इन देशों में अब भी कम्युनिस्ट सरकारें हैं
दुनिया के बहुत से देशों में सीधे जनता अपने शासकों को चुनती है. यानी वहां लोकतंत्र है. लेकिन दुनिया में अब भी कुछ ऐसे देश हैं जहां शासकों का चुनाव जनता नहीं, एक पार्टी करती है. एक नजर आज की दुनिया के कम्युनिस्ट देशों पर.
चीन
माओ त्सेतुंग ने 1949 में चीन की सत्ता अपने हाथ में ली और देश को पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना घोषित किया. इस तरह चीन में एक पार्टी का शासन कायम हुआ जो अब तक जारी है. हालांकि कई आलोचक कहते हैं कि चीन आज पूरी तरह पूंजीवादी रास्ते पर चल रहा है.
क्यूबा
1959 में हुई क्रांति के बाद क्यूबा में फिदेल कास्त्रो के नेतृत्व में सरकार बनी. दशकों तक राज करने के बाद कास्त्रो ने 2008 में सत्ता अपने भाई राउल कास्त्रो को सौप दी. क्यूबा को कई प्रतिबंध भी झेलने पड़े लेकिन वह कम्युनिज्म के रास्ते पर चलता रहा.
लाओस
दक्षिण पूर्व एशिया में बसे लाओस का पूरा नाम लाओ पीपल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक है. वियतनाम और सोवियत संघ के सहयोग से वहां 1975 में क्रांति हुई और लाओस एक कम्युनिस्ट देश बन गया. देश में एक पार्टी वाली शासन व्यवस्था है, लेकिन 2013 वह विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बना.
उत्तर कोरिया
उत्तर कोरिया दुनिया के सबसे चर्चित कम्युनिस्ट गढ़ों में से एक है. किम परिवार के नेतृत्व में 1948 से वर्कर्स पार्टी देश को चला रही है. हालांकि उत्तर कोरिया की सरकार खुद को कम्युनिस्ट नहीं मानती, बल्कि वह किम परिवार की "जूचे" विचारधारा को अपना पथ प्रदर्शक कहती है.
वियतनाम
दो दशकों तक चली लड़ाई के बाद 1976 में वियतनाम के दो हिस्से फिर से एक हो गये और वह एक कम्युनिस्ट देश बना. कई अन्य कम्युनिस्ट देशों की तरह, वियतनाम भी हाल के वर्षों में बाजार अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ा है. इसीलिए वहां भी आपको पूंजीवाद के निशान दिखते हैं.
लोकतंत्र में कम्युनिस्ट पार्टियां
बहुदलीय व्यवस्था वाले कई देशों में कम्युनिस्ट पार्टियां सरकार में रही हैं. नेपाल, गुयाना और मोल्डोवा जैसे देशों में कम्युनिस्ट नेताओं ने सरकार का नेतृत्व किया है. भारत में कम्युनिस्ट पार्टियां केरल, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा जैसे राज्यों में सरकार में रही हैं. केंद्र में वह सत्ताधारी गठबंधन में शामिल रह चुकी हैं.