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चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के वार्षिक अधिवेशन से क्या निकलेगा

विलियम यांग
१४ अक्टूबर २०२२

16 अक्टूबर को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की 20वीं कांग्रेस शुरू होगी. माना जा रहा है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग अभूतपूर्व तरीके से तीसरी बार अपना कार्यकाल सुरक्षित कर लेंगे.

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चीन में कम्युनिस्ट पार्टी का अधिवेशन
चीनी सरकार के शीर्ष अधिकारियों में एक बड़ा बदलाव होने की उम्मीद हैतस्वीर: Roman Pilipey/AP/picture alliance

जाहिर है, तीसरे कार्यकाल के साथ ही शी, माओत्से तुंग के बाद सबसे शक्तिशाली चीनी नेता के तौर पर उभरेंगे. धीमी पड़ी अर्थव्यवस्था और पश्चिम के साथ बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बावजूद, पार्टी के भीतर शी की नीतियों को लेकर बहुत ज्यादा असंतोष नहीं दिख रहा है. वार्षिक अधिवेशन (कांग्रेस) से पहले शीर्ष नेताओं की आखिरी बैठक यानी सातवें प्लेनम में पार्टी की केंद्रीय समिति ने पिछले पांच साल में "असामान्य और असाधारण" उपलब्धियों की तारीफ की. ये सीसीपी पर शी की मजबूत पकड़ दिखाता है.

समिति ने नीति रिपोर्ट को भी मंजूरी दे दी जो शी सम्मेलन की शुरुआत में पेश करेंगे. ये रिपोर्ट अगले पांच साल के लिए सभी अहम क्षेत्र में पार्टी की नीतिगत प्राथमिकताओं को तय करेगी. हालांकि कांग्रेस शुरू होने से ठीक पहले शी की सख्त कोविड नीतियों के खिलाफ राजधानी बीजिंग के हैडियन जिले में विरोध दर्ज कराया गया. वहां सितोंग ब्रिज पर एक बैनर फहराया गया था, जिस पर लिखा था: "हमें खाना चाहिए, कोविड टेस्ट नहीं. हम आजादी चाहते हैं, लॉकडाउन नहीं."

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सफेद बैनर पर लाल अक्षरों में आगे लिखा था, "हम झूठ नहीं, गरिमा चाहते हैं. हमें सुधार की जरूरत है, सांस्कृतिक क्रांति की नहीं." "हम वोट देना चाहते हैं, नेता नहीं. गुलाम मत बनो, नागरिक बनो."

अमेरिका में चीनी कानूनी स्कॉलर तेंग बियाओ ने इसे "एक बहुत ही साहसी कदम" बताया. तेंग ने कहा, "20वीं कांग्रेस के मौके पर, शी जिनपिंग की तानाशाही के खिलाफ नारे लगाना काफी चौंकाने वाला था. हालांकि यह चीन में राजनीतिक हालात को नहीं बदलेगा, यह एक बहुत ही प्रतीकात्मक कदम है."

पार्टी पर एक अस्थिर प्रभाव?

ताइवान के तमकांग विश्वविद्यालय में ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ चाइना स्टडीज के प्रोफेसर वू-उह चांग का मानना ​​​​है कि शी निश्चित रूप से तीसरा कार्यकाल हासिल करेंगे. वू-उह कहते हैं, "शी को तीसरा कार्यकाल निश्चित रूप से मिलने की वजह यह है कि उन्होंने 2018 में राष्ट्रपति पद की पर बने रहने की समय सीमा को हटा दिया और उन्होंने किसी ऐसे उत्तराधिकारी को नामित नहीं किया जो सीसीपी के अगले महासचिव के तौर पर मानदंडों को पूरा करता हो."

