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ट्रंप के लिए हवन करने वाले अब कहां हैं?

अशोक कुमार
१ फ़रवरी २०१७

वैसे तो मोहब्बत अंधी होती है, लेकिन अगर मोहब्बत डॉनल्ड ट्रंप से है तो फिर आपको सरप्राइज के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए. एच1बी वीजा पर लगी पाबंदियां पहला सरप्राइज हैं.

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Indien Feuerritual Splitterpartei Hindu Sena unterstützt Trump
तस्वीर: Reuters/A. Mukherjee

 

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के शायद सबसे ज्यादा चाहने वाले अमेरिका के बाद भारत में रहते हैं. तभी तो, जिस दिन से डॉनल्ड ट्रंप को उम्मीदवारी मिली थी, उसी दिन से पूरी दुनिया चिंता में मरी जा रही थी लेकिन भारत में उनके जीत के लिए कुछ लोग हवन कर रहे थे. ट्रंप ने चुनाव के दौरान तो भारत और भारतीयों से मोहब्बत के इजहार में कमी नहीं छोड़ी. उनका "आई लव हिंदूज” याद कीजिए. वीडियो झूठा था या सच्चा, लोगों ने उनसे "अबकी बार ट्रंप सरकार” भी कहलवा दिया.

यह शायद हवन की ताकत थी कि जिस आदमी के खिलाफ अमेरिका का मीडिया, अमेरिकी जनता और यहां तक कि उनकी अपनी रिपब्लिकन पार्टी भी खड़ी थी, वह चुनाव जीत गया. आप चाहें तो इस बात को अमेरिकी चुनाव व्यवस्था और इलेक्ट्रोरल कॉलेज का हवाला देकर काट सकते हैं. जितने मुंह, उतनी बातें, लेकिन ट्रंप ने सत्ता संभालते ही ‘प्यार का पंचनामा' कर डाला. उनके ‘भारतीय भक्त' सात मुस्लिम बहुल देशों के लोगों की अमेरिका में ‘नो एंट्री' का जश्न की मना रहे थे कि ट्रंप प्रशासन की तरफ से ‘मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है' के सुर सुनाई दिए. राष्ट्रपति ट्रंप ने न जाने कितने भारतीयों के ‘अमेरिकन ड्रीम' का बंटाधार कर दिया. नए जाने वाले लोगों की तो छोड़िए हो सकता है जो तीन से साढ़े तीन लाख भारतीय इंजीनियर अमेरिका में एच1बी वीजा पर काम कर रहे हैं, कहीं उन्हें भी ‘स्वदेश' न लौटना पड़ जाए. ट्रंप ने साफ कर दिया है कि अब एच1बी वीजा चाहिए तो और ‘काबिल' बनिए. साल में 60 हजार डॉलर की सैलरी से काम नहीं चलेगा. अगर 1 लाख तीस हजार डॉलर पाने का दमखम है तो एच1बी वीजा की लाइन में लगिए, वरना ट्रंप भारतीयों के बिना ही ‘अमेरिका को फिर से महान' बना लेंगे.

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इसी एच1बी वीजा का बदौलत ही अमेरिका की सिलिकॉन वैली में भारत का डंका बजा है. लेकिन अब ट्रंप ढोल छीन लेने पर ही आमादा हैं. पिछले साल अगस्त तक अमेरिका ने जितने भी एच1बी वीजा जारी किए थे, उनमें से 72 प्रतिशत भारतीयों के खाते में आए थे. अमेरिका से भारत के आईटी सेक्टर से हर साल 65 अरब डॉलर की आमदनी होती है, ट्रंप का ताजा कदम उस पर डाका डाल सकता है. लेकिन कहते हैं ना कि प्यार और जंग में सब कुछ जायज है. इसलिए

"इब्तिदा-ए-इश्क है रोता है क्या, आगे-आगे देखिये होता है क्या". जो नए जमाने के हैं, उन्हें "अभी तो पार्टी शुरू हुई है" ज्यादा समझ आएगा.