रूस ने भारत को एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की सप्लाई शुरू कर दी है. रूसी समाचार एजेंसियों ने रविवार को रूसी सैन्य सहयोग एजेंसी के प्रमुख दिमित्री शुगायेव के हवाले से यह खबर दी. हालांकि भारत सरकार ने अभी कोई टिप्पणी नहीं की है.
हथियारों की रूस से होने वाली यह सप्लाई भारत पर अमेरिकी प्रतिबंध का खतरा बढ़ा देती है. अमेरिका ने 2017 में एक कानून पास किया था जिसके तहत रूस से सैन्य हथियार खरीदने से देशों को हतोत्साहित करने के लिए प्रतिबंधों का प्रावधान है.
55 अरब डॉलर का समझौता
रूसी समाचार एजेंसी इंटरफैक्स को शुगायेव ने दुबई के एयरशो के दौरान कहा, "पहली सप्लाई पहले ही शुरू हो चुकी है." शुगायेव ने कहा कि एस-400 सिस्टम की पहली खेप इस साल के आखिर तक भारत पहुंच जाएगी.
देखिए, बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल में क्या फर्क है
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बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल में क्या है फर्क
क्रूज और बैलेस्टिक
मिसाइल मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं. एक क्रूज मिसाइल होता है जिसके तहत सबसोनिक, सुपरसोनिक और हाईपर सोनिक क्रूज मिसाइल आते हैं. ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल है और ब्रह्मोस 2 हाइपरसोनिक मिसाइल है. वहीं दूसरा बैलेस्टिक मिसाइल होता है.
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बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल में क्या है फर्क
क्रूज मिसाइल
क्रूज मिसाइल एक मानवरहित स्व-चालित वाहन है जो एयरोडायनामिक लिफ्ट के माध्यम से उड़ान भरता है. इसका काम एक लक्ष्य पर विस्फोटक या विशेष पेलोड गिराना हैं. यह जेट इंजन की मदद से पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर उड़ान भरते हैं. इनकी गति काफी तेज होती है.
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बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल में क्या है फर्क
बैलेस्टिक मिसाइल
बैलिस्टिक मिसाइल एक ऐसी मिसाइल है जो अपने स्थान पर छोड़े जाने के बाद तेजी से ऊपर जाती है और फिर गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से नीचे आते हुए अपने लक्ष्य को निशाना बनाती है. बैलेस्टिक मिसाइल को बड़े समुद्री जहाज या फिर संसाधनों से युक्त खास जगह से छोड़ा जाता है. पृथ्वी, अग्नि और धनुष भारत के बैलिस्टिक मिसाइल हैं.
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बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल में क्या है फर्क
सरफेस टू सरफेस मिसाइल
लॉन्च मोड के आधार पर भी मिसाइलों को कई तरह से बांटा गया है. सरफेस टू सरफेस मिसाइल एक निर्देशित लक्ष्य पर वार करती है. इसे वाहन पर रखकर या किसी जगह पर इंस्टॉल कर लॉन्च किया जाता है. आमतौर पर इसमें रॉकेट मोटर लगा होता है या फिर कभी-कभी लॉन्च प्लेटफॉर्म से विस्फोटक के माध्यम से छोड़ा जाता है.
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बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल में क्या है फर्क
सरफेस टू एयर मिसाइल
इस मिसाइल का उपयोग जमीन से हवा में किसी निशाने को भेदने के लिए किया जाता है, जैसे कि हवाईजहाज, हेलिकॉप्टर या फिर बैलेस्टिक मिसाइल. इस मिसाइल को आमतौर पर एयर डिफेंस सिस्टम कहते हैं क्योंकि ये दुश्मनों के हवाई हमले को रोकते हैं.
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बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल में क्या है फर्क
लैंड टू सी मिसाइल
इस मिसाइल को जमीन से छोड़ा जाता है जो दुश्मनों की समुद्री जहाज को निशाना बनाते हैं.
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बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल में क्या है फर्क
एयर टू एयर मिसाइल
एयर टू एयर (हवा से हवा में मार करने वाली) मिसाइल को किसी एयरक्राफ्ट से छोड़ा जाता है, जो दुश्मनों के एयरक्राफ्ट को नष्ट कर देती है. इसकी गति 4 मैक (करीब 4800 किलोमीटर प्रतिघंटा) होती है.
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बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल में क्या है फर्क
एयर टू लैंड मिसाइल
एयर टू लैंड मिसाइल को सेना के विमान से छोड़ा जाता है जो समुद्र, जमीन या दोनों जगहों पर निशाना लगाती है. इस मिसाइल को जीपीएस सिग्नल के माध्यम से लेजर गाइडेंस, इफ्रारेड गाइडेंस या ऑप्टिकल गाइडेंस से निर्देशित किया जाता है.