हालांकि, ऐसी चिंताएं हैं कि शी के अपने कार्यकाल को बढ़ाने या अनिश्चित काल तक सत्ता में बने रहने की कोशिशों से पार्टी के भीतर अस्थिरता का माहौल बन सकता है. उनका लगातार तीसरा कार्यकालय,  सत्ता के हस्तांतरण की स्थापित प्रक्रिया को खतरे में डाल सकता है और पार्टी के अंदर सत्ता की लड़ाई के जोखिम को बढ़ा सकता है.

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कोलम्बिया विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर एंड्रयू नाथन कहते हैं "पहले, मैंने तर्क दिया था कि अगर सीसीपी क्रमवार तरीके से उत्तराधिकार तय करती है तो  हर नेता दो टर्म तक काम कर सकता है और एक उत्तराधिकारी को पहले से नामित किया जा सकता है, वे सत्ता संघर्ष के जोखिम को कम कर सकते हैं."

नाथन यह भी मानते हैं कि, "शी तीसरा कार्यकाल शुरू करने वाले हैं, यह उत्तराधिकार प्रणाली को अस्थिर करता है. अगर उनके पद पर रहते हुए कुछ होता है, तो एक अनियमित उत्तराधिकार का जोखिम है जो एक शक्ति संघर्ष होगा."

लंबे समय से चली आ रही परंपराओं को खत्म करने के अलावा, शी पिछले एक दशक से अपने इर्द-गिर्द सत्ता का केंद्रीकरण भी कर रहे हैं.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में चीनी राजनीति की असिस्टेंट प्रोफेसर पेट्रिसिया थॉर्नटन कहती हैं कि जब शी पहली बार 2012 में सत्ता में आए, तो सीसीपी के भीतर एक आम सहमति थी कि "कम अनुशासित और भ्रष्टाचार से जूझ रही पार्टी को ठीक

 करने के लिए और अधिक दृढ़ होने की जरूरत है."

उन्होंने कहा, "शुरुआत से ही वे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की सहमति से एक रास्ते पर आगे बढ़े." फिर "शी एक नेतृत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक संकट का इस्तेमाल करने और एक संकट तैयार करने में कामयाब रहे हैं. वो असल में अपने

हाथों में ज्यादा शक्ति को केंद्रीकृत करने में सफल रहे हैं."

चीन में कम्युनिस्ट पार्टी का अधिवेशन
पुल पर बैनर लगे होने की खबर आने के बाद इंटरनेट सेंसर तेजी से पोस्ट हटाने में जुट गयेतस्वीर: Dake Kang/AP/picture alliance

ज्यादा शक्ति का केंद्रीकरण

थॉर्नटन 2012 में सत्ता संभालने के बाद शी के शुरू किए गए भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की बात पर ध्यान दिलाती हैं. इसके तहत सालों तक चली कार्रवाई में 4.7 मिलियन से ज्यादा पार्टी अधिकारियों को फंसाया गया. इसने शी को पार्टी नेतृत्व का रिमेक बनाने और अपने भरोसेमंद लोगों को अहम पदों पर रखने की इजाजत दी. "भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का अध्ययन करने वाले कई लोगों ने निष्कर्ष निकाला है कि आधे लोग राजनीतिक वजहों से उनके निशाने पर आए."

शी ने वैचारिक, संस्थागत और संगठनात्मक बदलावों की एक श्रृंखला को भी लागू किया जिसकी वजह से उनके चारों ओर और भी ज्यादा शक्ति का केंद्रीकरण हुआ. थॉर्नटन कहती हैं, "वास्तविक खतरों में से एक जिसे हम देख रहे हैं, वह है सत्ता का अति-केंद्रीकरण. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष पर इतनी शक्ति और नियंत्रण को मजबूत करने से, पार्टी के भीतर एक भयानक असर पड़ा है.

चीनी कानूनी स्कॉलर बियाओ की भी ऐसी ही राय है. वे कहते हैं, "शी ने पार्टी को सामूहिक तानाशाही से व्यक्तिगत तानाशाही में बदल दिया है."

पार्टी कांग्रेस के दौरान और क्या उम्मीद की जाए?

