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अपराधजर्मनी

हैकरों को ललचा रहा है एजूकेशन और रिसर्च सेक्टर

११ जुलाई २०२३

अपराधी एआई का इस्तेमाल कर ऑनलाइन हमले शुरू कर चुके हैं. जर्मनी समेत दुनिया के कई देशों में हर संस्था, हर हफ्ते सैकड़ों साइबर हमले झेल रही है.

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साइबर अटैक
तस्वीर: Annette Riedl/dpa/picture alliance

जर्मनी के फेडरल क्रिमिनल पुलिस ऑफिस (बीकेए) के प्रेसीडेंट होल्गर मुंच ने जर्मन मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा, "साइबर अपराधों का खतरा साल दर साल लगातार बढ़ता जा रहा है और कुछ मौकों पर ये अपराध बड़े आर्थिक और सामाजिक नुकसान पहुंचाते हैं."

मुंच ने बताया कि हाल के वर्षों में साइबर अपराधियों ने सार्वजनिक प्रशासनिक संस्थानों, यूनिवर्सिटियों और डॉक्टरों के दफ्तरों को सबसे ज्यादा निशाना बनाया. उन्होंने कहा, "इन हमलों का व्यापक असर हो सकता है. उदाहरण के लिए प्रशासन कई हफ्तों तक काम करने में असमर्थ हो सकता है."

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जर्मनी की आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फेजर के साथ बीकेए के प्रेसीडेंट होल्गर मुंच
जर्मनी की आंतरिक मामलों की मंत्री नैंसी फेजर के साथ बीकेए के प्रेसीडेंट होल्गर मुंचतस्वीर: Nadja Wohlleben/Reuters

हमलावर क्या करते हैं

पुलिस अधिकारी ने चेतावनी देते हुए कहा कि साइबर हमलों के खिलाफ सुरक्षा बढ़ाने की जरूरत है. जर्मनी में अब भी बहुत सारे सिस्टम इनक्रिप्टेड नहीं हैं. ऐसे सिस्टमों से काफी डाटा चुराया जाता है. मुंच ने कहा, "अगर तकनीकी बाधाएं तुलनात्मक रूप से कमजोर हों तो अपराधी तेजी से इसकी तरफ आकर्षित होते हैं और यह उन्हें ललचाता भी है."

साइबर अपराधियों का पता भी चल जाए तो भी लाचारगी जैसी स्थिति सामने आती रहती है. पुलिस के मुताबिक आम तौर पर हमलावर विदेशों में होते हैं. उन पर कार्रवाई करने के लिए एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. इस दौरान विदेशी एजेंसियों की मदद भी लेनी पड़ती है.

बीते सालों में हाइड्रा मार्केट जैसे गैरकानूनी ऑनलाइन बाजार या चिपमिक्सर जैसी हवाला सर्विस पर कार्रवाई करने में सफलता मिली है. इसके बावजूद मुंच कहते हैं, "कुल मिलाकर, हमने इन दोनों मामलों में करीब 10 करोड़ यूरो सीज किए हैं. यह पैसा अपराध की दुनिया, उसके ग्राहकों और उससे जुड़े टूल्स से मिला."

पूरी दुनिया में साइबर हमलों की बाढ़ सी आई है
पूरी दुनिया में साइबर हमलों की बाढ़ सी आई हैतस्वीर: Silas Stein/imago images

हर हफ्ते कितने साइबर अटैक

ऑनलाइन दुनिया पर नजर रखने वाली संस्था चेक प्वाइंट रिसर्च (सीपीआर) ने 2023 के शुरुआती तीन महीनों के आंकड़े पेश किए हैं. इस तिमाही डाटा के मुताबिक, जर्मनी की हर संस्था पर औसतन हर हफ्ते 894 साइबर अटैक होते हैं. 2022 के मुकाबले इस दर में दो फीसदी उछाल आया है.

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यूरोपीय संघ के सदस्य और जर्मनी के पड़ोसी ऑस्ट्रिया में औसतन हर हफ्ते होने वाले साइबर हमलों की संख्या करीब 1044 है. स्विट्जरलैंड की संस्थाएं भी इस साल 914 साइबर अटैक प्रति सप्ताह झेल रही है.

सीपीआर के साइबर एक्सपर्ट्स के मुताबिक पूरी दुनिया की बात करें तो जनवरी 2023 से मार्च 2023 के बीच साइबर हमलों में 7 फीसदी वृद्धि देखी गई है. ऑनलाइन अपराधी सबसे ज्यादा शिक्षण और रिसर्च संस्थानों को निशाना बना रहे हैं.

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डाटा चोरी कर या सिस्टम करप्ट कर ऑनलाइन फिरौती मांगने के मामले भी बढ़ रहे हैं. दुनिया की हर 31 में से एक कंपनी हर हफ्ते रैनसमवेयर का शिकार हो रही है. साइबर अपराधी सबसे ज्यादा अफ्रीकी देशों को निशाना बना रहे हैं. वहां साइबर हमलों की दर 1983 हमले प्रति सप्ताह है.

अफ्रीका के देश और संस्थान हैं साइबर हमलों के सबसे बड़े शिकार
अफ्रीका के देश और संस्थान हैं साइबर हमलों के सबसे बड़े शिकारतस्वीर: Marko Lukunic/Pixsell/picture alliance

AI का सहारा ले रहे है साइबर अपराधी

सीपीआर के मुताबिक बहुत तेज तर्रार हैकर अत्याधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स का भी इस्तेमाल करने लगे हैं. हाल में एक मामले में हैकरों ने चैटजीपीटी की मदद से कोड तैयार किया. विशेषज्ञों के मुताबिक चैटजीपीटी से कोडिंग कर नौसिखिये ऑनलाइन ठग भी साइबर हमला करने लायक बन सकते हैं.

जांच में यह भी पता चला कि 3CXDesktop ऐप का दुरुपयोग कर सप्लाई चेन पर हमला किया गया.

ओएसजे/एनआर (डीपीए)

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