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बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल में क्या है फर्क
सी टू सी मिसाइल
इस मिसाइल को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि यह समुद्र में मौजूद अपने दुश्मनों के जहाज या पनडुब्बियों को नष्ट कर देती है. इसे समुद्री जहाज से ही लॉन्च किया जाता है.
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बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल में क्या है फर्क
सी टू लैंड मिसाइल
इस तरह के मिसाइल को समुद्र से लॉन्च किया जाता है जो सतह पर मौजूद अपने दुश्मन के ठिकानों को नष्ट कर देती है.
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बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल में क्या है फर्क
एंटी टैंक मिसाइल
एंटी टैंक मिसाइस वह होती है जो दुश्मनों के सैन्य टैंकों और अन्य युद्ध वाहनों को नष्ट कर देती है. इसे एयरक्राफ्ट, हेलिकॉप्टर, टैंक या कंधे पर रखे जाने वाले लांचर से भी छोड़ा जा सकता है.
रिपोर्ट: रवि रंजन
भारत और रूस के बीच इन हथियारों को खरीदने का समझौता 2018 में हुआ था. 55 अरब डॉलर के इस समझौते के तहत लंबी दूरी की जमीन से हवा में मार करने वालीं पांच मिसाइल खरीदे गए थे, जिन्हें भारत ने चीन से खतरे के मद्देनजर जरूरी बताया था.
रूस से ये सिस्टम खरीदने के कारण भारत पर कड़े अमेरिकी प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. काट्सा - काउंटरिंग अमेरिकाज अडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस ऐक्ट (CAATSA) में रूस को उत्तर कोरिया और ईरान के साथ उन देशों की सूची में रखा गया है जिन्हें अमेरिका ने अपना बैरी बताया है. इसकी वजह यूक्रेन में रूस की कार्रवाई, 2016 के अमेरिकी चुनावों में दखलअंदाजी और सीरिया की मदद जैसी रूसी गतिविधियां बताई गईं.
साझेदारी मुश्किल में
भारत का कहना है कि उसकी रूस और अमेरिका दोनों के साथ रणनीतिक साझेदारी है. इस आधार पर उसने अमेरिका से काट्सा कानून से राहत की अपील भी की थी. हालांकि अमेरिका ने भारत को बता दिया था कि राहत मिलने की संभावना कम ही है.
पिछले साल इसी कानून के तहत अमेरिका ने तुर्की पर भी प्रतिबंध लगा दिए थे जब उसने रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदा था. ये प्रतिबंध तुर्की की हथियार खरीदने और विकसित करने वाली संस्था प्रेजीडेंसी ऑफ डिफेंस इंडस्ट्रीज के खिलाफ लगाए गए थे.
देखिए, दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू विमान
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दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू विमान
एफ-22 रैप्टर
अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन का यह विमान रडारों के लिए लगभग अदृश्य रहता है. इसे अब तक का सबसे आधुनिक, महंगा और उन्नत लड़ाकू विमान माना जाता है. इसके कई सेंसर और विमान से जुड़ी कई तकनीकों को गोपनीय रखा गया है. वर्तमान में अमेरिकी वायुसेना की जान यही विमान है. अमेरिका ने इसे अब तक किसी और देश को नहीं बेचा है.
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दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू विमान
एफ-35
एफ-35 को भी लॉकहीड मार्टीन ने ही बनाया है. यह एफ-22 से थोड़ा छोटा है और उसमें एक ही इंजिन है हालांकि कई चीजें इसमें एफ-22 जैसी ही हैं. यह अपनी गुप्त चालों के लिए विख्यात है और आसानी से रडारों की पकड़ में नहीं आता. वायु रक्षा अभियानों में यह कई तरह से उपयोगी है. हवा से हवा में और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस है और बमों की वर्षा करने में माहिर.
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दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू विमान
चेंगदू जे-20
चीन ने इस विमान को रूस की मिग कंपनी की मदद से बनाया है. चीनी वायु सेना ने इसे 2017 में आधिकारिक रूप से अपने बेड़े में शामिल किया. चीन ने इस विमान के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी है. यह एक मध्य और लंबी दूरी का लड़ाकू विमान है जो जमीन पर भी हमला कर सकता है. इसमें अमेरिकी एफ-22 विमान से ज्यादा हथियार और ईंधन रखने की क्षमता है.
