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भारत के औचक दौरे पर आ रहे हैं चीनी विदेश मंत्री

२४ मार्च २०२२

दो साल में पहली बार चीन के विदेश मंत्री भारत का फौरी दौरा करने वाले हैं. भारत सरकार के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है. हालांकि आधिकारिक रूप से किसी पक्ष ने इसकी पुष्टि नहीं है.

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चीन के विदेश मंत्री वांग यी
चीन के विदेश मंत्री वांग यीतस्वीर: Ji Chunpeng/Xinhua/picture alliance

चीन के विदेश मंत्री शुक्रवार को भारत के औचक दौरे पर पहुंच रहे हैं. हालांकि दोनों पक्षों ने इस बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है लेकिन समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक भारतीय अधिकारी के हवाले से यह खबर दी है. लगभग दो साल पहले गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद किसी चीनी नेता का यह पहला उच्च स्तरीय भारत दौरा होगा.

इसी हफ्ते चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने पाकिस्तान में ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) के सम्मेलन में हिस्सा लिया था. उनका नेपाल जाने का कार्यक्रम भी है. इसी दौरान वह भारत में भी रुकने वाले हैं.

ओआईसी की बैठक में वांग ने कश्मीर पर सख्त बयान दिया था, जिस पर भारत में प्रतिक्रिया भी हुई. उन्होंने कहा, “कश्मीर पर हमने आज फिर बहुत सारे इस्लामिक दोस्तों की राय सुनी. और चीन को इससे उम्मीद बढ़ी है.”

इस बयान पर भारत ने आपत्ति जताई है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार को कहा, “हम चीन के विदेश मंत्री द्वारा उद्घाटन भाषण में भारत के अनुचित जिक्र को खारिज करते हैं. भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर से संबंधित सभी मामले भारत के अंदरूनी मामले हैं. चीन समेत किसी भी देश को इन पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है. उन्हें ध्यान देना चाहिए कि भारत उनके अंदरूनी मामलों पर सार्वजनिक रूप से राय देने से परहेज करता है.”

यूक्रेन पर हो सकती है चर्चा

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार को दैनिक पत्रकार वार्ता के दौरान सवाल पूछे जाने पर कहा कि उन्हें दौरे की कोई जानकारी नहीं है.

नई राह पकड़ सकते हैं भारत-चीन संबंध

नाम ना छापने की शर्त पर भारतीय अधिकारी ने बताया कि वांग अपनी यात्रा में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से मिलेंगे. हालांकि इस मुलाकात का एजेंडा स्पष्ट नहीं है लेकिन यूक्रेन को लेकर बनी अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों पर चर्चा होने की संभावना है.

भारत और चीन दोनों ने ही यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस की निंदा नहीं की है और संयुक्त राष्ट्र में उसके खिलाफ लाए गए प्रस्ताव में मतदान में भी हिस्सा नहीं लिया था. रूस इन दोनों देशों को अपने मित्र-देश मानता है और पश्चिमी देशों के आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंधों के असर को कम करने के लिए भारत और चीन से मदद की उम्मीद कर रहा है.

दो साल से तनाव जारी

भारत और चीन के रिश्तों में पिछले दो साल से काफी तनाव है जब जून 2020 में दोनों देशों के सैनिकों के बीच लद्दाख सीमा पर गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई थी. इस झड़प में भारत के 20 और चीन के चार सैनिकों की जान गई थी. इस घटना के बाद भारत ने चीन के खिलाफ कई आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे. उसकी कई कंपनियों पर भी भारत में प्रतिबंध लगाए गए हैं.

चीन से ज्यादा भारत को होगा यूक्रेन युद्ध का नुकसानः आईएमएफ

तब से दोनों देशों के बीच एक दर्जन से ज्यादा बार सैन्य कमांडर स्तर की वार्ताएं हो चुकी हैं लेकिन मतभेदों को सुलझाने की दिशा में विशेष प्रगति नहीं हुई है. हालांकि दोनों देशों के नेता और विदेश मंत्री इस दौरान अलग-अलग मंचों पर कई बार मिल चुके हैं. इसी महीने चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने बीजिंग में कहा था कि एशिया के दो सबसे बड़े देशों ”एक दूसरे की ऊर्जा सोखने के बजाय लक्ष्य हासिल करने में एक दूसरे की मदद करनी चाहिए.”

पिछले एक महीने में भारत सरकार को ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिकी अधिकारियों से संवाद बढ़ा है. आने वाले दिनों में इस्राएल के प्रधानमंत्री और मेक्सिको के विदेश मंत्री भी भारत दौरे पर आ रहे हैं. चीन ने भी यूक्रेन युद्ध के दौरान अपनी राजनयिक गतिविधियां बढ़ दी हैं.

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)

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