यूएन रिपोर्ट: 2030 तक दुनिया से भुखमरी का खात्मा होना असंभव
२५ जुलाई २०२४संयुक्त राष्ट्र की 24 जुलाई को जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 2030 तक दुनिया से भुखमरी खत्म करने का लक्ष्य हासिल करना कठिन होता जा रहा है. यूएन की रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक खाद्य सुरक्षा और भोजन की सहज उपलब्धता पर युद्ध, जलवायु परिवर्तन और आर्थिक संकट का गहरा असर पड़ रहा है.
वैश्विक खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति से जुड़ी इस रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल तीव्र भूख की समस्या गहरा गई, जबकि पौष्टिक भोजन कई लोगों की पहुंच से बाहर हो गया.
भूख के खिलाफ संघर्ष में प्रगति को झटका लगा
दुनियाभर में भुखमरी खत्म करने की कोशिशों के क्रम में पिछला साल, बीते डेढ़ दशक में सबसे मुश्किल रहा. रिपोर्ट के अनुसार, इसकी वजह से 2023 में लगभग 73 करोड़ लोगों को भूखे पेट रहने के लिए मजबूर होना पड़ा. यानी, दुनिया में हर 11 में से एक व्यक्ति भूख से जूझ रहा था.
अफ्रीकी क्षेत्र में स्थिति खासतौर से गंभीर पाई गई, जहां पांच में से एक व्यक्ति को भूख का सामना करना पड़ा.
इस रिपोर्ट को यूएन की पांच एजेंसियों- खाद्य और कृषि संगठन, अंतरराष्ट्रीय कृषि विकास कोष, यूनिसेफ, विश्व खाद्य कार्यक्रम और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मिलकर प्रकाशित किया है. इसे ब्राजील में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन के लिए पेश किया गया. इसमें सुझाव दिया गया कि वैश्विक भुखमरी को कम करने के लिए खाद्य सुरक्षा और पोषण से जुड़ी फंडिंग में सुधार की जरूरत है.
दुनिया भर में करोड़ों लोगों के सामने है भुखमरी का संकट
स्वस्थ भोजन ज्यादातर लोगों की पहुंच से बाहर
रिपोर्ट में यह चेतावनी भी दी गई है कि अगर मौजूदा स्थितियां जारी रहीं, तो इस दशक के अंत तक लगभग 58 करोड़ से ज्यादा लोग गंभीर कुपोषण का शिकार हो जाएंगे. इनमें से आधे अफ्रीका में होंगे.
खाद्य और कृषि संगठन के अर्थशास्त्री व रिपोर्ट के लेखकों में से एक डेविड लाबोर्डे ने बताया, "आज हम नौ साल पहले की तुलना में बदतर स्थिति में हैं, जब हमने 2030 तक भुखमरी को खत्म करने का लक्ष्य रखा था." उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि हम इस वादे को पूरा करने की दिशा में बेहतर काम कर सकते हैं कि हम ऐसे ग्रह पर रहेंगे, जहां कोई भी भूखा नहीं रहेगा."
खराब पोषण को लेकर चेतावनी
रिपोर्ट में बताया गया कि 2023 में दुनिया की एक तिहाई से अधिक आबादी के लिए स्वस्थ आहार पहुंच से बाहर था. ताजा अनुमानों से पता चलता है कि कम आय वाले देशों में 71.5 प्रतिशत लोग पिछले साल स्वस्थ आहार नहीं ले सके, जबकि उच्च आय वाले देशों में यह आंकड़ा 6.3 प्रतिशत था.
रिपोर्ट के लेखकों का कहना है कि कुपोषण को पहचानना आसान है. लंबे समय तक खराब पोषण के कारण बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. वयस्कों में लंबे समय तक खराब पोषण से संक्रमण और बीमारी का खतरा बढ़ सकता है.
अपर्याप्त प्रयासों की ओर ध्यान दिलाते हुए लाबोर्डे कहते हैं कि खाद्य सुरक्षा और पोषण के लिए "आपातकालीन स्थितियों में चावल के थैले बांटने" जैसी कोशिशें काफी नहीं हैं. इस दिशा में व्यापक रणनीति की जरूरत है. रिपोर्ट की सिफारिशों के मुताबिक, छोटे किसानों को मदद पहुंचाने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा की उपलब्धता बढ़ाना भी बेहद जरूरी है. इससे सिंचाई प्रणालियों में काफी सुधार हो सकता है.
मौजूदा अनुमान के मुताबिक, साल 2030 तक भूख को पूरी तरह से खत्म करने के लिए 176 अरब डॉलर से 3.98 लाख करोड़ डॉलर की जरूरत है. रिपोर्ट में कहा गया है, "समय गंवाने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि निष्क्रियता की लागत, इस रिपोर्ट के लिए आवश्यक कार्रवाई की लागत से कहीं अधिक होगी."
एए/एसएम (एएफपी, रॉयटर्स)