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जर्मन उद्योग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

२९ सितम्बर २०२१

जर्मनी को औद्योगिक क्षेत्र का पावरहाउस माना जाता है. किसी भी नई सरकार के लिए उद्योग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मुद्दे पर ध्यान देना जरूरी होगा. औद्योगिक महाशक्ति के रूप में जर्मनी की ख्याति दांव पर लगी है.

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तस्वीर: Guido Kirchner/dpa/picture alliance

जर्मनी काफी लंबे समय से विज्ञान व प्रौद्योगिकी में अग्रणी रहा है. अब आने वाले समय में उसे औद्योगिक विकास के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के विकास पर ध्यान देना होगा. एआई तकनीक दुनिया के आर्थिक तथा औद्योगिक भविष्य की प्रमुख तकनीकों में से एक बनती जा रही है. देश को भविष्य में एआई के अनुरूप तैयार करने बहुत सारी बाधाओं को दूर करना होगा.

वर्ष 2018 से ही संघीय सरकार के पास घरों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग बढ़ाने की एक योजना है. यूरोपीय स्तर पर भी इसके लिए प्रयास हो रहे हैं. मोबिलिटी, स्वास्थ्य सेवा, उद्योग, पर्यावरण संतुलन और कोरोना वायरस महामारी जर्मन सरकार द्वारा बीते दिसंबर में प्रकाशित सूची के अनुसार प्रमुख कार्य क्षेत्र थे. सरकार देश में इन क्षेत्रों में एआई को शामिल करने की व्यापक संभावनाएं देखती है लेकिन उसने कई सारे अवरोधों की भी पहचान की है.

प्रतिभा के लिए प्रतियोगिता

जर्मनी ने काफी लंबे समय से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विषय पर शैक्षणिक शोध पर खासा योगदान दिया है. परंतु ऐसे शक्तियुक्त और गतिशील क्षेत्र में देश को विश्व स्तर पर अलग दिखने के लिए और अधिक करने की जरूरत है. सरकार और इस क्षेत्र के विशेषज्ञ भी इससे सहमत हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस क्षेत्र में योग्य लोगों को आकर्षित करने के लिए जर्मनी को तकनीक व शोध की स्थिति में सुधार लाने की आवश्यकता है.

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साल 2019 में एआई क्षेत्र में नौकरी की 50 प्रतिशत रिक्तियों को या तो भरा नहीं जा सका या फिर कम योग्य लोगों से भर दिया गया. जर्मनी पहले से ही कुशल श्रमिकों की कमी से जूझ रहा है. इस स्थिति में एआई के क्षेत्र में विशेषज्ञों का मिलना मुश्किल होगा.
डीडब्ल्यू से फोन पर बातचीत में जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (डीएफकेआइ) के सीईओ तथा निदेशक डॉ अंटोनियो क्रुइगर कहते हैं, "शिक्षा व उद्योग, दोनों के लिए प्रतिभा का होना बहुत महत्वपूर्ण है. और ऐसे योग्य लोगों को उचित माहौल देना जो उनके लिए आकर्षक हो, जरूरी है."

एसएमई का उन्नयन

सरकार जर्मनी की सभी महत्वपूर्ण लघु तथा मध्यम इकाइयों (एसएमई) में एआई तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देना चाहती है. फेडरेशन ऑफ जर्मन इंडस्ट्रीज (बीडीआई) के अनुसार तथाकथित मझौले उद्यम जो जर्मन कंपनियों के टर्नओवर का एक तिहाई उत्पादन करती हैं, उनमें सरकारी प्रयासों के बावजूद एआई का उपयोग काफी धीमा रहा है. आर्थिक मामलों के मंत्रालय द्वारा हाल में किए गए अध्ययन से पता चलता है कि सर्वे में शामिल महज छह फीसद कंपनियों ने ही एआई तकनीक का इस्तेमाल किया है.

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क्रुइगर कहते हैं, "मेरा मानना है कि एआई में हुए विकास का इन छोटी कंपनियों द्वारा इस्तेमाल करना निर्णायक होगा." वे कहते हैं, "इसका तात्पर्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए कंप्यूटर और यूजर के बीच बेहतर तालमेल, अच्छे टूल्स तथा क्लाउड आधारित बुनियादी ढांचा का होना है. जो इन लघु तथा मध्यम आकार की इकाइयों को अपने उत्पादों में एआई के उपयोग के लिए सक्षम बनाए और एआई तकनीक आधारित डिजिटल सेवा के सहारे उनके उत्पाद को संवर्धित करे."
इस तरह के विकास से जर्मनी डिजिटलाइजेशन के ऐसे क्षेत्र में काफी उन्नति कर सकेगा, जिसमें वह चीन व अमेरिका जैसे देश से काफी पिछड़ गया है.