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दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू विमान
एफ/ए-18 ई/एफ सुपर हॉर्नेट
वर्तमान में सुपर हॉर्नेट अमेरिकी नौसेना का सबसे काबिल लड़ाकू विमान है. यह विमानवाही युद्ध पोतों से उड़ान भर कर हवा और सतह पर मार कर सकता है. बोइंग कंपनी का बनाया यह विमान ऑस्ट्रेलिया में भी प्रमुख लड़ाकू विमान के रूप में सेवा दे रहा है. इसमें नए इंजिन लगाए गए हैं और ज्यादा मिसाइलें लगाई जा सकती हैं.
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दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू विमान
यूरोफाइटर टाइफून
1986 में जर्मनी, इटली, यूके, और बाद में स्पेन ने मिल कर लड़ाकू विमान बनाने के लिए यूरोफाइटर कंसोर्टियम बनाया था. यह विमान उन्नत यूरोपीय मिसाइलों से लैस है और इसमें आधुनिक विमानन की उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है. माना जाता है कि एफ-22 रैप्टर की तुलना में इसकी मारक क्षमता आधी है हालांकि यह एफ-15, फ्रेंच रफाएल, सुखोई 27 जैसे कई और विमानों से काफी बेहतर है.
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दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू विमान
राफाल
फ्रांस की दासो कंपनी ने इसे बनाया है जो फिलहाल वहां की वायु सेना और नौ सेना की सेवा में हैं. अत्याधुनिक तकनीकों से लैस इस विमान की फुर्ती बेजोड़ है. यह एक वक्त में 40 निशानों का पता लगाने के साथ ही उनमें से चार पर एक साथ वार कर सकता है. भारत ने इसी विमान के लिए फ्रांस की सरकार से सौदा किया है.
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दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू विमान
सुखोई 35
रूस का यह विमान काफी तेज होने के साथ ही फुर्तीला भी है और लंबी रेंज के साथ ही ज्यादा ऊंचाई पर उड़ने और भारी संख्या में हथियारों को ले कर चल सकता है. इसके 12 डैनों में 8000 किलो तक हथियार ले जाने की क्षमता है. इसके बड़े और ताकतवर इंजन लंबे समय तक उड़ान भरने में मददगार हैं. रूस ने यह विमान सुखोई 27 और मिग 29 की जगह लेने के लिए बनाए हैं.
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दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू विमान
एफ-15 ईगल
एफ-15 ईगल 30 साल से सेवा में है और यह अभी भी शत्रु की रक्षा पंक्ति को तोड़ने वाले विमानों में अग्रणी माना जाता है. इसने 100 से ज्यादा मारक हवाई हमले किए हैं और इसे शीत युद्ध के दौर का सबसे कामयाब लड़ाकू विमान माना जाता है. दुश्मन के इलाके में उड़ान भरते हुए भी यह उनके विमानों का पता लगाने और उन पर हमला करने में सक्षम है.
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दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू विमान
मिग-31
नाटो के हवाई हमलों और क्रूज मिसाइलों से बचने के लिए सोवियत रूस ने इस विमान को बनाया था. इसकी रफ्तार तेज है और यह ऊंची उड़ान भर सकता है हालांकि ऐसा करने के क्रम में इसकी फुर्ती थोड़ी कम हो जाती है. दुश्मनों के जहाज को यह दूर से ही अपनी मिसाइलों से ध्वस्त कर देता है. रूसी हवाई सुरक्षा में अहम जिम्मेदारी आज भी इसी विमान की है.
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दुनिया के बेहतरीन लड़ाकू विमान
एफ-16 फाइटिंग फाल्कन
एफ 16 वास्तव में एफ-15 ईगल का ही हल्का और कम खर्चीला संस्करण है. एफ-15 से उलट यह हवा और जमीन दोनों जगहों पर वार कर सकता है. लॉकहीड मार्टिन ने बड़ी संख्या में यह विमान बनाए हैं और फिलहाल यह अमेरिका समेत 26 देशों की सेना में शामिल है. ये विमान छोटे और फुर्तीले हैं और इसका कॉकपिट पायलट को ज्यादा साफ देखने में मददगार है.
साथ ही, अमेरिका ने तुर्की को अपने एफ-35 फाइटर जेट प्रोग्राम से भी बाहर कर दिया था. एफ-35 अमेरिका के बेड़े में सबसे आधुनिक फाइटर जेट है जो सिर्फ नाटो देशों और अमेरिका के साथियों के लिए ही उपलब्ध है.
इन प्रतिबंधों के जवाब में रूस ने कहा था कि वह आधुनिक फाइटर जेट विकसित करने में तुर्की की मदद करेगा. हालांकि इस बारे में अभी कोई समझौता नहीं हुआ है. दिमित्री शुगायेव ने आरआईए न्यूज एजेंसी को बताया, "उस योजना में अभी भी हम मोलभाव के चरण में हैं."
वीके/एए (रॉयटर्स)