कांग्रेस में नेतृत्व में एक बड़ा फेरबदल होगा, जिसमें  सीसीपी के सबसे शक्तिशाली अंग पोलित ब्यूरो स्थायी समिति के कई सदस्यों के पद छोड़ने की आशंका है. पूर्व प्रीमियर ली केकियांग मार्च 2023 में रिटायर होने वाले हैं. देश के दूसरे सर्वोच्च रैंकिंग अधिकारी के रूप में उनकी जगह कौन लेगा, इस पर बड़ी उत्सुकता से नजर रखी जाएगी.

संभावित उत्तराधिकारियों में मौजूदा वाइस प्रीमियर हू चुनहुआ और चीनी पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस नेशनल कमेटी के अध्यक्ष वांग यांग शामिल हैं, जो फिलहाल पार्टी के चौथे सर्वोच्च रैंकिंग अधिकारी हैं.

ताइवान में नेशनल चेंगची यूनिवर्सिटी (एनसीसीयू) में चीनी राजनीति के जानकार वांग सीन-सिएन का मानना ​​​​है कि अंतिम फैसला शी तय करेंगे, और उनकी प्राथमिकता के साथ-साथ इन लोगों की राजनीतिक वफादारी अहम मानदंड होगी, "उस नजरिए से, चुनहुआ की तुलना में  वांग यांग हू ज्यादा उपयुक्त हो सकते हैं क्योंकि उन्होंने पिछले पांच सालों में शी के साथ अच्छा काम किया है. उन्होंने ताइवान, शिनजियांग, तिब्बत और संयुक्त मोर्चा कार्य विभाग से जुड़े मुद्दों को बखूबी संभाला है."

कोलंबिया विश्वविद्यालय के नाथन कहते हैं कि शी शायद ज्यादा भरोसेमंद लोगों से खुद को घेर लेंगे जिनके पास उन्हें चुनौती देने के लिए स्वतंत्र शक्ति आधार नहीं है.

क्या बड़े नीतिगत बदलाव होंगे?

भले ही राजनीतिक सत्ता पर शी की पकड़ बरकरार है, पर बाकी मुद्दों पर बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें तेजी से धीमी होती अर्थव्यवस्था, तकनीक के क्षेत्र के दिग्गजों पर सरकार की कार्रवाई और सख्त कोविड रणनीति का आर्थिक असर शामिल है.

पिछले महीने जेम्सटाउन फाउंडेशन की छपी एक रिपोर्ट में, इंवेस्टमेंट बैंक नैटिक्सिस में एशिया प्रशांत के मुख्य अर्थशास्त्री एलिसिया गार्सिया-हेरेरो ने भविष्यवाणी की थी कि चीन 2022 के लिए 5.5% आर्थिक विकास के लक्ष्य को पाने में सक्षम नहीं होगा.

गार्सिया-हेरेरो का मानना है कि जिस तरह से चीन विवादित कोविड रणनीति को लागू रखने के अपने इरादे का संकेत देता है, इससे 2023 में विकास की संभावनाएं कम रहेंगी. वो कहती हैं, "2022 के भयावह दौर की वजह से चीन को 2023 में तेजी से बढ़ने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत नहीं है, लेकिन जो समस्याएं हम देख रहे हैं वे बनी रहेंगी और शायद आर्थिक लागत के मामले में और ज्यादा बढ़ जाएंगी."

नाथन कहते हैं कि उन्हें शी के तीसरे कार्यकाल में चीन की घरेलू और विदेश नीतियों में बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं है, "मुझे लगता है कि इससे काफी हद तक मिशन 'चाइना ड्रीम' को जारी रखने की कोशिश की जा रही है."

नाथन के मुताबिक, "कुछ लोग कहते हैं कि वह अगले पांच सालों के भीतर ताइवान पर हमला करने की कोशिश करेंगे, लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता. क्या वह अपनी कोविड नीति बदलेंगे? मुझे नहीं लगता कि वह करेंगे."