अंतरिक्षीय कचरे को लेकर नए नियमों की जरूरत पर बहस
८ अगस्त २०२२ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा से करीब 180 किलोमीटर दूर स्थित एक भेड़ फार्म के मालिक मिक माइनर्स की बेटियों ने इतना बड़ा धमाका पहले कभी नहीं सुना था. 9 जुलाई को उनके घर के पास जोर का धमाका हुआ जैसे आसमान से कुछ विशाल गिरा हो. वही हुआ भी था. निक माइनर्स बताते हैं कि उनके खेत में करीब तीन मीटर ऊंचा लोहे का विशाल टुकड़ा गड़ा हुआ था.
ऑस्ट्रेलियाई न्यूज चैनल एबीसी को माइनर्स ने बताया, "मैंने धमाका तो नहीं सुना लेकिन मेरी बेटियां बताती हैं कि बहुत जोर का धमाका था. ये तो चिंता की बात है कि आसमान से यूं कोई चीज गिर गई. अगर ये आपके घर पर गिरा होता तो उसका तो कचूमर निकल जाता.”
ऑस्ट्रेलियाई विशेषज्ञों का कहना है कि यह अंतरिक्ष से गिरा कचरा है जो किसी सैटलाइट का टुकड़ा है. पिछले एक महीने में ही ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स राज्य के इस इलाके में तीन ऐसे विशाल टुकड़े गिरे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि ये टुकड़े स्पेस एक्स के ड्रैगन यान के हैं जो नवंबर 2020 में अंतरिक्ष में भेजा गया था. यह यान जुलाई में पृथ्वी के वायुमंडल में लौट रहा था.
ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ साइंस में खगोलविद ब्रैड टकर ने एक मीडिया इंटरव्यू में बताया कि ये टुकड़े संभवतया उसी यान के हैं. टकर ने बताया कि 1979 नासा के स्काईलैब के वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया में गिरने के बाद से यह शायद अंतरिक्ष से गिरा कचरे का सबसे बड़ा टुकड़ा है.
स्पेस एक्स जांच करेगी
इस बारे में ऑस्ट्रेलिया ने अरबपति अमेरिकी उद्योगपति लास इलॉन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स से संपर्क किया है. कंपनी का कहना है कि वह जांच के लिए एक टीम ऑस्ट्रेलिया भेज रही है. पिछले हफ्ते नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर में मीडिया से बातचीत के दौरान कंपनी के अधिकारी बेंजामिन रीड ने कहा, "हमें ड्रैगन के टुकड़ों के ऑस्ट्रेलिया में गिरने की खबरें मिली हैं. हमारी एक टीम है जो उसकी जांच करेगी. महत्वपूर्ण बात है कि किसी को चोट नहीं लगी. उससे भी महत्वपूर्ण बात है कि यह सब उस विश्लेषण के दायरे के भीतर हुआ है जिसका अनुमान है कि क्या हो सकता है.”
कई वैज्ञानिकों ने इस घटना पर चिंता जताई है और इस बारे में नए नियमों की जरूरत बताई है. अंतरिक्ष में यान भेजने से पहले कंपनियों को अमेरिकी सरकार से इजाजत लेनी होती है. साथ ही अंतरिक्ष में मौजूद या संभावित कचरे के बारे में रिपोर्ट भी दाखिल करनी होती है.
अपने बयान में रीड ने कहा था कि उनकी कंपनी स्पेस एक्स नासा और अन्य एजेंसियों के साथ इस बारे में काम करती है. रीड ने कहा, "हम नासा व एफएए के अलावा अंदरूनी तौर पर भी एक प्रक्रिया का पालन करते हैं. हमारे मॉडल हैं जो इन घटनाओं का अनुमान लगाते हैं और योजना बनाते हैं.”
