बर्लिन के इस अस्पताल में हो रहा है अलेक्सी नावाल्नी का इलाज
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आलोचक अलेक्सी नावाल्नी को कथित रूप से जहर दिए जाने के बाद इलाज के लिए जर्मन राजधानी बर्लिन लाया गया. यहां के शारिटे अस्पताल में पहले भी इस तरह के कई हाई प्रोफाइल मामले आ चुके हैं.
देश का नंबर 1
जर्मनी के लिए यह अस्पताल उतना ही महत्वपूर्ण है जितना भारत में दिल्ली का एम्स. जर्मनी के चिकित्सा क्षेत्र के आधे से ज्यादा नोबेल पुरस्कार विजेता इस अस्पताल में काम कर चुके हैं.
300 साल पुराना
शारिटे अस्पताल की स्थापना साल 1710 में प्लेग के मरीजों का इलाज करने के लिए की गई थी. कुछ 100 साल बाद यहां मेडिकल कॉलेज भी बना और धीरे धीरे यह रिसर्च के लिहाज से अहम जगह बन गई.
काला अध्याय
नाजी काल में इस अस्पताल की छवि खराब हुई. तब यहां यहूदियों के शवों पर कई तरह के शोध किए जा रहे थे. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब जर्मनी बंटा, तो यह पूर्वी जर्मनी का हिस्सा बन गया.
हाई प्रोफाइल मामले
यह अस्पताल यूरोप के कई हाई प्रोफाइल लोगों का इलाज कर चुका है. मार्च 2014 में यूक्रेन की विपक्षी नेता और राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार यूलिया टीमोशेंको को इलाज के लिए यहां लाया गया. वे ढाई साल कैद में रही थीं जहां उन्हें तीन स्लिप डिस्क हुई थी.
नावाल्नी का इलाज
जैसे ही अलेक्सी नावाल्नी को कथित रूप से जहर दिए जाने की बात सामने आई, तो तुरंत ही माना जाने लगा कि उनकी जान नहीं बच पाएगी. रूसी डॉक्टरों ने शुरू में कहा कि वे यात्रा करने की हालत में नहीं हैं. लेकिन शारिटे के डॉक्टरों ने दावा किया कि वे उनका इलाज कर सकते हैं.
पहला मामला नहीं
व्लादिमीर पुतिन के किसी विपक्षी के यहां इलाज का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले 2018 में पुतिन के कट्टर विरोधी पुसी रायट बैंड के पियोत्र वेरजिलोव को भी मॉस्को से यहां लाया गया. उन्हें भी जहर दिया गया था.
इबोला के दौर में भी
2015 में जब अफ्रीका में इबोला फैला, तब भी यह अस्पताल चर्चा में रहा. सिएरा लिओन में मरीजों का इलाज कर रहे एक दक्षिण कोरियाई डॉक्टर खुद जब इबोला से संक्रमित हो गए, तो उन्हें यहीं लाया गया.
जर्मनी का कोरोना एक्सपर्ट
शारिटे जर्मनी का पहला अस्पताल था जहां लोकल ट्रांसमिशन के मामले की पुष्टि की गई. यहां के वायरस एक्सपर्ट क्रिस्टियान ड्रोस्टेन महामारी के दौरान सरकार के सलाहकार और कोरोना से निपटने की नीति का मुख्य चेहरा हैं.