महिलाओं को बराबर आने में 170 साल और लगेंगे
२७ अक्टूबर २०१६रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि महिलाओं ने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व कामयाबी पाई है और 95 देशों में पुरुषों के बराबर हो गई हैं या आगे बढ़ गई हैं, महिलाएं अभी भी पुरुषों से कम कमा रही हैं. उनके नौकरी पाने की संभावना कम होती है और सीनियर पद पाने की संभावना और कम होती है. जिनीवा स्थित विश्व आर्थिक फोरम 2006 से शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक मौकों और राजनीतिक सशक्तीकरण के क्षेत्रों में लैंगिक विषमता के आंकड़े जमा कर रहा है.
हर साल स्विट्जरलैंड के दावोस शहर में दुनिया भर के राजनीतिज्ञों, उद्यमियों और सेलेब्रिटियों का सम्मेलन आयोजित करने के लिए विख्यात विश्व आर्थिक फोरम का कहना है कि सिर्फ आर्थिक क्षेत्र में विकास की गति कम हो रही है. संस्था ने एक बयान में कहा है कि मुख्य आर्थिक आधार में समता की ओर विकास नाटकीय ढंग से धीमा हो गया है और 59 प्रतिशत का अंतर 2008 के बाद से सबसे बड़ा हो गया है.
तस्वीरों में देखिए, लड़कियों को कहां पैदा होना चाहिए
रिपोर्ट की लेखिका सादिया जहीदी बताती हैं कि विषमता के दूर होने में 170 साल का प्रोजेक्शन पिछले 11 साल के डाटा पर आधारित है. इसमें विभिन्न इलाकों में भारी लैंगिक विषमता के आंकड़ों का भी ख्याल रखा गया है. रिपोर्ट के अनुसार पश्चिमी यूरोप में 47 साल के अंदर पुरुषों और महिलाओं के बीच आय का अंतर दूर हो जाने की संभावना है, जबकि दक्षिण एशिया में यदि प्रयास तेज नहीं किए गए तो 1000 साल से ज्यादा लगेंगे.
लैंगिक समता की सूची में स्कैंडिनेविया के देश चोटी पर हैं. आइसलैंड में पुरुष और महिलाओं के बीच सबसे ज्यादा समानता है. उसके बाद फिनलैंड, नॉर्वे और स्वीडन हैं.पांचवें नंबर पर रवांडा है जहां राष्ट्रपति पॉल कागामे ने लैंगिक समानता को अपनी सरकार की मुख्य नीति बना दिया है. हालांकि मानवाधिकार संगठन उनके निरंकुश बर्ताव और विपक्ष को दबाने के लिए कड़ी आलोचना कर रहे हैं.
एमजे/वीके (एएफपी)
यह भी देखें: सेहत का संकेत हैं स्तन