नॉर्वे में क्रिसमस वाले एक विज्ञापन में सैंटा क्लॉज को समलैंगिक दिखाया गया है. इसे लेकर नॉर्वे में ज्यादातर भावुक तो कई और देशों से मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आई है.
नॉर्डिक देश नॉर्वे में एक ही लिंग के लोगों के बीच संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर निकाले हुए पचास साल हो गए हैं. उस अहम कदम की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर देश के डाक विभाग ने एक खास विज्ञापन जैरी किया है. क्रिसमय के समय नए वीडियो प्रकाशित करने की परंपरा रही है. लेकिन इस बार लगभग चार मिनट लंबे ऐड में सैंटा क्लॉज को ही गे यानि समलैंगिक दिखाना बिल्कुल नया है.
वीडियो का शीर्षक है - "वेन हैरी मेट सैंटा... " और इसे 'पोस्टन' नाम के अकाउंट से यूट्यूब पर पोस्ट किया गया है. चार हफ्तों में 20 लाख से ज्यादा बार देखे गए इस ऐड में अहम किरदार है हैरी. हैरी नाम का आदमी हर साल एक दिन सैंटा से मिलता और उसकी याद में बाकी साल काट देता. साल दर साल यह सिलसिला चलता रहता है और आखिरकार एक साल हैरी सैंटा को चिट्ठी लिख कर अपने दिल की बात बता ही देता है. उसकी भावनाओं की कद्र होती है और सैंटा की तरफ से भी प्यार ही वापस आता है. इस साल सैंटा तोहफे बांटने का काम डाक विभाग को सौंप आते हैं और खुद हैरी से मिलने के लिए वक्त निकालते हैं.
पोस्टन ने ना केवल 50वीं वर्षगांठ मनाने के लिए बल्कि अपनी कंपनी में डाइवर्सिटी का संदेश देने के लिए भी यह आइडिया चुना. ऐड एक संदेश के साथ खत्म होता है: "2022 में उस बात को 50 साल हो जाएंगे जब से नॉर्वे में कानून ने हर किसी को किसी से भी प्यार करने की छूट दी थी."
कंपनी की ओर से मार्केटिंग निदेशक मोनिका सोलबेर्ग ने एलजीबीटीक्यू नेशन नाम की पत्रिका से बातचीत में कहा, "पोस्टन के लिए डाइवर्सिटी बहुत अहम है. यह पूरी तरह से दिल का मामला है." उन्होंने बयान दिया कि "हर किसी को महसूस होना चाहिए कि उसका स्वागत है, वह सबको नजर आता है, सब उसको सुन सकते हैं और वह समाज में शामिल है. इसी भावना को इस साल के क्रिसमस ऐड में रखा गया है."
इस विज्ञापन पर देश के ज्यादातर लोगों ने काफी प्यारी और भावुक टिप्पणियां की हैं. वहीं ट्विटर पर इसे लेकर कुछ आलोचनात्मक लेकिन ज्यादातर प्रशंसात्मक प्रतिक्रियाएं ही मिल रही हैं. इस पर डेनमार्क में अमेरिकी दूत रह चुके रफल गिफर्ड ने भी ट्वीट कर अपनी भावनाएं जताईं. वह खुद भी समलैंगिक हैं.
एक साल पहले कंपनी ने "एंग्री वाइट मैन" नाम का वीडियो जारी किया था. उसमें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पर चुटकी ली गई थी. उस ऐड में दिखाया गया था कि सैंटा जलवायु परिवर्तन में विश्वास नहीं करते और उन्हें लगता है कि उत्तरी ध्रुव पर तापमान का बढ़ना "बिल्कुल प्राकृतिक" है. इस तरह कंपनी हर साल किसी ताजा सामाजिक मुद्दे पर अपने खास अंदाज में टिप्पणी कर लोगों का ध्यान खींच रही है.
अयस्क के पहाड़ों में क्रिसमस
रोशनी की रखवाली
खनिक शुभकामनाएं देते हुए कहते हैं, "जो अच्छा है, उसे अपने पास रखो". आज भी क्रिसमस की रोशनी में उन लोगों के बारे में सोचा जाता है, जो कभी खानों में काम किया करते थे. पहले एडवेंट यानि एक से छह दिसंबर के बीच खिड़कियों को कंदीलों और मोमबत्तियों के मेहराब से सजाया जाता है. परंपरा कहती है कि सजावट में सिर्फ सफेद रोशनी का इस्तेमाल हो.
