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सात साल बाद ऑस्ट्रेलिया पहुंचे चीनी विदेश मंत्री

२० मार्च २०२४

सात साल बाद चीन का कोई बड़ा नेता ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर है. चीन के विदेश मंत्री वांग यी बुधवार को कैनबरा पहुंचे हैं. क्या यह संबंध बेहतर होने की शुरुआत है?

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चीन और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री कैनबरा में मिले
सात साल बाद ऑस्ट्रेलिया दौरे पर चीन के विदेश मंत्रीतस्वीर: David Gray/AFP/Getty Images

ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े व्यापारिक साझीदार चीन का कोई बड़ा नेता पिछले सात साल से ऑस्ट्रेलिया नहीं गया था. दोनों देशों के बीच तनाव इस कदर बढ़ गया था कि चीन ने ऑस्ट्रेलिया पर कई कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे. बुधवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी कैनबरा पहुंचे तो ऑस्ट्रेलिया के व्यापारियों ने राहत की सांस ली है.

वांग यी ने कहा कि हाल के दिनों में संबंध सुधारने की दिशा में जो कोशिशें की गई हैं, उन्होंने बर्फ पिघलाई है और दोनों देशों के बीच  "धीरे-धीरे परस्पर विश्वास बढ़ रहा है.”

उन्होंने कहा, "सबसे अहम बात यह है कि अपने मतभेदों के बावजूद सहयोग के साझा आधार को खोजने की कोशिश जारी रहे.”

ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वॉन्ग ने कहा कि यह मानना जरूरी है कि कम समय में ही "हमने कितनी तरक्की कर ली है”. हालांकि उन्होंने मतभेदों को नजरअंदाज नहीं किया.

वॉन्ग ने कहा, "हमने डॉ. यांग हेंगजुन को सजा दिए जाने के मामले पर भी बात की. मैंने विदेश मंत्री को बताया कि इस फैसले से ऑस्ट्रेलियाई लोगों को बड़ा धक्का लगा.”

मानवाधिकारों की चर्चा

चीनी मूल के ऑस्ट्रेलियाई नागरिक यांग हेंगजुन एक लेखक हैं. यांग जुन के नाम से जाने जाने वाले हेंगजुन को फरवरी में निलंबित मृत्युदंड सुनाया गया था. चीन की एक अदालत ने उन्हें जासूसी का दोषी करार दिया था. हालांकि वह इन आरोपों का खंडन करते रहे हैं.

ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री ने कहा, "मैंने मानवाधिकारों को लेकर ऑस्ट्रेलिया की चिंताएं जाहिर की हैं. इनमें शिनजियांग, तिब्बत और हांग कांग भी शामिल हैं.”

हांग कांग ने मंगलवार को ही एक नया रक्षा कानून पारित किया है, जिसमें देशद्रोह के लिए कड़ी सजाओं का प्रावधान है. अमेरिका, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और संयुक्त राष्ट्र ने भी इस कानून की निंदा की है.

जब चीनी विदेश मंत्री ऑस्ट्रेलियाई नेताओं से मिल रह थे तब कैनबरा में संसद के बाहर बड़े पैमाने पर प्रदर्शनकारी जमा हुए. इन प्रदर्शनकारियों ने शिनजियांग और तिब्बत के झंडे लहराते हुए चीन विरोधी नारे लगाए. उनके हाथों में तख्तियां थीं जिन पर ‘मानवाधिकार बिकाऊ नहीं हैं' और ‘यांग हेंगजुन को रिहा करो' जैसे नारे लिखे हुए थे.

कैसे बढ़ा तनाव

2018 में ऑस्ट्रेलिया और चीन के रिश्तों में तनाव की शुरुआत हुई थी जब ऑस्ट्रेलिया ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए चीनी टेलीकम्यूनिकेशंस कंपनी ह्वावे को 5जी नेटवर्क की नीलामी से बाहर कर दिया था.  

उसके बाद 2020 में ऑस्ट्रेलिया ने कोविड-19 महामारी के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस के प्रसार में चीन की भूमिका की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की, जो चीन को नागवार गुजरी. जवाब में चीन ने ऑस्ट्रेलिया के उत्पादों के आयात पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए. जौ, बीफ और वाइन जैसे उत्पादों का आयात बिल्कुल बंद कर दिया गया जबकि कोयले का आयात रोक दिया. ऑस्ट्रेलियाई व्यापारियों को इससे तगड़ा नुकसान हुआ था.

2022 में साल लेबर पार्टी के सरकार में लौटने के बाद से दोनों देशों के रिश्ते सुधारने के लिए कोशिशें बढ़ी हैं. इन कोशिशों के नतीजे भी सामने आए हैं. ऑस्ट्रेलियाई उत्पादों पर लगे अधिकतर प्रतिबंधों को हटा लिया गया है. हालांकि, वाइन पर प्रतिबंध अभी जारी हैं.

ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वॉन्ग ने कहा कि वाइन पर करों के बारे में फैसला इस महीने के आखिर में लिया जाएगा. इसे प्रतिबंधों के हटने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है.

प्रतिबंध लगाए जाने से पहले चीन ऑस्ट्रेलिया की वाइन का सबसे बड़ा खरीदार था. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2020 में निर्यात से हुए रेवन्यू का 33 फीसदी वाइन से ही आया था.

खनिजों को लेकर चिंता

ऑस्ट्रेलिया अपने खनिजों को लेकर भी चिंतित है क्योंकि वैश्विक बाजार में उसके माल की मांग हाल के महीनों में तेजी से घटी है. इंडोनेशिया ने सस्ता माल बाजार में भर दिया है, जिससे ऑस्ट्रेलियाई कच्चे माल की कीमत और मांग घट गई है.

बुधवार को दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच निकल के व्यापार पर भी चर्चा हुई. चीन कच्चे माल के लिए इंडोनेशिया में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है, जिससे ऑस्ट्रेलिया बेचैन है. पिछले सिर्फ एक साल में निकल की कीमत 40 फीसदी से ज्यादा गिर चुकी है.

ऑस्ट्रेलिया और चीन के संबंधों में गिरावट का भारत को बड़ा फायदा हुआ था. चीन के विकल्प के रूप में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को तवज्जो दी और उसके साथ बड़े समझौते किए. पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के प्रधानमंत्री और कई बड़े नेताओं ने एक दूसरे का दौरा किया और कई व्यापार संधियां कीं. दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर भी बातचीत चल रही है.

चीन और ऑस्ट्रेलिया के संबंध सुधरने से भारत पर असर को लेकर विशेषज्ञ ज्यादा चिंतित नहीं हैं क्योंकि उनका मानना है कि ऑस्ट्रेलिया हमेशा चीन का विकल्प तैयार रखना चाहेगा.

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)

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