लोगों तथा डेटा की सुरक्षा

जर्मनी कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में भी एआई को इस्तेमाल करना चाहता है. कोरोना वायरस प्रोत्साहन पैकेज के एक भाग के रूप में संघीय सरकार ने 2025 तक एआई पर खर्च की जाने वाली राशि को तीन अरब यूरो से बढ़ाकर पांच अरब डॉलर करने का वादा किया है. इसकी अधिकांश राशि का उपयोग जर्मनी में सुपर कम्प्यूटिंग टेक्नोलॉजी को विकसित करने में किया जाएगा.

तस्वीरेंः कोरोना संकट और मशीन का साथ

सरकारी रणनीतिकारों का मानना है कि एआई महामारी प्रबंधन में सहायक हो सकता है. उदाहरण के तौर पर यह महामारी के पूर्वानुमान, मॉनीटरिंग, प्रभावकारी उपायों की खोज तथा प्रबंधन, अनुसंधान और यहां तक कि टीका विकसित करने में भी मददगार हो सकता है.
इन उद्देश्यों से जर्मनी में मेडिकल डेटा का समन्वय करना विशेष तौर पर कठिन होगा हालांकि, व्यक्तिगत डेटा यहां काफी हद तक विकेंद्रीकृत तथा संरक्षित है. क्रुइगर कहते हैं, "मेरे विचार से यह एक बड़ी बाधा है. इसकी पहचान हो गई है. यह कुछ ऐसा है जिसे हम जर्मनी में जानते हैं और इसे धीरे-धीरे हमने बदलना शुरू किया है. लेकिन, इसमें काफी समय लग रहा है." वह कम नियंत्रण के लिए नहीं बल्कि इसके बदले सिस्टम के व्यापक एकीकरण की बात कहते हैं.

रोशनी का माया जाल

एआई सीखने और अधिक प्रभावी बनने के लिए बड़ी मात्रा में डेटा पर निर्भर करता है. एआई तकनीक का उपयोग कब और कहां करना है और इसके लिए कितने डेटा की आवश्यकता है, यह पता लगाना भी एक पहेली होगी.
अपनी ओर से संघीय सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि एआई के क्षेत्र में सभी स्टेकहोल्डर (हितधारक) मानवाधिकारों का सम्मान करने के लिए अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी का सम्मान करें. एआई तकनीक को भी ऊर्जावान, संसाधन संपन्न तथा पर्यावरण संरक्षण में योगदान करने वाला होना चाहिए.

एआई के भविष्य पर वोटिंग

संघीय संसद के लिए हुए चुनावों के बाद नई सरकार बनाने की कवायद चल रही है. सरकार कोई भी बने उद्योग में एकआई के इस्तेमाल को बढ़ावा देना उनकी प्राथमिकता में ऊपर होगा. जर्मनी के पांच प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने घोषणापत्र में इस मुद्दे को उठाया है. जबकि जर्मनी की राइट ऑफ सेंटर पार्टियां आर्थिक महाशक्ति तथा उद्योग जगत के नेतृत्वकर्ता के रूप में जर्मनी की स्थिति को बरकार रखने में एआई के महत्व पर जोर दे रहीं हैं, वहीं लेफ्ट ऑफ सेंटर पार्टियां इसके खतरों पर ध्यान दे रहीं हैं. उनका मानना है कि लापरवाही से इस्तेमाल के कारण भेदभाव पूर्ण तरीके से डेटा के उन सुरक्षा मानकों का उल्लंघन हो सकता है, जो जर्मन समाज को काफी प्रिय हैं.

सभी पार्टियां एआई के महत्व को स्वीकार करती हैं यद्यपि उनकी प्राथमिकताएं अलग हैं. सोशल डेमोक्रेट्स का सार्वजनिक क्षेत्र के सामान का प्रावधान, ग्रीन पार्टी के लिए पारिस्थितिकी और जलवायु की निगरानी व पूर्वानुमान में इसका इस्तेमाल तथा क्रिश्चियन-डेमोक्रेट्स एवं लिबरल पार्टी का औद्योगिक प्रतिस्पर्धा पर जोर है.

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