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क्या भारतीय रुपया बन सकता है अंतरराष्ट्रीय व्यापार की मुद्रा

चारु कार्तिकेय
१७ जुलाई २०२३

भारत कुछ देशों के साथ व्यापार के लिए रुपये के इस्तेमाल की शुरुआत कर रहा है. अगर ये प्रयास सफल हुए तो रुपया डॉलर की तरह एक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बन सकता है. लेकिन क्या ये संभव है?

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भारतीय रुपया
भारतीय रुपयातस्वीर: Indranil Mukherjee/AFP/Getty Images

15 जुलाई को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच रुपये और दिरहम में व्यापार करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए.

इसके तहत दोनों देशों के बीच एक लोकल करेंसी सेटलमेंट सिस्टम बनाया जाएगा. इसकी मदद से दोनों देशों के निर्यातक और आयातक व्यापार के लिए अपने अपने देशों की मुद्रा में भुगतान कर सकेंगे.

इसका क्या फायदा है

एक आधिकारिक बयान में दावा किया गया है कि ऐसा करने से दोनों देशों के बीच लेनदेन की लागत कम होगी और समय भी कम लगेगा. उम्मीद की जा रही है कि इस व्यवस्था की बदौलत भारत यूएई से कच्चा तेल और अन्य उत्पाद रुपये में खरीद पाएगा. अभी यह लेनदेन अमेरिकी डॉलर में होता है.

अब बीस देशों में चलती है यूरो मुद्रा

यह भारत द्वारा की जा रही एक व्यापक कोशिश का हिस्सा है, जिसके तहत कई देशों के साथ इस तरह की व्यवस्था बनाने पर काम किया जा रहा है. इसी महीने भारत और बांग्लादेश के बीच रुपये में व्यापार शुरू भी कर दिया गया.

रूस के साथ रुपये में व्यापार करने की कोशिशें कई महीनों से चल रही है. साथ ही मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि भारत श्रीलंका, कुछ अफ्रीकी देशों और खाड़ी के कुछ देशों के साथ भी इस तरह की संधि करने पर चर्चा कर रहा है.

इस नीति का उद्देश्य है अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में डॉलर पर निर्भरता को कम करना. ऐसा करने से डॉलर की मांग कम हो सकती है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक उथल पुथल से बेहतर बचाया जा सकता है.

कैसे काम करती है व्यवस्था

इसके तहत साझेदार देश के बैंकों को भारतीय बैंकों में विशेष खाते खोलने होते हैं. आयातक भुगतान के लिए इन विशेष खातों में रुपये जमा करेंगे. इन खातों में जो बैंक बैलेंस पड़ा रहेगा उसका इस्तेमाल भारतीय निर्यातकों को भुगतान करने के लिए किया जाएगा.

मिसाल के तौर पर बांग्लादेश के साथ इस व्यवस्था के लिए आरबीआई ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और आईसीआईसीआई बैंक को और बांग्लादेश बैंक ने सोनाली बैंक और ईस्टर्न बैंक को एक दूसरे के साथ विशेष खाते खोलने की अनुमति दे दी है.

भारतीय रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण एक महत्वाकांक्षी सपना है. इस समय अमेरिकी डॉलर, यूरो, जापान का येन और ब्रिटेन का पाउंड स्टर्लिंग दुनिया की अग्रणी रिजर्व मुद्राओं में से हैं. चीन अपनी मुद्रा युआन के अंतरराष्ट्रीयकरण की कोशिश लंबे समय से कर रहा है, लेकिन उसे सीमित सफलता ही हाथ लगी है.

रुपये की सीमाएं

इस विषय पर आरबीआई द्वारा जारी की गई एक इंटरडिपार्टमेन्टल ग्रुप (आईडीजी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि रुपये के मुकाबले युआन के पास कई फायदे हैं, जैसे चीन की अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भारी हिस्सेदारी होना और चीन के पास लगातार एक ट्रेड सरप्लस भी बना रहना.

इसके विपरीत भारत का अंतरराष्ट्रीय व्यापार में हिस्सा सिर्फ करीब दो प्रतिशत है. साथ ही कुछ देशों के साथ व्यापार को छोड़ कर भारत का ट्रेड डेफिसिट भी काफी बड़ा है. इसके अलावा भारत पूरी तरह से कैपिटल अकाउंट कन्वर्टिबिलिटी की भी इजाजत नहीं देता है.

इसका मतलब है स्थानीय वित्तीय निवेश के एसेट को विदेशी एसेट में और विदेशी एसेट को स्थानीय एसेट में बदलने की इजाजत. चीन भी इसकी पूरी तरह से इजाजत नहीं देता. इसे मुद्राओं के अंतरराष्ट्रीयकरण की कोशिशों की राह में एक रोड़ा माना जाता है.