प्रधानमंत्री की कोविड मैनेजमेंट टीम के प्रमुख सदस्य डॉ. वीके पॉल का कहना है कि ऐसा कोई सबूत नहीं है कि बच्चे कोविड-19 की तीसरी लहर में प्रभावित होंगे. उन्होंने कहा कि वयस्कों को बच्चों को बचाने के लिए वैक्सीन लेनी चाहिए. केंद्र सरकार ने देश भर में माता-पिता के बीच चिंता को खत्म करते हुए कहा कि वर्तमान में ऐसा कोई डेटा उपलब्ध नहीं है जो यह बताए कि बच्चों को खतरा है. इससे पहले मई में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया भी कह चुके हैं कि अब तक ऐसा कोई संकेत नहीं है कि कोविड-19 की तीसरी लहर से बच्चे अधिक प्रभावित होंगे.
उन्होंने कहा था कि इस महामारी की पहली और दूसरी लहर से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार बच्चों में इस वायरस का कोई गंभीर असर नहीं दिखा है. डॉ. पॉल का कहना है कि अगर माता-पिता को वैक्सीन लग जाती है तो वायरस बच्चों तक नहीं पहुंच सकता है और संक्रमण से बच्चों को बचाया जा सकता है.
राज्यों की तैयारी
दिल्ली में कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए की जा रही तैयारियों की समीक्षा की गई. राज्य सरकार ने कोरोना से बचाव के लिए महिला-बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने के निर्देश दिए हैं. दिल्ली सरकार के मुताबिक कोरोना की संभावित तीसरी लहर में बच्चों पर ज्यादा असर होने की आशंका है. इसको देखते हुए दिल्ली सरकार के संस्थानों में रह रहे अनाथ, बेघर और दिव्यांग बच्चों का आंकड़ा तैयार किया जा रहा है. गैर लाभकारी संगठन और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओ की मदद से उन बच्चों को सुरक्षा के दायरे में लाना होगा.
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
गुआदालुप
11 साल, कोलंबिया
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
जूड
पांच साल, लेबनान
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
ऐंटोनिस
छह साल, ग्रीस
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
जेसिका
11 साल, सिंगापुर
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
पौला
14 साल, जर्मनी
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
वीनस
10 साल, ईरान
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
डैनिल
10 साल, रूस
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
जोशी
17 साल, भारत
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
अनीसा
11 साल, इंडोनेशिया
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
यास्मीन
10 साल, मोरक्को
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
मीरा जेनेप
10 साल, तुर्की
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
सखा
छह साल, इंडोनेशिया
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
नूर
11, इंडोनेशिया
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
एमिलिया
नौ साल, चिली
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
लूसिया
नौ साल, वेनेजुएला
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
बिलाल
आठ साल, इंडोनेशिया
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
रिजकी
नौ साल, इंडोनेशिया
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
आगुस्तीना
12 साल, चिली
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
वोकिम
10 साल, चिली
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
एलेग्जेंडर
10 साल, रूस
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
आंद्रे
10 साल, रूस
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
अलिसा
11 साल, रूस
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
रेजिना
10 साल, मेक्सिको
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
क्लावियो
11 साल, कोलंबिया
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
रफन
सात साल, भारत
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
लोपेज
11 साल, कोलंबिया
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
आमिर
नौ साल, मेक्सिको
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
साल्वादोर
पांच साल, चिली
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
रैदनि
दो साल, भारत
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
सोसिच
13 साल, फ्रांस
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
गेब्रियल
सात साल, बोलीविया
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
रिया
नौ साल, भारत
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
दानिएला
10 साल, कोलंबिया
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
डेलीला
छह साल, भारत
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
मार्क
आठ साल, लेबनान
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बच्चे कैसे देखते हैं कोरोना महामारी को
मारी
11 साल, जर्मनी
इस काम में महिला-बाल विकास विभाग को एक नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करके सभी बाल गृहों, एनजीओ और ऑब्जर्वेशन होम के बीच में समन्वय स्थापित करना होगा. दिल्ली के महिला एवं बाल विकास और समाज कल्याण विभाग के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि ऐसे बच्चे जिनके दोनों या या किसी एक माता पिता की मृत्यु हो चुकी है, उनका असल आंकड़ा जानने के लिए स्वास्थ विभाग की मदद ली जानी चाहिए. महिला-बाल विकास विभाग के निदेशक ने बताया कि यह आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग से मांगा जा रहा है, ताकि जिलेवार सर्वे करा कर ऐसे अनाथ, बेघर और दिव्यांग बच्चों का असल आंकड़ा पता किया जा सके.
