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कनाडा बम मार कर क्यों गिरा रहा है पहाड़ों की बर्फ

२० जनवरी २०२२

पहाड़ों पर बर्फ ज्यादा जम जाए, तो उसके गिरने से भारी नुकसान हो सकता है. देखिए कनाडा ने इसके लिए क्या रास्ता निकाला है.

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तस्वीर: Chris Helgren/REUTERS

ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत में हिमस्खलन रोकने और तमाम रास्तों को बंद होने से बचाने के लिए कनाडा अब बम गिराकर बर्फ तोड़ने की कोशिश कर रहा है. पिछले कई दशकों में यह पहला मौका है, जब कनाडा के इस प्रांत में ठंड इतनी ज्यादा है कि बर्फ बेहद मोटी और सख्त हो गई है. इसकी वजह से यहां हिमस्खलन की आशंका पैदा हो गई है.

ब्रिटिश कोलंबिया कनाडा के सबसे पश्चिमी हिस्से में बसा प्रांत है. यह प्रशांत महासागर और उसके करीब की पर्वत श्रृंखला के सबसे नजदीक है. यहां ग्लेशियर भी हैं. बर्फ इतनी ज्यादा होती है कि लोग हाइकिंग करते हैं, स्कीइंग करते हैं. 2010 में यहां विंटर ओलिंपिक भी हो चुके हैं. अब इस इलाके में कनाडा को कुछ बड़े कदम उठाने पड़ रहे हैं.

क्यों जरूरत पड़ रही है इसकी?

साल 2021 में ब्रिटिश कोलंबिया को कई प्राकृतिक समस्याओं का सामना करना पड़ा था. पहले तो यहां रिकॉर्ड-तोड़ लू दर्ज की गई. जंगलों में आग लग गई थी. फिर अप्रत्याशित बारिश की वजह से हाइवे क्षतिग्रस्त हो गए थे, जिससे वैंकूवर का बाकी देश से संपर्क टूट गया था. वैंकूवर कनाडा का प्रमुख शहर है, जहां देश का व्यस्ततम बंदरगाह है. यह कनाडा की तीसरी सबसे ज्यादा आबादी वाला प्रांत है.

अब यहां सड़कों को सुरक्षित रखने के मकसद से हेलिकॉप्टर के जरिए बम गिराए जाएंगे. रिमोट से होने वाले धमाकों का इस्तेमाल किया जाएगा और कनाडा की सेना की ओर से हॉओइत्जर बंदूक का भी इस्तेमाल किया जाएगा. हालांकि, अब भी हो रहे हिमस्खलन की वजह से वैंकूवर जाने के अहम रास्ते बार-बार बाधित हो रहे हैं.

बर्फ में आने लगी हैं दरारें

वेदर नेटवर्क चैनल के अनुसार इस महीने की शुरुआत में ब्रिटिश कोलंबिया के ऊंचे पहाड़ों पर जमी स्नोपैक यानी मोटी बर्फ औसत से 15 फीसदी ज्यादा थी. स्नोपैक उस बर्फ को कहते हैं, जो अपने ही वजन से दबती जाती है और इसकी वजह से बेहद सख्त और भारी हो जाती है. बीते कुछ वक्त से यहां ठंड भी ज्यादा पड़ रही है.

BdTD | USA Dayton | Schneesturm in USA und Kanada
कनाडा और अमेरिका के कुछ हिस्सों में ऐसा दिखा नजारा. तस्वीर: Megan Jelinger/REUTERS

नवंबर में यहां मूसलाधार बारिश हुई थी. फिर दिसंबर के आखिर में ठंड बहुत ज्यादा हो गई. जनवरी की शुरुआत में बर्फ पिघलने भी लगी थी. इन सबकी वजह से पर्वतों पर जमी बर्फ में दरारें आने लगी हैं. ऐसे में जो सीधे और ऊंचे पहाड़ खड़े हैं, उन पर जमी बर्फ के गिरने की आशंका बढ़ गई है. दिक्कत यह है कि यह बर्फ नीचे घाटी में कभी भी गिर सकती है और कोई इसका अनुमान भी नहीं लगा पाएगा.

वेदर नेटवर्क के मौसम विज्ञानी टाइलर हैमिल्टन बताते हैं, "इस साल पतझड़ और ठंड का मौसम बेहद अप्रत्याशित और अस्थिर रहा है. हमने दिसंबर में ब्रिटिश कोलंबिया के कई इलाकों में भारी हिमस्खलन की चेतावनी जारी की थी. हालांकि, अंदरूनी इलाकों में यह खतरा अब भी बरकरार है."

किन हिस्सों में होंगी गतिविधियां?

एवेलांच (हिमस्खलन) कंट्रोल मिशन का काम यह है कि जब टीम पर्वतों पर जमा सख्त बर्फ के छोटे-छोटे हिस्सों को विस्फोटकों की मदद से तोड़कर नीचे गिराए, तो वे उस समय हाइवे के उन हिस्सों को बंद रखें, जहां लोग मौजूद हो सकते हैं. बर्फ गिराने का मकसद यह है कि वह सख्त, मोटी और वजनी होकर इतनी अस्थिर न हो जाए कि बहुत बड़े हिस्से में टूटकर नीचे गिरने लगे. मिशन में सैनिक भी शामिल किए जाते हैं.

ब्रिटिश कोलंबिया के परिवहन और बुनियादी ढांचा मंत्रालय के मुताबिक इस साल सर्दियों में फ्रेजर घाटी से गुजरने वाले हाइवे 1 के एक हिस्से में बीते 25 बरसों में पहली बार मानवीय रूप से हिमस्खलन कराने की जरूरत पड़ी है. हाइवे 99 के पास इस साल औसत से तीन गुना ज्यादा एवेलांच कंट्रोल गतिविधियों की जरूरत पड़ी है, क्योंकि इस बार हिमस्खलन का असर हाइवे तक पर पड़ने लगा था.

वीएस/एमजे (रॉयटर्स)