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समानताअफ्रीका

महिलाओं को खतना के दर्द से उबारती सर्जरी

२८ नवम्बर २०२२

महिलाओं का खतना होने के सालों बाद एक सर्जरी के जरिये उनकी खोई चीज वापस लौटाई जा रही है. अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया में 30 देशों में महिला खतना चलन में है, लेकिन महिलाएं अब रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी का विकल्प चुन रही हैं.

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Kenia | Weibliche Genitalverstümmelung
तस्वीर: DW

कल्पना कीजिए जिंदगी में ज्यादातर वक्त तक आपने शरीर के एक अंग में कुछ महसूस नहीं किया हो और फिर एक दिन आखिरकार आप उसे महसूस करने लगें. केन्या की करीब 60 महिलाओं ने यह बदलाव महसूस किया. इन महिलाओं का बचपन में फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन यानी खतना हुआ था. नैरोबी में हाल ही में एक मानवीय अभियान के तहत महिलाओं ने क्लिटोरिस की सर्जरी करवाई. इसे रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी कहते हैं जिसमें क्लिटोरिस को पहले की तरह बनाया जा सकता है.

सर्जरी कराने वाली 39 साल की एक पुलिस अधिकारी ने पहचान जाहिर नहीं करने के अनुरोध के साथ कहा कहा, "मैं ऐसा महसूस करती हूं कि मैं अधूरी हूं." वह इसे निजी बातें मानते हुए कहती हैं, "बाकी लड़कियों को जिन चीजों में मजा आता है, वह मुझे नहीं आता. असल में इससे मेरा खुद के लिए सम्मान काफी कम होता गया. इसलिए जब मौका मिला, तो मैंने इसे हाथ से ना जाने देने का फैसला किया ताकि कम से कम मैं शायद खुद को पूरा महसूस कर सकूं और शायद वह पा सकूं जो दूसरों को मिल रहा है."

शारीरिक ही नहीं मनोवैज्ञानिक दर्द भी

अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया के 30 देशों में महिला खतना चलन में है. इसमें महिला जननांग क्लिटोरिस का बाहर दिखने वाला हिस्सा आंशिक या पूरी तरह से निकाल दिया जाता है. यह आमतौर पर बचपन में ही किया जाता है. केन्या में खतना अवैध है. हालांकि संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के मुताबिक 21 प्रतिशत लड़कियां और महिलाएं 15 से 49 साल की उम्र तक किसी ना किसी रूप में इससे गुजर चुकी हैं.

खतना का सामाजिक परंपरा और सांस्कृतिक मान्यताओं में स्त्रीत्व और कामुकता से संबंध है. इसका तुरंत या लंबे समय में लड़कियों पर बुरा असर पड़ सकता है. कुछ लड़कियों की मौत हो जाती है और सभी को जिंदगी भर इसका असर भुगतना पड़ता है जैसे मूत्र और योनि संक्रमण, यौन समस्याएं, जन्म देने में जटिलताएं, और मनोवैज्ञानिक दर्द.

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केन्या में महिलाएं अब रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी का विकल्प चुन रही हैं.तस्वीर: Evelyn Kpadeh/DW

रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी यानी नारीत्व की वापसी?

इस बार नैरोबी में एनजीओ क्लिटोराइड ने अमेरिकी सर्जन मार्सी बोवर्स के साथ रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी अभियान चलाया. बोवर्स 2017 और 2019 के पिछली दो यात्राओं के दौरान सैकड़ों केन्याई महिलाओं के ऑपरेशन कर चुकी हैं. बोवर्स बताती हैं, "यह जिंदगी बदलने वाला है, और यह एक ऐसा शब्द है जिसे हम बार-बार सुनते हैं. वह कहती हैं कि उन्हें ऐसा लगता है कि उनका नारीत्व वापस मिल गया.''

क्लिटोरिस की लंबाई करीब 11 सेंटीमीटर तक होती है, और ज्यादातर हिस्सा अंदर होता है. आमतौर पर खतना में जो हिस्सा काटा जाता है वह शरीर के बाहर वाला सिरा होता है. बोवर्स बताती हैं कि सर्जरी में क्लिटोरिस का हिस्सा शरीर की सतह तक वापस लाया जाता है, ताकि महिलाएं इसे महसूस कर सकें.

महिला खतने की 20 करोड़ महिलाएं शिकार

केन्या में पहल

बोवर्स ने अपने कार्यकाल के दौरान केन्याई डॉक्टरों और नर्सों को प्रशिक्षित किया है. नैरोबी विश्वविद्यालय एक कार्यक्रम की तैयारी कर रही है जो चिकित्सकों को खतना करा चुकी महिलाओं की सर्जरी के लिए प्रशिक्षित कर सकें. इससे उम्मीदें जगती है कि इस तरह के हस्तक्षेप भविष्य में और ज्यादा उपलब्ध हो सकते हैं.

इस देश में हर लड़की का खतना होता है

जॉयक्लिन म्वांगी, एक केन्याई कार्यकर्ता हैं जो शिक्षा के जरिये खतना रोकने के लिए सामुदायिक कार्यक्रमों पर काम करती हैं. वह कहती हैं, सर्जरी महिलाओं को व्यक्तिगत तौर पर मदद कर सकती है, यह खतना के चलन से निपटने के लिए व्यापक प्रयासों का एक पूरक है. इसे रोकने के लिए सामुदायिक स्तर पर, सांस्कृतिक स्तर पर व्यवहार में बदलाव की जरूरत है.

नैरोबी क्लिनिक में एक मरीज ने कहा, "अगर उसके पास रास्ता होता तो किसी भी लड़की को कहीं भी खतना सहन नहीं करना पड़ता, क्योंकि यह असल में लड़कियों को नीचा दिखाता है."

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वह खतना वाले दिन को याद करते हुए बताती हैं, "मैं नौ साल की थी. मुझे कुछ भी नहीं पता था. कई दिनों तक खून बहता रहा और मैं डरती रही की मर जाऊंगी. मुझे बताया गया था कि मुझे एक संपूर्ण महिला बनाने के लिए ले जाया जाएगा. जबकि असल में...यह इसके उलट है. इसने मेरी जिंदगी को प्रभावित किया और इसलिए मैंने सर्जरी का विकल्प चुना."

2030 तक खतना खत्म करने का लक्ष्य

यूनिसेफ की 2022 की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक आज 31 देशों में रहने वाली कम से कम 20करोड़ लड़कियां और महिलाएं खतना से गुजर चुकी हैं. अफ्रीका में इसका चलन ज्यादा है, हालांकि 25 से ज्यादा देश पहले ही इसे बैन कर चुके हैं.

अफ्रीका के गाम्बिया की जाहा दुकुरेह अफ्रीका में महिलाओं के खतना के विरोध में चलाए जा रहे अभियान का प्रमुख चेहरा रही हैं जिन्हें 2018 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया था. 2030 तक संयुक्त राष्ट्र ने इसे पूरी तरह से खत्म करने का लक्ष्य रखा है.

केके/एनआर (रॉयटर्स)