रिक्टर पैमाने पर 6.2 तीव्रता वाले भूकंप ने कई मकानों को जमींदोज़ कर दिया और सैकड़ों लोग घायल हो गए. भूकंप का केंद्र जमीन के 10 किलोमीटर नीचे बताया जा रहा है. अधिकारियों का कहना है कि भूकंप इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप पर शुक्रवार रात 1.28 बजे आया जिसमें कई मकान तबाह हो गए, मलबे के नीचे बड़ी संख्या में लोग दब गए. गवर्नर के सचिव मोहम्मद इदरीस ने बताया कि दो अस्पताल और प्रांतीय सरकार के दफ्तर की इमारतें भी भूकंप की चपेट में आई हैं. इदरीस ने समाचार चैनलों से कहा, "अब तक हम छह लोगों की मौत की पुष्टि कर सकते हैं. हम लोगों को सुरक्षित निकाल कर गवर्नर के दफ्तर की इमारत में पहुंचा रहे हैं." इदरीस ने कहा, "हम लोग मलबे में दबे लोगों की आवाज सुन सकते हैं, लेकिन वे हिल नहीं पा रहे हैं." राष्ट्रीय खोज और बचाव एजेंसी के मुताबिक 600 से अधिक लोग घायल हुए हैं जिनमें करीब 200 लोग गंभीर रूप से घायल हैं.
करीब दो हजार लोग बेघर हो गए.
हजारों बेघर
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन का कहना है कि भूकंप के कारण 2,000 लोग बेघर हो गए हैं और भूकंप के बाद कम से कम तीन भूस्खलन हुए. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन ने एक वीडियो जारी किया जिसमें एक छोटी बच्ची मलबे के नीचे दबी हुई है और दर्द से कराह रही है. वह मदद की गुहार लगाती दिख रही है. वीडियो में एक शख्स की आवाज सुनाई दे रही और वह कह रहा है, "वहां चार लोग हैं लेकिन हम कुछ नहीं कर सकते हैं क्योंकि हमारे पास भारी उपकरण मौजूद नहीं है." एक और वीडियो क्लिप में एक महिला बच्ची की ओर इशारा कर बता रही है कि "मेरी बच्ची वहां है."
भूकंप का केंद्र मजाने जिले से 6 किलोमीटर दूर बताया जा रहा है. भूकंप के झटके रात 1.28 बजे महसूस किए गए. इससे पहले गुरुवार को इसी इलाके में 5.9 तीव्रता का भूकंप आया था.
इंडोनेशिया 17,000 द्वीपों का देश है और वहां करीब 130 सक्रिय ज्वालामुखी हैं. यह प्रशांत में रिंग ऑफ फायर पर स्थित है जो भौगोलिक अस्थिरता वाला बड़ा इलाका है. यहां टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव से नियमित भूकंप आते रहते हैं और ज्वालामुखी भी सक्रिय रहता है.
एए/सीके (रॉयटर्स, डीपीए)
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सूनामी के सबक
फुकुशिमा: एक स्थाई सबक
2011 की सूनामी तब और भयानक हो गई थी जब समुद्र से उठे तूफान और भीषण लहरों की चपेट में जापान के फुकुशिमा का परमाणु संयंत्र भी आ गया. परमाणु ऊर्जा के पक्षधर इसे बेहद सुरक्षित और पर्यावरण सम्मत बताते थे. लेकिन सूनामी से बर्बाद हो फुकुशिमा संयंत्र से पैदा हुई रेडियो सक्रियता ने इन दावों को गलत साबित कर दिया.
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सूनामी के सबक
परमाणु दुर्घटना
9 तीव्रता वाले भूकंप से उपजी सूनामी के कारण जापान के उत्तरी तटीय इलाके में मौजूद फुकुशिमा परमाणु संयंत्रों पर भी शक्तिशाली तूफान और लहरों का हमला हुआ. रिएक्टरों में टूट फूट हुई और परमाणु छड़ों के गलने से निकले विकिरणों के कारण जापान को भीषण परमाणु दुर्घटना झेलनी पड़ी.
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सूनामी के सबक
परमाणु ऊर्जा: नो थैंक्स!
कुछ देशों ने फुकुशिमा की तबाही से सबक लिया और परमाणु ऊर्जा से परहेज की बात की. केवल जर्मनी ने परमाणु ऊर्जा को पूरी तरह नकार दिया और सौर तथा पवन ऊर्जा के विकल्प की ओर ज्यादा निवेश करना शुरू किया. जर्मनी में अभी भी 8 परमाणु बिजलीघर काम कर रहे हैं. कभी 20 हुआ करते थे. अगले 6 सालों में उन्हें भी बंद कर दिया जाएगा.
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सूनामी के सबक
आपदा या हादसा
हालांकि ये सबक सारे देशों ने नहीं लिए हैं. बहुत से देशों में फुकुशिमा को मुख्य रूप से प्राकृतिक आपदा समझा गया. खुद जापान ने कुछ साल परमाणु बिजली घरों को बंद करने के बाद फिर से परमाणु संयंत्रों को चालू कर दिया है. फ्रांस और अमेरिका ने कभी इसके बारे में सोचा ही नहीं. सिर्फ जर्मनी ने फुकुशिमा के सबक को लागू किया है.
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सूनामी के सबक
परमाणु संयंत्र के बदले साहसिक पार्क
नीदरलैंड से लगी जर्मनी की सीमा के पास ही काल्कर के एक पुराने न्यूक्लियर पावर प्लांट को साहसिक खेलों के लिए एक रोचक पार्क में बदल दिया गया है. ये सबक सुनामी से भी पहले का है. यूक्रेन में हुए चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र हादसे की तबाही को देखते हुए पूरी तरह तैयार हो गए इस परमाणु संयंत्र को कभी भी इस्तेमाल न करने का फैसला लिया गया.
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सूनामी के सबक
कुडनकुलम का विरोध
भारत में भी समुद्रतटीय राज्य तमिलनाडु के कुडनकुलम में भी रूस की मदद से 2000 मेगावाट का परमाणु संयंत्र लगाया गया है. इस परमाणु संयंत्र का भी स्थानीय लोगों और पर्यावरणवादियों की ओर से भारी विरोध हुआ है. विरोध कर रहे लोग फुकुशिमा की दुर्घटना और तबाही से सबक लेने की बात कर रहे हैं.
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सूनामी के सबक
पीड़ितों का विरोध
भारत दिसंबर 1984 में पहले ही भोपाल गैस त्रासदी झेल चुका है. जिसमें यूनियन कार्बाइड के कारखाने से हुए गैस रिसाव के चलते करीब 3,787 लोग मारे गए थे और लाखों लोगों को भयानक रोगों से जूझना पड़ा. इसके चलते भोपाल गैस पीड़ित भी कुडनकुलम में लगाए गए परमाणु संयंत्र का विरोध कर रहे हैं.