जो बर्फ की चादर पर रचते हैं मायाजाल
१७ मार्च २०१७कई घंटों की मेहनत से कलाकार साइमन बेक ऐसी कला रचते हैं जो टिकती तो कुछ पल के लिए ही है लेकिन देखने वालों के मन में हमेशा उसकी छवि बस जाती है. कई बार तो वह तीन फुटबॉल फील्ड्स के बराबर बड़े आकार में अपनी छाप छोड़ते हैं. बर्फ की चादर पर वह पैदल चलते हुए मायाजाल रच देते हैं.
साइमन बेक बताते हैं, "स्नोआर्ट के जरिये आप पहाड़ों की खूबसूरती में इजाफा कर देते हैं. वादियां कला को सुंदर बनाती है और कला पहाड़ियों को. पहाड़ और ड्राइंग एक टीम की तरह काम करते हैं.”
वह सबसे पहले एक कंपास के जरिये बर्फ की चादर पर एक बढ़िया ज्यामितीय खाका तैयार करते हैं. फिर कदम दर कदम वे गणित और जापान के मंदिरों के सैंड गार्डन्स से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ते हैं.
साइमन बेक कहते हैं, "पहले दो घंटे आम तौर पर नपाई वाले होते हैं, कंपास का इस्तेमाल करते हुए. अगर आप गलत जगह चले गए तो भूल सुधारी नहीं जा सकती. इसीलिए नपाई बहुत ही सावधानी से करनी पड़ती है. एक बार ड्राइंग की सभी मेन लाइन्स मिल जाएं तो फिर यह काफी आसान हो जाता है. इस प्रकिया के दौरान आप संगीत सुनते रहते हैं, हर समय आप अपना संगीत सुनते रहते हैं.”
संगीत का मतलब उनके लिए लुडविष फान बीथोफेन का म्यूजिक है. इस संगीत के सहारे वह एक बार में 10 घंटे काम कर सकते हैं, वो भी 3,000 मीटर की ऊंचाई पर, मौसम और हवाओं का सामना करते हुए.
साइमन ड्राइंग पूरी करने के बाद फोटोग्राफी के लिए पहाड़ पर चढ़ते हैं. फोटो खींचने के बाद वह तस्वीरें तुरंत फेसबुक पर पोस्ट करते हैं. सोशल मीडिया पर दुनिया भर में उनके तीन लाख फैंस हैं. वह बताते हैं, "बहुत सारे लोग फेसबुक इस्तेमाल करते हैं. और फेसबुक का इस्तेमाल करने के साथ ही मेरा स्नो आर्ट बिजनेस शुरू हुआ. इंटरनेट की यह खूबी जबरदस्त है. अपना काम दिखाने के लिए आपको आर्ट गैलरी के चक्कर नहीं लगाने पड़ते. जो इसे देखना चाहता है और आप उसे और किसी को भी ये दिखा सकते हैं.”
साइमन जानते हैं कि बर्फ पर उनकी कला कुछ ही पलों भर के लिए है. लेकिन तस्वीरों और स्मृतियों में वह बरकरार रहती है.
गेरहार्ड जॉनलाइटनर