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मानवाधिकारदक्षिण कोरिया

54 साल पुराने हत्याकांड में दक्षिण कोरियाई सैनिक दोषी करार

८ फ़रवरी २०२३

दक्षिण कोरिया की एक अदालत ने सरकार को वियतनाम युद्ध के एक पीड़ित को मुआवजा देने का आदेश दिया है. अदालत ने दक्षिण कोरियाई मरीन्स को वियतनाम युद्ध के दौरान निहत्थे गांववालों की हत्या का दोषी पाया.

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वियतनाम युद्ध में दक्षिण कोरिया के करीब तीन लाख सैनिकों ने अमेरिकी फौज के साथ मिलकर जंग में हिस्सा लिया था.
वियतनाम युद्ध में दक्षिण कोरिया के करीब तीन लाख सैनिकों ने अमेरिकी फौज के साथ मिलकर जंग में हिस्सा लिया था.तस्वीर: HORST FAAS/AP/picture alliance

दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने सरकार को करीब 24 हजार डॉलर का मुआवजा देने को कहा है. यह निर्णय 62 साल की एक वियतनामी महिला नगून थी थान की याचिका पर सुनाया गया है. नगून ने 2020 में दक्षिण कोरिया की सरकार पर मुकदमा किया था.

यह मामला 1968 के एक घटनाक्रम से जुड़ा है. 12 फरवरी, 1968 को दक्षिण कोरिया के मरीन सैनिकों ने मध्य वियतनाम के फोंग नी और फोंग नूट नाम के गांवों पर हमला किया और 70 से ज्यादा ग्रामीणों की हत्या की. इस हत्याकांड में नगून थी के पांच रिश्तेदार मारे गए. वो और उनके भाई भी गंभीर रूप से जख्मी हुए. वियतनाम युद्ध में दक्षिण कोरिया के करीब तीन लाख सैनिकों ने अमेरिकी फौज के साथ मिलकर जंग में हिस्सा लिया था.

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कोर्ट ने नहीं मानी सरकार की दलील

पिछले तीन साल में इस केस की सुनवाई के दौरान कई वियतनामी चश्मदीद कोर्ट में पेश हुए थे. साथ ही, 1968 में इस घटना की रिपोर्टिंग करने वाले कई पत्रकारों ने भी गवाही दी. दक्षिण कोरिया की सरकार की दलील थी कि कोरियाई सैनिकों का दोष साबित करना बहुत मुश्किल है. अदालत ने इस दलील को खारिज कर दिया. सरकार का यह भी कहना था कि 1965 में दक्षिण कोरिया और दक्षिण वियतनाम की सरकार के बीच हुआ समझौता सैनिकों को किसी भी तरह की कानूनी जवाबदेही से बचाता है.

मगर कोर्ट ने कहा कि यह समझौता वियतनामी पीड़ितों को मुआवजा पाने से नहीं रोक सकता. दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय ने फिलहाल इस फैसले पर टिप्पणी नहीं की है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देश भविष्य के कूटनीतिक संबंधों की दिशा में लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत कर रहे हैं. दक्षिण कोरिया और वियतनाम के बीच 1992 में कूटनीतिक रिश्ते कायम हुए थे.

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और पीड़ितों के लिए खुल सकती है राह

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, "उस वक्त सैनिकों ने याचिकाकर्ता के परिवार को अपने घर से बाहर निकलने को मजबूर किया, उन्हें बंदूक दिखाकर डराया और फिर गोली मार दी. नतीजतन याचिकाकर्ता के परिवार की मौके पर ही मौत हो गई और पीड़ित समेत कई और लोग गंभीर रूप से चोटिल हुए."

अदालत का ताजा आदेश ऐतिहासिक है. यह पहली बार है, जब युद्ध के दौरान हुई ज्यादतियों में दक्षिण कोरिया की हिस्सेदारी को कानूनी तौर पर पहचान मिली है. यह फैसला युद्ध के और भी पीड़ितों के लिए मुआवजा पाने की राह खोल सकता है. याचिकाकर्ता नगून ने फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि यह निर्णय घटना में मारे गए लोगों की आत्माओं को कुछ सुकून देगा.

एसएम/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)