बीबीसी: बिना डर या पक्षपात के रिपोर्टिंग करेंगे
१७ फ़रवरी २०२३बीबीसी के दफ्तरों में आयकर विभाग का सर्वे ऑपरेशन लगभग 60 घंटे बाद गुरुवार रात समाप्त हो गया. मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि इस दौरान अधिकारियों ने कुछ चुनिंदा कर्मचारियों के वित्तीय डेटा एकत्र किए और बीबीसी के इलेक्ट्रॉनिक व कागजी आंकड़ों की कॉपियां बनाई.
मंगलवार को शुरू हुआ था सर्वे
मंगलवार सुबह 11.30 बजे आयकर विभाग ने अपना सर्वे शुरू किया था जो कि गुरुवार देर रात खत्म हुआ. बीबीसी न्यूज की प्रेस टीम ने इस सर्वे के बाद ट्विटर पर पोस्ट जारी किया है. इस पोस्ट में लिखा है, "आयकर विभाग के अधिकारी हमारे दिल्ली और मुंबई दफ्तर से चले गए हैं. हम जांच में पूरा सहयोग आगे भी जारी रखेंगे. हमें उम्मीद है कि इस मामले को जल्द सुलझा लिया जाएगा. हम अपने स्टाफ का समर्थन करते हैं- जिनको लंबी पूछताछ का सामना करना पड़ा या रातभर रुकना पड़ा. उनका ख्याल रखना हमारी प्राथमिकता है. हमारा कामकाज सामान्य हो गया है और हम भारत और उसके बाहर अपने दर्शकों को सेवा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं."
बिना डरे करेंगे काम-बीबीसी
बयान में आगे कहा गया है, "बीबीसी एक विश्वसनीय, स्वतंत्र मीडिया संगठन है और हम अपने सहयोगियों और पत्रकारों के साथ खड़े हैं जो बिना किसी डर या पक्षपात के रिपोर्टिंग करना जारी रखेंगे."
मीडिया में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि "सर्वे" बीबीसी की सहायक फर्मों के अंतरराष्ट्रीय कराधान और ट्रांसफर प्राइसिंग से जुड़े संभावित मुद्दों की जांच के लिए था. भारतीय आयकर विभाग ने अभी तक इस सर्वे पर आधिकारिक बयान नहीं जारी किया है.
मोदी पर डॉक्यूमेंट्री के बाद सर्वे पर सवाल
मोदी पर हाल ही में बीबीसी ने दो भाग वाली डॉक्यूमेंट्री जारी की थी जिसकी आलोचना बीजेपी और सरकार ने थी. हालांकि इसको भारत में प्रसारित नहीं किया गया था. भारत सरकार ने डॉक्यूमेंट्री से जुड़े लिंक्स ट्विटर और यूट्यूब से हटाने का आदेश दिया था.
'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नाम के दो एपिसोड वाली डॉक्यूमेंट्री में प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी और भारत के मुसलमानों के बीच तनाव की बात कही गई है. साथ ही गुजरात दंगों में मोदी की कथित भूमिका और दंगों के दौरान मारे गए हजारों लोगों को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
विदेश मंत्रालय ने बताया था प्रोपेगेंडा
डॉक्यूमेंट्री के रिलीज होने पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने की डॉक्यूमेंट्री की आलोचना करते हुए इसे 'पक्षपातपूर्ण प्रोपेगेंडा' करार दिया था.
बीबीसी दफ्तरों पर आयकर सर्वे पर विपक्षी दलों ने सवाल उठाए थे. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने कहा था कि जांच अडानी की बजाए बीबीसी की कराई जा रही है. वहीं केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि देश के कानून से ऊपर कोई नहीं है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बीबीसी पर भारत में पूर्ण प्रतिबंध लगाने की याचिका खारिज कर दी थी. हिंदू सेना ने देशभर में बीबीसी पर बैन लगाने की याचिका दायर की थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को गलत और बेदम बताते हुए खारिज कर दिया था.