भारत में सांसों का संकट
भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच ऑक्सीजन की कमी से मरीज और उनके रिश्तेदार लाचार घूम रहे हैं. ऑक्सीजन नहीं मिलने की वजह से कई मरीजों की मौत हो जा रही है. कई मरीजों को अस्पताल में बेड भी नहीं मिल पा रहा है.
शहर दर शहर लोग बेहाल
भारत के बड़े शहर हो या छोटे हर जगह कोरोना के मरीजों को बेहतर इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है. देश की स्वास्थ्य व्यवस्था कोरोना के मरीजों का भार नहीं उठा पा रही है.
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देश के कई गुरुद्वारों में कोरोना के मरीजों को निशुल्क ऑक्सीजन दी जा रही है. मरीजों के लिए राजधानी दिल्ली में खास इंतजाम किए गए हैं. दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी की तरफ से 250 बेड का कोविड फैसिलिटी सेंटर बनया गया.
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उत्तर भारत में इस वक्त भीषण गर्मी पड़ रही है. मरीज ही नहीं उनके रिश्तेदारों को कड़ी धूप में अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.
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कोरोना के जो मरीज घर पर अपना इलाज करा रहे होते हैं जब उनका ऑक्सीजन लेवल अचानक गिर जाता है तो उन्हें अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ते हैं. ज्यादातर उनके हाथ निराशा ही लगती है.
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भारत में कोरोना वायरस विकराल रूप ले चुका है. बड़े अस्पताल और छोटे अस्पताल दोनों ही कोरोना के मरीज लेने से इनकार कर रहे हैं. कई बार डॉक्टर भी मजबूरी में मरीजों को घर ले जाने की सलाह दे देते हैं.
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अस्पताल में जगह नहीं मिलने के बाद परिजनों का बुरा हाल हो जाता है. वे अस्पताल प्रशासन के आगे कई बार हाथ जोड़ते भी नजर आते हैं.
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दिल्ली के कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज को अस्थायी कोविड-19 देखभाल केंद्र के रूप में बनाया गया है. दिल्ली में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ने के साथ ही ऑक्सीजन, इंजेक्शन और दवाइयों का संकट हो गया है.
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सिर्फ दिल्ली ही नहीं कई राज्यों में पिछले कुछ दिनों से ऑक्सीजन का संकट बना हुआ है. हाईकोर्ट केंद्र और राज्य सरकारों को ऑक्सीजन सप्लाई करने को लेकर आदेश भी दे चुका है.
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अस्पताल में बेड ही नहीं बल्कि एंबुलेंस जैसी जरूरी सेवा भी कई मरीजों को नसीब नहीं हो रही है. अनेक राज्यों में मरीज रिक्शा, ऑटो रिक्शा, मोटर साइकिल पर सवार होकर अस्पताल तक पहुंचते हैं.