1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

बामियान के बुद्ध फिर से बनाए जाएं या नहीं?

१ दिसम्बर २०१६

अफगानिस्तान के बामियान प्रांत में पहाड़ियों में उकेरी गईं बुद्ध की विशाल प्रतिमाएं सदियों से वहां मौजूद थीं. लेकिन 2001 में तालिबान ने इन्हें तबाह कर दिया था. अब बहस हो रही है कि इन्हें फिर से बनाया जाए.

https://p.dw.com/p/2TZTk
Buddhastatuen in Bamiyan Afghanistan
तस्वीर: AP

इस इलाके में रहने वाले लोगों के लिए ये प्रतिमाएं बरसों तक उनकी जिंदगी का हिस्सा रही हैं. इन्हें नष्ट किए जाने के लगभग 15 साल बाद अब ये लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि प्रतिमाएं फिर से बनाई जाएंगी. लेकिन इस बार में जानकारों की राय बंटी हुई है. कुछ लोगों का कहना है कि प्रतिमाएं फिर से बनाने की बजाय जो कुछ वहां बचा है, उसे संरक्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.

मध्य अफगानिस्तान में बामियान में इस जगह पर काम करने वाले पुरातत्वविदों की जर्मनी के म्यूनिख में एक बैठक हो रही है. इनमें अफगान, जर्मन, फ्रांसीसी और जापानी पुरातत्वविद् शामिल हैं. बैठक में तय होगा कि आगे क्या किया जाएगा.

सभी अफगान और खास तौर से इन पहाड़ियों के सामने मौजूद खेतों में काम करने वाले किसानों को इस विरासत के नष्ट होने का बहुत दुख है. इनमें सबसे अहम दो प्रतिमाएं थीं. सबसे बड़ी सालसाल 56 मीटर ऊंची थी जबकि दूसरी प्रतिमा शमामा की ऊंचाई 38 मीटर थी. तालिबान ने 2001 में बम से उन्हें उड़ा दिया. इसके साथ ही उसने बामियान में रहने वाले शिया समुदाय हजारा के हजारों लोगों की हत्या कर दी थी.

देखिए ऐसे होते हैं अफगान

27 साल के हकीम सफा अफगान संस्कृति मंत्रालय के एक कर्मचारी हैं और बामियान के इस ऐतिहासिक स्थल पर टिकट बेचते हैं. वो कहते हैं, "हमारे लिए ये माता पिता की तरह थीं. मुझे तो लगता है कि मेरा परिवार मुझसे अलग हो गया है." वहीं बामियान यूनिवर्सिटी में पुरातत्व विभाग में प्रोफेसर रसूल चोजई कहते हैं, "आसपास के गावों के लोग तो बहुत चाहते हैं कि इन प्रतिमाओं को फिर से बनाया जाए.. वे बराबर हमसे कहते हैं कि आप कब से काम शुरू कर रहे हो?"

लेकिन इन प्रतिमाओं को इतनी बुरी तरह ध्वस्त किया गया है कि ये भी साफ नहीं है कि उन्होंने फिर बनाया जा सकता है या नहीं. यूनेस्को और पुरातत्वविदों ने वहां से अलग अलग आकार के पत्थर और चट्टानें जमा की हैं. लेकिन अब ये जगह लगभग मलबे का ढेर बन कर रह गई है.

अफगानिस्तान में फ्रेंच पुरातत्वविद् प्रतिनिधिमंडल के निदेशक जुलिओ बेंदेजु सारमिंतो कहते हैं, "महान बुद्ध को पूरी तरह से तबाह कर दिया गया है." वो बताते हैं कि इन पहाड़ियों में बहुत सी सुंदर गुफाएं थीं जो सीढ़ियों से एक दूसरे के साथ जुड़ी थीं. पुराने समय में बौद्ध संन्यासी इनका इस्तेमाल करते थे. लेकिन तालिबान अफगानिस्तान के बौद्ध इतिहास को मिटाना चाहता था और इसी मकसद से उनसे बामियान की प्रतिमाओं को ध्वस्त किया. बमबारी से इन चट्टानों में बहुत दरारें पड़ गईं. ऐसे में, जुलिओ बेंदेजु सारमिंतो चट्टानों के ध्वस्त हो जाने का खतरा भी बताते हैं.

इन्हें अफगानिस्तान ने फोटोग्राफर बना दिया

बामियान में यूनेस्को के प्रतिनिधि गुला रजा मोहम्मदी बताते हैं, "यूनेस्को का पूरा ध्यान बचे हुए अवशेषों के संरक्षरण पर है." लेकिन पुनर्निर्माण का कुछ काम भी चल रहा है. इस काम में लगे जर्मन विशेषज्ञ तो बुद्ध की छोटी प्रतिमा का पांव भी तैयार कर चुके हैं जो लगभग दस मीटर लंबा है. एक जर्मन कला इतिहासकार बेर्ट प्राक्सेनथालेर का कहना है, "हमारे पास मूल बुद्ध के कुछ हिस्से हैं."

2003 से बामियान में काम कर रहे प्राक्सेनथालेर कहते हैं, "बेशक ये प्रतिमा बहुत से छेदों और कमियों वाली होगी, लेकिन इतिहास को लेकर एक पहली सम्मानजक सोच होगी. अगर हमें अच्छी आर्थिक मदद मिले तो ये काम पांच साल में पूरा किया जा सकता है." लेकिन बेंदेजु सारमिंतो  कहते हैं कि इसकी जरूरत क्या है. उनके मुताबिक, "इतिहास में, इतना कुछ गायब हो गया है. लेकिन फिर भी हम उसे याद रखते हैं ना. बुद्ध भी हमारी स्मृति में रहेंगे."   

एके/वीके (एएफपी)

Afghanistan Buddha-Statue von Bamiyan
तस्वीर: DW/M. Zaman Ahmady