नए नियमों की जरूरत
अंतरिक्ष में बढ़ते कचरे को लेकर विज्ञान और तकनीक जगत में चिंताएं लगातार बढ़ रही हैं. शुक्रवार को अमेरिकी सरकार की एक एजेंसी ने कहा कि अंतरिक्ष में कचरे की सफाई के नियमों में बदलाव की जरूरत है. फेडरल कम्यूनिकेशंस कमीशन (एफसीसी) की अध्यक्ष जेसिका रोजेनवॉरसेन ने कहा मौजूदा नियम बीते युग की बात हो गए हैं. उन्होंने कहा, "हम मानते हैं कि नए अंतरिक्ष युग को नए नियमों की जरूरत है. एफसीसी को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हमारे नियम कक्षा में और उससे ऊपर की ऊंचाई पर उपग्रहों के लिए तैयार हों.”
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इसके अलावा एफसीसी पृथ्वी की कक्षा में मौजूद कचरे की सफाई के नए तरीकों की खोज को लेकर भी नए सिरे से विचार करेगा. रोजेनवोरसेल ने कहा कि आखिरकार अंतरिक्ष में हजारों मीट्रिक टन मलबा जमा हो गया है और एफसीसी इस बारे में विचार करेगा कि कक्षा के मलबे के वातावरण में सुधार कैसे किया जा सकता है.
एफसीसी के कमीशनर जैफ्री स्टार्क्स ने बताया कि उनकी संस्था एकमात्र एजेंसी है अमेरिका से संबंधित हरेक अंतरिक्ष मिशन के लिए इजाजत देती है और इस शक्ति के साथ जिम्मेदारी भी बड़ी हो जाती है. उन्होंने बताया कि अंतरिक्षीय कचरे की सफाई के लिए जो नई तकनीकें सामने आ रही हैं उनके बारे में जानने की जरूरत है.
स्टार्क्स के मुताबिक यह एक नया क्षेत्र है जो एक नया उद्योग बनाने, नई नौकरियां पैदा करने, जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम करने और अमेरिका की आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को आगे बढ़ाने की दिशा में नए रास्ते खोल सकता है.
बढ़ता जा रहा है अंतरिक्ष का मलबा
अमेरिकी सरकार अंतरिक्ष में तैर रहे मलबे पर नजर रखती है. नासा के मुताबिक सॉफ्टबॉल के आकार से बड़े करीब 23 हजार टुकड़े धरती का चक्कर काट रहे हैं. एक सेंटीमीटर से बड़े लगभग पांच लाख टुकड़े हैं जबकि दस करोड़ टुकड़े ऐसे हैं जिनका आकार एक मिलीमीटर या उससे बड़ा है.
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इनमें से वे टुकड़े ज्यादा खतरनाक हैं जो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के आसपास हैं. आईएसएस एक दिन में पृथ्वी से 15-16 चक्कर लगाता है. यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) का अंदाजा है पृथ्वी की कक्षा में मौजूद मलबे का वजन 9,600 टन से ज्यादा होगा.
पृथ्वी की कक्षा में यह मलबा धरती के चारों ओर बहुत तेज रफ्तार से चक्कर काट रहा होता है. खासकर निचली कक्षा में 25,265 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार चक्कर काट रहे ये टुकडे अन्य उपग्रहों से टकराकर भारी नुकसान कर सकते हैं.
साउथैम्पटन यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोनॉटिक्स रिसर्च ग्रुप के अध्यक्ष प्रोफेसर ह्यू लुइस कहते हैं, "कक्षा में स्थापित किया गया हर उपग्रह अंतरिक्षीय मलबा बन सकता है.” यानी, जिस तादाद में नए उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे जा रहे हैं, उससे तय है कि मलबा और बढ़ेगा. ईलॉन मस्क की कंपनी स्टारलिंक और वनवेब सैटलाइट जैसी कंपनियां बड़ी संख्या में उपग्रह स्थापित कर रही हैं.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मुताबिक जो कचरा धरती से 600 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर होगा वह कुछ सालों में धरती पर गिर जाता है. लेकिन जो टुकड़े एक हजार किलोमीटर या उससे अधिक ऊंचाई पर हैं वे कई सदियों तक आसमान में ही चक्कर काटते रहते हैं.
रिपोर्ट: विवेक कुमार (रॉयटर्स)