सरकार कूड़ा हटाएगी, इस बात ने उड़ा दी हजारों की नींद
२ सितम्बर २०१६डी सिल्वा बहुत डरे हुए हैं कि कूड़े का यह ढेर हट जाएगा तो उनका क्या होगा. घंटों उस गंदी, बद्बूदार जगह पर पड़ी सड़ी-गली चीजों के बीच घूमते रहने वाले सिल्वा ब्राजील की सरकार के इस फैसले से खौफजदा हैं. सिल्वा सिर्फ 13 साल के थे जब से वह अपने पिता के साथ कचरा बीनने जाने लगे थे. वह कूड़े के इस ढेर में से ऐसी चीजें खोजते हैं जिन्हें रीसाइकल किया जा सके. इन्हें बेचकर ही अपना परिवार चलाते हैं. आज भी हाल वही है जो सालों पहले था. यानी 8-10 के बच्चे कचरा बीनते मिल जाते हैं.
महाद्वीप का कचरे का सबसे बड़ा ढेर रियो में राष्ट्रपति भवन से सिर्फ 30 किलोमीटर दूर है. लेकिन सिल्वा और उन जैसे दर्जनों लोगों को यह ढेर ही अपनी जिंदगी नजर आता है. यहां से कचरा चुन-चुन कर इन लोगों ने इतना पैसा बचा लिया है कि छोटा घर खरीदा जा सके.
देखिए, कचरे से बनते जीव
कचरा बीनने वाले ज्यादातर लोग वहीं ढेर के नजदीक सिडाडे इस्ट्रक्चरल इलाके में रहते हैं. अनुमान है कि इस जगह की आबादी 40 हजार है. अर्बन क्लीनिंग सर्विस की प्रमुख कात्या कंपोज बताती हैं कि यह रिहायश अवैध तरीके से बसनी शुरू हुई थी लेकिन आज यह एक नियमित शहर बन चुका है. लोगों ने आधिकारिक घर ले लिए हैं, जमीनें और व्यापार खरीद लिए हैं. सिल्वा के पास अपने घर की रजिस्ट्री है जो ब्राजील में कई शहरों में लोगों को अब तक नसीब नहीं है.
कंपोज बताती हैं कि सरकारी एजेंसियां रीसाइकलिंग के धंधे में लगे कामगारों के घर और जमीन के मालिकाना अधिकारों की सुरक्षा करती हैं. हालांकि इस्ट्रक्चरल लैंडफिल को बंद करने की योजना पर काम चल रहा है लेकिन रिहायश बनी रहेगी. कंपोज बताती हैं कि पर्यावरण को हो रहे नुकसान और बाकी चिंताओं के चलते इस जगह को बंद करने का फैसला किया गया है. हालांकि अभी कोई समय सीमा तय नहीं है. कचरा बीनने वालों को लगता है कि बस अगली गर्मियों तक सब बंद हो जाएगा. सालभर से तो बातचीत चल ही रही है.
प्लास्टिक से जलते महासागर
18 साल की होआ फेरेरा बताती हैं कि कचरा बीनने वाले हर व्यक्ति को रोजाना औसतन 40 रियाल यानी लगभग 12 डॉलर की आमदनी हो जाती है. यह पैसा कम नहीं है. ब्राजील में न्यूनतम मासिक मजदूरी 800 रियाल है. कामगार ज्यादातर अनियमित हैं और उन्हें किसी तरह की सरकारी सुरक्षा हासिल नहीं हैं. वे तो रोज की मजदूरी पर काम करते हैं. यानी जितना कचरा, उतना पैसा. लगभग तीन हजार लोग कूड़े के इस ढेर पर निर्भर हैं. 24 घंटे कोई ना कोई कामगार कचरे में घूमता देखा जा सकता है. अब जब यह बंद हो जाएगा, तो बहुत कुछ बदल जाएगा.
यह है कूड़े के ढेर में जीवन