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समाज

क्यों स्ट्राइक कर रहे हैं भारत के डॉक्टर

२ जनवरी २०१८

इस हड़ताल के चलते निजी अस्पतालों में ऑपरेशन भी रुक गए हैं. देश भर में मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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Symbolbild Arzt, Geburtshilfe
तस्वीर: Imago/ITAR-TASS/A. Ryumin

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) विधेयक 2017 को 'जन विरोधी और मरीज विरोधी' करार देते हुए मंगलवार को देशभर के निजी अस्पतालों को 12 घंटे बंद रखने का आह्वान किया है. आईएमए के 2.77 लाख सदस्य हैं, जिसमें देशभर में फैले कॉरपोरेट अस्पताल, पॉली क्लीनिक एवं नर्सिंग होम शमिल हैं.

यह मांग तब सामने आई है, जब आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉकटर केके अग्रवाल और वर्तमान अध्यक्ष रवि वानखेड़े केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से मिले और विधेयक में व्यापक संशोधन की बात उठाई. यह विधेयक लोकसभा में शुक्रवार को पेश किया गया था.

वानखेड़े ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से कहा, "आईएमए इस विधेयक का विरोध करता है और इस मुद्दे को लेकर लोगों और मरीजों के पास जाने के सिवा कोई चारा नहीं है. हमने अपने सदस्य अस्पतालों एवं स्वास्थ्य संस्थाओं से मंगलवार को 12 घंटे बंद रखने का आह्वान किया है. इस दौरान सभी अस्पतालों में ओपीडी एवं वैकल्पिक सर्जरी की सेवाएं सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक बंद रहेंगी."

आईएमए एक वैधानिक निकाय है और यह राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग गठित करने संबंधी विधेयक का पिछले माह कैबिनेट की मंजूरी मिलने के समय से ही विरोध करता रहा है और उसमें संशोधन की मांग कर रहा है.

आईएमए ने इस विधेयक को 'जन विरोधी और मरीज विरोधी' की संज्ञा दी है. इसका कहना है कि एक तरफ यह विधेयक भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए लाया जा रहा है, जबकि इससे भ्रष्टाचार की बाढ़ आ जाएगी. आईएमए की ओर से जारी बयान में यह भी कहा गया है कि यह विधेयक गरीब विरोधी है.

बिल में आयुर्वेद सहित भारतीय चिकित्सा पद्धति के चिकित्सकों को ब्रिज कोर्स करने के बाद एलोपैथी की प्रैक्टिस की इजाजत दी गई है. आईएमए का कहना है कि इससे बड़े पैमाने पर चिकित्सा का स्तर गिरेगा और यह मरीज की देखभाल तथा सुरक्षा के साथ खिलवाड़ होगा. आईएमए की मांग है कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति के तहत प्रैक्टिस के लिए एमबीबीएस का मानक बना रहना चाहिए.

आईएएनएस/आईबी