धारावीः तंग गलियों में कोरोना वायरस के खिलाफ अभियान
एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती कही जाने वाली धारावी में स्वास्थ्य कर्मचारी तमाम मुश्किलों के बावजूद कोरोना को काबू करने में जुटे हैं. बारिश और उमस वाले मौसम में धारावी जैसे क्षेत्र में काम करना बड़ी चुनौती है.
सफेद कपड़ों में "देवदूत"
एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी में स्वास्थ्य कर्मचारी कड़ी मेहनत कर कोरोना वायरस को हराने में जुटे हुए हैं. घनी आबादी वाली इस बस्ती में सोशल डिस्टेंसिंग एक बड़ी चुनौती है. धारावी में कोविड-19 का पहला मामला एक अप्रैल को सामने आया था जबकि मुंबई में संक्रमण का पहला मामला 11 मार्च को आया था.
तंग गली और संक्रमण से बचाव
धारावी की गलियां बहुत तंग है और यहां मकान छोटे-छोटे हैं. कई मकान एक कमरे के भी हैं और लोगों को शौचालय तक साझा करना पड़ता है. यहां पानी की किल्लत रहती है और पानी के लिए भी लाइन में लगना पड़ता है. लगभग 535 एकड़ में फैले हुए धारावी को 1880 के दशक में बसाया गया था.
शहर और झुग्गी
चार लाख से अधिक कोरोना मामलों के साथ महाराष्ट्र देश में सबसे आगे है. मुंबई में संपत्ति बहुत महंगी है. शहर के भीतर ऐसे कई छोटे-छोटे पॉकेट्स झुग्गी के रूप में विकसित हो गए हैं जहां लाखों की संख्या में लोग रहते हैं. घनी आबादी वाले इलाकों के लिए स्वच्छता पहले ही चुनौती भरा काम रहा है और अब कोविड-19 से मुश्किल और बढ़ गई है.
वायरस का सफाया!
मुंबई के स्लम इलाकों में राज्य सरकार जोर लगाकर डिसइंफेक्शन का काम चला रही है. धारावी में घनी आबादी के बावजूद नगर महापालिका, बीएमसी और स्थानीय लोगों की मदद से कोरोना वायरस काबू में आता दिख रहा है. बीते तीन महीने से धारावी कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट बना हुआ था लेकिन प्रशासन की मेहनत से यह कोरोना मुक्त होने की कगार पर पहुंच गया है.
प्लाज्मा डोनेशन
स्लम एरिया के लोग जो कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे, वे अब आगे बढ़कर प्लाज्मा डोनेट कर रहे हैं. मुंबई के झुग्गी क्षेत्र के लोग ऐसे हालात में रहते हैं कि उनका आम दिन भी कठिनाई से भरा होता है लेकिन इसके बावजूद संकट के समय में वे अन्य लोगों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं.
कैंप लगाकर प्लाज्मा डोनेशन
धारावी और अन्य झुग्गी इलाकों में डॉक्टर और अन्य निजी क्लीनिक्स स्क्रीनिंग और कैंप लगाकर सैकड़ों लोगों को प्लाज्मा डोनेशन के लिए कवर कर रहे हैं.
पीपीई सूट में काम
स्वास्थ्य कर्मचारी पीपीई सूट पहनकर शरीर का तापमान मापने वाले उपकरण लिए घर-घर जाकर स्क्रीनिंग कर रहे हैं. मेडिकल स्टाफ को कई घंटे इसी तरह से गर्मी और पसीने के बीच काम करना पड़ता है.
बाजार और भीड़
महाराष्ट्र का धारावी इलाका भीड़ से भरा है. कड़ी पाबंदी के बाद भी जब लोग जरूरी सामान लेने निकलते हैं तो सोशल डिस्टेंसिंग करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. हालांकि लोग मास्क और रुमाल से मुंह ढक लेते हैं.
डब्ल्यूएचओ कर चुका है तारीफ
पिछले दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन ने धारावी में कोरोना वायरस की रफ्तार पर ब्रेक के लिए तारीफ की थी. डब्ल्यूएचओ ने धारावी में कोविड-19 का सामुदायिक प्रसार रोकने में मिली सफलता की प्रशंसा की थी.
झुग्गी और चॉल
मुंबई में लोग झुग्गी बस्ती में तो रहते ही हैं साथ ही बड़ी आबादी चॉल में भी रहती हैं. पानी और स्वच्छता की समस्या यहां भी रहती है. स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ प्रशासन पर भी कोरोना को लेकर बनाए गए नियमों के पालन कराने की जिम्मेदारी रहती है.
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