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आज शाम आमने सामने होंगे ट्रंप और बाइडेन

२९ सितम्बर २०२०

"स्लीपी जो" या टैक्स की चोरी करने वाले ट्रंप - अमेरिकी चुनाव में किसका पलड़ा भारी है? आज शाम ट्रंप और बाइडेन के बीच होने वाली बहस इसे साफ कर देगी.

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Verschwörungsmythos QAnon | US-Präsident Donald Trump
तस्वीर: Evan Vucci/AP Photo/picture-alliance

मंगलवार रात को अमेरिकी राष्ट्रपति पद के दोनों उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप और जो बाइडेन पहली बार प्रेजिडेंशियल डिबेट में आमने सामने होंगे. 90 मिनट तक चलने वाली इस बहस का टीवी पर लाइव प्रसारण होगा. अमेरिका में प्रेसिडेंशियल डिबेट बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं जिनमें जनता सीधे सीधे दोनों उम्मीदवारों की एक दूसरे से तुलना कर पाती है.

ट्रंप की सबसे बड़ी चुनौतियां

डॉनल्ड ट्रंप के लिए यह डिबेट आसान नहीं होगी. कोरोना के चलते अमेरिका में दो लाख लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. दुनिया के किसी भी देश में इस वायरस ने इतने लोगों की जान नहीं ली है. अर्थव्यवस्था पर पड़े असर का नतीजा है कि देश में लाखों लोग बेरोजगार हैं. ट्रंप को इस सब पर सफाई देनी होगी. इसके अलावा हाल ही में उनके ना के लगभग आयकर जमा करने की बात सामने आई है जिसे जो बाइडेन यकीनन मुद्दा बनाएंगे. जनता के लिए यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप अपना बचाव कैसे करते हैं.

वैसे, ट्रंप अपने खिलाफ किसी भी आरोप को फेक न्यूज की संज्ञा दे कर बात को खत्म कर देने के लिए जाने जाते हैं. जानकारों का मानना है कि ट्रंप इन आरोपों को दरकिनार करते हुए बाइडेन पर निजी स्तर पर वार करेंगे. वे उनकी सेहत और पारिवारिक रिश्तों पर तंज कर सकते हैं. 2016 में हिलेरी क्लिंटन के साथ प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान भी उन्होंने ऐसा ही किया था और तब उन्हें इसका फायदा भी मिला था.

USA: US-Präsidentschaftskandidat Joe Biden in Philadelphia, Pennsylvania
तस्वीर: Mark Makela/Reuters

बाइडेन कैसे करेंगे खुद को साबित

जहां जो बाइडेन ने अपने चुनावी अभियान में टैक्स को मुद्दा बनाया हुआ है, वहीं ट्रंप का कैम्पेन बाइडेन को शारीरिक और मानसिक रूप से अस्वस्थ दिखाने पर टिका हुआ है. ट्रंप की खुद की उम्र 74 साल है लेकिन वे लगातार 77 साल के बाइडेन को राष्ट्रपति पद के लिए अयोग्य बताते रहे हैं. यहां तक की उन्हें "स्लीपी जो" के नाम से बुलाया जाता है. इसलिए बाइडेन की सबसे बड़ी चुनौती होगी 90 मिनटों में अमेरिकी जनता को विश्वास दिलाना कि वे इस काम के लिए फिट हैं. दोनों नेताओं का तजुर्बा देखा जाए तो राजनीति में बाइडेन का तजुर्बा काफी ज्यादा. घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी उनकी पकड़ अच्छी है. पर सवाल है कि क्या जनता के लिए यह काफी होगा. बहस की कला में बाइडेन बहुत अच्छे नहीं हैं.

लोकतंत्र में किसका पलड़ा भारी?

अमेरिका में 3 नवंबर को चुनाव होने हैं. जैसे जैसे यह दिन करीब आ रहा है, ट्रंप चुनावों में धांधली पर जोर दे रहे हैं. भले ही ट्रंप के पास खुद को साबित करने के लिए कोई तथ्य मौजूद नहीं है लेकिन उनके समर्थक इस बात में भरोसा रखते हैं. हालांकि कोरोना के चलते चुनाव आयोजित करना मुश्किल है लेकिन बावजूद इसके जानकारों का कहना है कि चुनावों में किसी भी तरह की गड़बड़ की बात सही नहीं है. इसमें कोई शक नहीं कि मंगलवार शाम ट्रंप फिर इस पर जोर देंगे और असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश करेंगे.

वहीं जो बाइडेन की टीम उन्हें तथ्यों पर टिके रहने और ट्रंप को भी तथ्यों के ही आधार पर चुनौती देने की सलाह दे रही है. वैसे, बाइडेन अपने सलाहकारों की बातें ना मानने और अपने मन की करने के लिए जाने जाते हैं लेकिन इस बार भी अगर उन्होंने ऐसा ही किया तो ट्रंप भी उन्हें कींचड़ में खींचने की कोशिश जरूर करेंगे. यूं भी ट्रंप को छींटाकशी में मजा आता है. बाइडेन की सबसे बड़ी चुनौती खुद को इस कीचड़ से बचा कर रखने की होगी.

डॉनल्ड ट्रंप सालों तक अमेरिका में रिएलिटी टीवी स्टार रहे हैं. ना ही उन्हें कैमरे से डर लगता है और ना अपनी मनमर्जी की कोई भी बात कहने से. 2020 की पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट यह तय कर देगी कि लोकतंत्र में किसका पलड़ा भारी होगा.

आईबी/एनआर (एपी)

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