थे. उनकी कव्वालियां पाकिस्तान ही नहीं भारत और पूरी दुनिया में मशहूर हैं. उन्होंने सूफियाना संगीत को नया मुकाम बख्शा है और सालोंसाल से एक परंपरा को आगे बढ़ाया. 2014 में उन पर ईशनिंदा के कुछ आरोप लगे थे. इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने अमजद साबरी और दो टीवी चैनलों को सुबह के वक्त एक कव्वाली चलाने के लिए नोटिस जारी किया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस कव्वाली में कुछ धार्मिक हस्तियों का जिक्र था जिसे कुछ लोगों ने ईश्वर का अपमान माना था. तब वकील तारिक असद ने इस ईशनिंदा के लिए कव्वाल अमजद साबरी और लिखने वाले दोनों पर आरोप लगाए थे और कव्वाली पर प्रतिबंध की मांग की थी. हालांकि हत्या के पीछे वही मामला है या कोई और, अभी नहीं कहा जा सकता.

क्या छोड़ गए साबरी?

अमजद साबरी मशहूर कव्वाल मकबूल साबरी के भतीजे थे. 2011 में अपने इंतकाल से पहले मकबूल साबरी ने अपने भाई मरहूम गुलाम फरीद साबरी के साथ मिलकर कव्वाली गायन में खूब नाम कमाया था. 1950 के दशक में उन्होंने एक ग्रुप बनाया था जिसने सूफियाना कव्वाली की एक ऐसी परंपरा शुरू की कि पूरी दुनिया झूम उठी. उसी परंपरा को मकबूल के भतीजे अमजद साबरी आगे बढ़ा रहे थे. वह पाकिस्तान के सबसे नामी कव्वाल बन चुके थे.

साबरी ब्रदर्स के नाम से मशहूर अमजद और उनके भाई के ग्रुप ने जो भी गाया, सुपरहिट रहा. भर दो झोली मेरी, ताजदार ए हरम और मेरा कोई नहीं तेरे सिवा जैसी उनकी कव्वालियों प्रसिद्धि का आलम यह है कि लोग कव्वाली जानते हैं, भले ही साबरी ब्रदर्स को जानें या नहीं.

विवेक कुमार