विमान में डिवाइस की बैटरी गर्म होने की घटनाएं बढ़ीं
१० सितम्बर २०२४2019 से 2023 के बीच विमानों में बैटरी के ओवरहीटिंग यानी अत्यधिक गर्म होने की घटनाओं में 28 फीसदी की वृद्धि हुई है. हालांकि ऐसी घटनाएं अभी भी दुर्लभ हैं. यह जानकारी यूएल स्टैंडर्ड्स एंड इंगेजमेंट द्वारा सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई है.
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रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक ओवरहीटिंग की घटनाएं ई-सिगरेट से हुईं. 60 फीसदी मामलों में, यह ओवरहीटिंग उस यात्री की सीट के पास हुई, जो यह उपकरण लाया था. डिवाइस के ज्यादा गर्म होने को थर्मल रनअवे कहा जाता है.
जुलाई में एक यात्री के बैग में मौजूद लैपटॉप से धुआं उठने के कारण सैन फ्रांसिस्को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उड़ान भरने से पहले एक विमान को खाली कराना पड़ा था. पिछले साल डैलस से ऑरलैंडो जा रहे एक विमान को जैक्सनविले, फ्लोरिडा में इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी थी जब एक बैटरी ने ऊपर रखे बिन में आग पकड़ ली थी.
ई-सिगरेट और चार्जर सबसे खतरनाक
अमेरिका में हुए अध्ययन के लिए सर्वेक्षण में शामिल यात्रियों में से एक-चौथाई से अधिक ने कहा कि उन्होंने अपने चेक-इन बैग में ई-सिगरेट और पोर्टेबल चार्जर रखे थे, जबकि यह नियमों के खिलाफ है.
यात्रियों की बढ़ती संख्या की वजह से ग्रीन ट्रांसपोर्ट को लेकर बढ़ रही चुनौतियां
ट्रांसपोर्टेशन सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन (टीएसए) ने ई-सिगरेट, चार्जर और पावर बैंकों को चेक-इन बैग में रखने पर रोक लग रखी है. लेकिन इन्हें कैरी-ऑन बैग यानी, विमान में यात्रियों के साथ रहने वाले सामान में ले जाने की अनुमति है. यह नियम इसलिए है क्योंकि कार्गो होल्ड में आग का पता लगाना और उसे बुझाना मुश्किल हो सकता है.
यूएल स्टैंडर्ड्स एंड इंगेजमेंट, जो कभी अंडरराइटर्स लेबोरेटरीज के रूप में जानी जाती थी, ने यह रिपोर्ट 35 यात्री और कार्गो एयरलाइनों से उपलब्ध डेटा के आधार पर तैयार की है. इनमें 10 प्रमुख अमेरिकी यात्री एयरलाइनों में से 9 शामिल हैं.
फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) के अनुसार, इस साल 15 अगस्त तक विमानों में 37 थर्मल रनअवे की घटनाएं दर्ज की गई हैं. पिछले साल 77 घटनाएं हुई थीं, जो 2019 के मुकाबले 71 फीसदी अधिक थीं.
अभी बहुत कम हैं घटनाएं
अमेरिकी एयरलाइंस हर हफ्ते लगभग 1,80,000 उड़ानें संचालित करती हैं. इस लिहाज से हवा में इन घटनाओं की संख्या अभी भी काफी कम है. इसके अलावा, ये घटनाएं सिर्फ विमानों से नहीं जुड़ी हैं क्योंकि लिथियम बैटरी कहीं भी ज्यादा गर्म हो सकती हैं.
यूएल के डेविड रोथ ने कहा, "हम जानते हैं कि 40,000 फीट की ऊंचाई पर थर्मल रनअवे की घटना कई अनजान खतरे पेश करती है."
इन खतरों को लेकर कई सालों से चिंता जताई जा रही है. 2010 और 2011 में लिथियम-आयन बैटरी ले जा रहे कार्गो विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद, संयुक्त राष्ट्र की एविएशन संस्था ने इन सामानों को प्रतिबंधित करने पर विचार किया था, लेकिन सख्त मानकों को खारिज कर दिया गया.
इन प्रतिबंधों का विरोध करने वालों में एयरलाइंस भी शामिल थीं. उनका तर्क था कि बैटरी शिपमेंट्स स्वीकार करने का फैसला सामान लाने-ले जाने वालों पर छोड़ देना चाहिए. कुछ एयरलाइंस ऐसी हैं जो अब बड़ी मात्रा में बैटरी अपने सामान में नहीं लेती हैं.
क्या है समाधान?
विमानों पर सबसे आम लिथियम-आयन से चलने वाले उपकरणों में फोन, लैपटॉप, वायरलेस हेडफोन और टैबलेट शामिल हैं. दर्ज की गईं ओवरहीटिंग घटनाओं में लगभग 35 फीसदी ई-सिगरेट से और 16 प्रतिशत पावर बैंकों से संबंधित थीं.
लिथियम-आयन बैटरी के ज्यादा गर्म होने और आग लगने की समस्या से निपटने के लिए नई तकनीकी समाधान विकसित किए जा रहे हैं. जैसे स्टैन्फर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक बैटरी विकसित की है जो अत्यधिक गर्म होने पर खुद ही बंद हो जाती है. ठंडी होते ही यह बैटरी फिर से चालू हो जाती है.
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यह तकनीक पॉलीइथाईलीन फिल्म और नैनो-निकल कणों का उपयोग करती है, जो तापमान के अनुसार फैलते और सिकुड़ते हैं. इससे ओवरहीटिंग होने पर बैटरी में बिजली का प्रवाह बंद हो जाता है.
यह तरीका विभिन्न तापमानों के लिए समायोजित किया जा सकता है, जो इसे पोर्टेबल उपकरणों और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उपयुक्त बनाता है. इससे वाहन और यात्राएं ज्यादा सुरक्षित होती हैं और बैटरी के प्रदर्शन को भी नुकसान नहीं होता.
रिपोर्टः विवेक कुमार (एपी)