गौतम ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे बच्चों का भी पता लगाया जाना चाहिए, जिनके माता-पिता की मृत्यु रिकॉर्ड में नहीं आ पाई है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग दिल्ली के सभी शवदाह गृहों से आंकड़ा लेकर उसको शामिल करें. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अस्पतालों में बच्चों के हिसाब से वेंटिलेटर, मास्क आदि तैयार किए जा रहे हैं. उनके मुताबिक अस्पतालों में बच्चों के साथ उनके माता-पिता या एक अटेंडेंट के ठहरने की व्यवस्था के प्रावधान भी किए जा रहे हैं.
दिल्ली सरकार के अधिकारी के मुताबिक बच्चों को संभावित तीसरी लहर से सुरक्षित रखने के लिए ऐसे माता-पिता का टीकाकरण अनिवार्य है, जिनके बच्चे अभी छोटे हैं या टीकाकरण की आयु से कम हैं. भारत में 18 साल से कम आयु के बच्चों के लिए अभी टीका उपलब्ध नहीं है. ऐसे में संभावित तीसरी लहर के दौरान बच्चों को बचाने के लिए हर तरह की तैयारी और रोकथाम के उपाय ही कारगर साबित हो सकते हैं.
(इनपुटः आईएएनएस)
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आखिर वुहान में है क्या
चीन का महत्वपूर्ण शहर
वुहान चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी है. इसका स्थान चीन के सबसे ज्यादा आबादी वाले शहरों में नौवें पायदान पर है और यह चीन के नौ 'राष्ट्रीय केंद्रीय शहरों' में से एक है.
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आखिर वुहान में है क्या
महामारी का जनक
दिसंबर 2019 में कोविड-19 महामारी फैलाने वाला एसएआरएस-सीओवी-दो कोरोना वायरस सबसे पहले वुहान में ही पाया गया था. जनवरी 2020 में दुनिया की सबसे पहली तालाबंदी यहीं लगी थी.
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आखिर वुहान में है क्या
मांस के बाजार पर नजर
अभी तक माना यही जाता है कि इस वायरस के फैलने की शुरुआत वुहान के मछली और मांस के बाजारों से हुई. लेकिन साथ ही साथ ऐसी अटकलें भी लगती रही हैं कि इस वायरस पर वुहान में स्थित एक प्रयोगशाला में शोध चल रहा था और इसके वहां से लीक होने की वजह से महामारी फैली.
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आखिर वुहान में है क्या
लैब का रहस्य
वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को तरह तरह के वायरसों पर शोध के लिए जाना जाता है. ऐसे आरोप लगते आए हैं कि यहां के शोधकर्ता अक्सर यहां से काफी दूर स्थित कुछ गुफाओं में चमगादड़ों के सैंपल लेने जाते थे और वहीं से यह वायरस प्रयोगशाला पहुंचा और फिर लीक हुआ.
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आखिर वुहान में है क्या
अधूरे निष्कर्ष
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस साल की शुरुआत में वायरस की उत्पत्ति की जांच शुरू की थी और एक जांच दल को वुहान भेजा था. लेकिन दल वायरस के स्रोत का निर्णायक रूप से पता नहीं लगा सका. डब्ल्यूएचओ की टीम ने जांच के बाद निर्धारित किया कि लैब से वायरस का प्रसार "बेहद नामुमकिन" है.
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आखिर वुहान में है क्या
अटकलें जारी
इस अध्ययन से इस विवाद का अंत नहीं हुआ. अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अमेरिका की खुफिया एजेंसियों से कहा है कि वे कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच करें और 90 दिनों के भीतर जांच के नतीजों को सामने रखें.
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आखिर वुहान में है क्या
पारिस्थितिक प्रमाण मौजूद
कई विशेषज्ञों का मानना है कि चूंकि रोगाणुओं पर जिम्मेदारी के साथ काम करने के लिए कोई बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय मानक नहीं हैं, इसलिए इस तरह के लीक जैसे हादसे बिलकुल हो सकते हैं. वुहान से करीब 1000 मील दूर वो गुफाएं हैं जहां कोरोना वायरस के संभावित पूर्वज वायरस वाले चमगादड़ रहते हैं. इस बात की जानकारी है कि वुहान के वैज्ञानिक सैंपल लेने इन गुफाओं तक नियमित रूप से जाते थे.
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आखिर वुहान में है क्या
बना हुआ है रहस्य
लेकिन इसके बावजूद अभी भी निर्णायक रूप से यह कहना संभव नहीं है कि वायरस की उत्पत्ति प्राकृतिक रूप से नहीं बल्कि वुहान की लैब से हुई थी. देखना होगा कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियां क्या पता लगा पाती हैं.
रिपोर्ट: चारु कार्तिकेय