अयस्क के पहाड़ों में क्रिसमस
लकड़ी की नक्काशी
यह इलाका क्रिसमस की सजावट के लिए मशहूर है. ज्यादातर चीजें हाथ से बनी लकड़ी की चीजें होती हैं. सजावट के लिए भी खानों के अंदर की चीजों को दर्शाया जाता है. मिसाल के तौर पर यह क्रिसमस पिरामिड दिखा रहा है कि किस तरह घोड़े की मदद से जमीन के भीतर से पत्थरों और अयस्कों को बाहर निकाला जाता है.
अयस्क के पहाड़ों में क्रिसमस
खिलौनों का शहर जाइफेन
खनन उद्योग में जब पहली बार 1650 में संकट पैदा हुआ, तो स्थानीय लोगों ने लकड़ी के काम को अपना लिया. बाद में यह परंपरा बन गई. जाइफेन गांव में ढेरों लकड़ी के खिलौनों की दुकानें और वर्कशॉप हैं. इसकी वजह से क्रिसमस के दौरान सैक्सनी में जाइफेन सबसे ज्यादा पर्यटन वाला गांव बन जाता है.
अयस्क के पहाड़ों में क्रिसमस
जहां धुआं छोड़ते लोग हैं
ये पुतले भी एर्त्सगेबिर्गे इलाके की क्रिसमस की खासियत हैं, "स्मोकिंग मेन". इस तरह की अगरबत्तीदान को यहां गढ़ा जाता है और इनकी खूब बिक्री होती है. जाइफेन की एक दुकान में तैयार ये स्मोकिंग मेन अपनी पाइपों का इंतजार कर रहे हैं, जिसके बाद इन्हें दुनिया भर में भेजा जा सकता है. लकड़ी के इन सांचों में अलग अलग खुशबू की अगरबत्तियां भरी जाती हैं.
अयस्क के पहाड़ों में क्रिसमस
लकड़ी की नक्काशी का म्यूजियम
जिसे भी लकड़ी की नक्काशी के बारे में ज्यादा जानना है, उसे बुर्ग शार्फेनश्टाइन जाना चाहिए. यह इसी नाम के गांव में है. यहां पारंपरिक अयस्क पहाड़ियों की लकड़ी की नक्काशी की कुछ बारीक नमूने रखे हैं. इस किले के परिसर में भी क्रिसमस मनाया जाता है.
अयस्क के पहाड़ों में क्रिसमस
श्नेबर्ग में रोशनी का त्योहार
दिसंबर के दूसरे हफ्ते के आखिर में रोशनी का त्योहार मनाया जाता है, जिसे स्थानीय तौर पर लिश्टेलफेस्ट कहा जाता है. यह श्नेबर्ग में मनाया जाता है. क्रिसमस मार्केट में पारंपरिक हस्तकला की चीजें बिकती हैं और कई कंसर्ट आयोजित किए जाते हैं. मिसाल के तौर पर वाइसर हिर्ष नाम के एक खान का दौरा भी कराया जाता है.
अयस्क के पहाड़ों में क्रिसमस
क्रिसमस अंडरग्राउंड
एर्त्सगेबिर्गे के खनिकों में मेटेनशिष्ट की पुरानी रिवायत रही है. क्रिसमस के पहले आखिरी शिफ्ट को यह नाम दिया जाता था. यह शिफ्ट आम शिफ्टों से पहले खत्म हो जाती थी और इसके खत्म होते ही जश्न मनाया जाता था, खाना खाया जाता था. कई जगहों पर इस रिवायत को अब भी बचा कर रखा गया है और यहां आने वालों को इसका अहसास कराया जाता है.
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जर्मनी की सबसे बड़ी खनिक परेड
सैक्सन खनिक संघ की अन्नाबेर्ग-बुखहोल्त्स में सालाना परेड होती है, जो क्रिसमस की खासियतों में शामिल है. सैक्सनी और जर्मनी के दूसरे खनन वाले इलाकों से करीब 1200 खनिक यहां आते हैं. इस दौरान वे पारंपरिक पोशाकें भी पहनते हैं. क्रिसमस के दौरान इस तरह की 30 परेड होती हैं और आखिरी परेड क्रिसमस से ठीक पहले वाले रविवार को होती है.
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वाह सर्दी !
फिष्टेलबर्ग के पहाड़ी शिखर पर पूर्ण शांति का अहसास होता है. 1214 मीटर ऊंचा और एर्त्सगेबिर्गे इलाके की सबसे ऊंची जगह. यहां चारों तरफ सर्दियों के रास्ते तराशे हुए दिखते हैं. जो स्पोर्ट्स का मिजाज रखते हैं, वे स्की भी कर सकते हैं.