दुर्गा पूजा: कहां से कहां तक
दुर्गा पूजा हर साल बदल रही है. बंगाल से भारत भर में फैल चुका यह त्योहार अब राजनीतिक हो चुका है. देखिए, तस्वीरें...
दीदी से मां
हर साल एक-दूसरे को पछाड़ने की होड़ में जुटे आयोजकों ने अबकी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ही दुर्गा का दर्जा दे दिया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक जगह मां के रूप में खड़ी नजर आ रही हैं तो दूसरी जगह मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने याचक के रूप में.
बंगाल से भारत
दुर्गापूजा पश्चिम बंगाल का सबसे बड़ा त्योहार है. अब धीरे-धीरे इसने राष्ट्रीय त्योहार का स्वरूप ले लिया है.
3 से 10
पहले महज तीन दिनों तक चलने वाला यह उत्सव अब दस दिनों तक आयोजित होता है.
खर्च से महाखर्च
इस पूजा की भव्यता लगातार बढ़ रही है. पंडालों की साज-सज्जा और बिजली की सजावट पर भारी रकम खर्च की जाती है.
कुछ से दस हजार
पूरे बंगाल में 10 हजार पंडाल बनते हैं. इनमें से साढ़े तीन हजार पंडाल अकेले कोलकाता में बनाए जाते हैं. विदेशों में बसे बंगाली भी दुर्गापूजा का आयोजन करते हैं.
कारीगरी से कला
हजारों कारीगर महीनों पहले से ही पंडाल बनाने का काम शुरू कर देते हैं.
समिति से राजनीति
आयोजन समितियां हर साल नई थीम पर पूजा आयोजित करती हैं.
कला से समाज
पूरे साल के दौरान देश-दुनिया में घटने वाली घटनाएं पूजा के दौरान पंडालों की साज-सज्जा और बिजली की सजावट के जरिए प्रतिबिंबित होती हैं.
मैडम तुसाद से चांद
पूजा पंडालों में कहीं चांद पर बस्ती की कल्पना को साकार किया गया है तो कहीं मैडम तुसाद के संग्रह को पंडाल में उतार दिया गया है.
देश से विदेश
वैसे, देश के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों में भी काफी धूमधाम से इसका आयोजन होता है. लेकिन जो बात बंगाल में है, वह कहीं और देखने को नहीं मिलती.