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क्या गांधी ने पाकिस्तान को 55 करोड़ दिलाने के लिए अनशन किया?

ऋषभ कुमार शर्मा
२ अक्टूबर २०१९

सोशल मीडिया पर कहा जाता है कि भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद गांधी ने पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये दिलाने के लिए अनशन किया था. गांधी ने आजादी के बाद कई अनशन किए लेकिन एक भी अनशन इस वास्ते नहीं किया था.

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Indien Mahatma Gandhi
तस्वीर: picture-alliance/dpa

सोशल मीडिया पर महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू के बारे में ऐसी कई बातें फैलाई जा रही हैं, जिनका तथ्य से कोई लेना देना नहीं है. भारत का दक्षिणपंथी समुदाय गांधी और नेहरू को विलेन साबित करने में लगा है. इसी कड़ी में कई सारी ऐसी झूठ फैलाई जाती हैं जिससे गांधी को विलेन साबित किया जा सके. सोशल मीडिया के जमाने में लोग वॉट्सऐप और फेसबुक पर आए मैसेजों को सच मान अपनी राय कायम कर लेते हैं. हम आपको गांधी के बारे में चलने वाले कुछ झूठ और उनके पीछे की सच्चाई बताएंगे.

भ्रम- गांधी ने पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये दिलाने के लिए अनशन किया था.

सच- भारत और पाकिस्तान के बीच सिर्फ जमीन का बंटवारा नहीं हुआ था बल्कि संसाधनों का भी बंटवारा हुआ था. इसी वजह से तय किया गया कि बड़ा देश होने के नाते भारत पाकिस्तान को 75 करोड़ रुपये देगा. ये उन सभी संसाधनों की कीमत होगी जो पाकिस्तान के हक में थे लेकिन इनका इस्तेमाल भारत करेगा. ये समझौता भारत और पाकिस्तान की सरकारों के बीच में हुआ था. भारत ने पाकिस्तान को 20 करोड़ की पहली किश्त दे दी थी. लेकिन तभी पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला कर दिया. इसलिए भारत सरकार ने पाकिस्तान को दी जाने वाली दूसरी किश्त को रोक दिया. लॉर्ड माउंटबेटन भारत के गवर्नर जनरल थे. उनका मानना था कि भारत को पाकिस्तान को उसके हिस्से का पैसा देना चाहिए क्योंकि दोनों देशों के बीच यह समझौता हुआ है. गांधी भी यही राय रखते थे कि भारत को बदला लेने की नीति नहीं अपनानी चाहिए और समझौते के मुताबिक पाकिस्तान के हिस्से के पैसे देने चाहिए.

Mahatma Gandhi
12 जनवरी से शुरू हुए अनशन में गांधी जी की तस्वीर.तस्वीर: AP

सितंबर 1947 में कलकत्ता से पंजाब जाने के लिए महात्मा गांधी दिल्ली पहुंचे. दिल्ली में उस समय भयंकर हिंदू मुस्लिम दंगे चल रहे थे. वल्लभ भाई पटेल ने गांधी को दिल्ली के बिगड़ते हालातों के बारे में बताया. गांधी ने तुरंत पंजाब जाने का निर्णय स्थगित कर दिल्ली में रुकने और वहां शांति स्थापित होने के बाद पंजाब जाने का फैसला किया. जब कई प्रयासों के बाद भी दिल्ली के हालात काबू में नहीं आए तो 12 जनवरी 1948 को 78 वर्षीय गांधी ने अनशन करने का फैसला किया. वो इन दंगों के खिलाफ उपवास पर बैठ गए. 12 जनवरी की शाम को प्रार्थना सभा में उन्होंने दोनों धर्मों के लोगों के बीच शांति की बात की. 13 जनवरी को भी प्रार्थना सभा में भी गांधी ने पाकिस्तान और 55 करोड़ रुपये का कोई जिक्र नहीं किया. 15 जनवरी को एक पत्रकार ने उनसे इस उपवास की वजह पूछी. इस सवाल के जवाब में भी गांधी ने पाकिस्तान को दिए जाने वाले 55 करोड़ रुपये का कोई जिक्र नहीं किया था. गांधी के उपवास को खत्म करवाने के लिए बनाई गई समिति द्वारा गांधी जी को दिए गए आश्वासनों में भी पाकिस्तान को पैसे दिया जाना शामिल नहीं था. भारत सरकार द्वारा उस समय जारी किए गए प्रेस नोट्स में भी गांधी जी द्वारा पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये देने की मांग का कोई जिक्र नहीं है. तो पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपये देने के लिए गांधी जी ने अनशन किया यह बात भी झूठ है.

Flash-Galerie Indien Mahatma Gandhi
तस्वीर: AP

1953 में पाकिस्तान ने भारत से फिर से वो पैसे देने की मांग की. तब कश्मीर के प्रधानमंत्री रहे बख्शी गुलाम मोहम्मद ने जवाब दिया कि पाकिस्तान के पास भारत की करीब 600 करोड़ की संपत्ति है. पाकिस्तान पहले उसका भुगतान करे. पंजाब राज्य सरकार ने कहा कि पाकिस्तान को जो पानी मिलता है उसका करीब 100 करोड़ का बिल पाकिस्तान पर बकाया है अगर उसे पाकिस्तान चुकता करेगा तो भारत पैसे देगा. साथ ही भारत ने पाकिस्तान की संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनने पर लगी साढ़े चार लाख की फीस भी अदा की थी. भारत ने इस फीस की भी बात पाकिस्तान से की. इस वजह से दोनों देशों के बीच फिर पैसे का कोई लेन देन नहीं हुआ.

इस लेख में दी गई कई जानकारियां गांधी सेवाग्राम आश्रम, वर्धा की वेबसाइट, मार्क शेपर्ड की किताब 'गांधी और उनसे जुड़े झूठ' और पंजाब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजीव लोचन के साथ बातचीत पर आधारित है्.

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