बच्चाबाजी बनी तालिबान का हथियार
बच्चाबाजी यानी लड़कों का यौन शोषण अफगानिस्तान में एक परंपरा जैसा है. लेकिन इसके चक्कर में सैकड़ों पुलिसवाले मारे जा चुके हैं. तालिबान इन बच्चों के हाथों ही उन अफसरों की हत्याएं करवा रहा है. तस्वीरें प्रतीकात्मक हैं.
क्या है बच्चाबाजी
अफगानिस्तान में ताकतवर राजनीतिज्ञ, सैन्य अफसर, कबीलाई सरदार और अन्य प्रभावशाली लोग बच्चों को दास की तरह रख सकते हैं. यह उनके प्रभाव का प्रतीक होता है.
कैसे होती है बच्चाबाजी
दास बनाए गए इन बच्चों को महिलाओं जैसे कपड़े पहनाकर पार्टियों में नचाया जाता है और इनका यौन शोषण भी किया जाता है.
समलैंगिकता से इतर
बच्चाबाजी को समलैंगिकता नहीं माना जाता. समलैंगिकता तो इस्लाम में हराम है लेकिन बच्चाबाजी को एक सांस्कृतिक परंपरा कहकर स्वीकार किया जाता है.
औरतें और बच्चे
कई अफगान इलाकों में कहावत है कि औरतें बच्चे पैदा करने के लिए होती हैं और लड़के मजे करने के लिए.
कैसे होते हैं बच्चे
बच्चाबाजी के लिए इस्तेमाल होने वाले बच्चे 10 से 18 साल के बीच के होते हैं. या तो वे गरीबी की वजह से इसमें फंसते हैं या फिर उन्हें अगवा करके इस पेशे में धकेल दिया जाता है. कई बार गरीब परिवार अपने लड़कों को बेच भी देते हैं.
बच्चाबाजी के बाद
बच्चाबाजी झेलने के बाद जो लड़के बड़े होते हैं, देखा गया है कि वे हिंसक हो जाते हैं और तालिबान उन्हें उनके मालिकों के कत्ल के लिए इस्तेमाल करता है.
तालिबान ने बैन कियाा
अफगानिस्तान में जब (1996-2001) तालिबान का राज था तो इस परंपरा पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. लेकिन हाल के सालों में इसने फिर जोर पकड़ लिया है. दक्षिणी और पूर्वी ग्रामीण इलाकों में इसका चलन काफी है.
क्यों बढ़ा
अफगान समाज में महिलाओं पर बहुत ज्यादा पाबंदियां हैं. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि इससे पुरुषों और महिलाओं का संपर्क कम होता है और बच्चाबाजी बढ़ती है.
कानून कहां है?
अफगानिस्तान इंडेपेंडेंट ह्यूमन राइट्स कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक देश में रेप के खिलाफ तो कड़े कानून हैं लेकिन बच्चाबाजी को लेकर यह कानून स्पष्ट नहीं है.