भारत के वो इलाके जहां प्यास का मतलब धीमी मौत है
122 देशों के वर्ल्ड वॉटर क्वालिटी इंडेक्स में भारत बहुत ही नीचे 120वें नंबर पर है. एक नजर भारत के उन इलाकों पर जहां पानी में आर्सेनिक नाम की मौत घुली रहती है.
कहां से हुई शुरुआत
डायरिया और हैजे जैसी बीमारियों की रोकथाम और सिंचाई के लिए 1970 के दशक से भारत में जोर शोर से बोरवेल खोदे गए और बाद में खूब हैंडपंप गाड़े गए. लेकिन कई जगहों पर इनसे आर्सेनिक भरा विषैला पानी बाहर निकला और इसी ने हजारों लोगों को अकाल मौत दी.
आर्सेनिक का खतरनाक स्तर
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) के मुताबिक एक लीटर पेयजल में आर्सेनिक की मात्रा 0.01 मिलीग्राम से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. पेयजल में आर्सेनिक की ज्यादा मात्रा स्किन कैंसर के अलावा फेफड़े, लीवर और बच्चेदानी की गंभीर बीमारी पैदा करती है.
कितना बड़ा है संकट
भारत के 20 राज्यों के कई जिलों में भूजल में आर्सेनिक की मात्रा 0.01 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा है. इनमें उत्तराखंड को छोड़कर गंगा-यमुना के किनारे बसे सभी राज्य शामिल हैं. राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक, झारखंड, आंध्र प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ के कई जिलों में भी आर्सेनिक का लेवल 0.01 से ज्यादा है.
पश्चिम बंगाल
1980 के दशक में पहली बार पश्चिम बंगाल में भूजल में आर्सेनिक के खतरनाक स्तर का पता चला. हुगली, मालदा, मुर्शीदाबाद, नादिया, 24 परगना उत्तर और 24 परगना दक्षिण जिले में तो आज भी आर्सेनिक की मात्रा 0.05 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा है.
उत्तर प्रदेश
यूपी के बहराइच, देवरिया, लखीमपुर, आज़मगढ़ और बलिया जिले में भी भूजल में आर्सेनिक की मात्रा खतरनाक स्तर की है. इन जिलों में कई गांव कैंसर पीड़ितों से भरे हुए हैं.
पंजाब
अमृतसर, रोपड़ और तरण तारण जिले के भूजल में आर्सेनिक 0.05 मिलीग्राम प्रतिलीटर से ज्यादा है. आर्सेनिक वाले पानी से सिंचाई करने पर यह भोजन में भी घुल जाता है.
मणिपुर
पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर राज्य में बिष्णुपुर और थोबाल जिले में भूजल आर्सेनिक के कारण अत्यधिक दूषित पाया गया. इसका जिक्र भी भारत के केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट में है.
हरियाणा
कृषि प्रधान राज्यों में शुमार हरियाणा के अंबाला और झज्जर जिले में भी भूजल आर्सेनिक से दूषित है. जमीन से पानी निकालने के लिए लगातार और गहराई तक ड्रिल करने से भी आर्सेनिक पानी में घुल जाता है.
बिहार
बिहार के पटना, गोंडा, कटिहार, सारण और वैशाली समेत 11 जिलों में आर्सेनिक वाले भूजल के कारण 90 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं. गोंडा में तो आर्सेनिक की मात्रा बहुत ज्यादा है.
झारखंड
कोयला खनन के लिए विख्यात या कुख्यात धनबाद और साहेबगंज जिले में कई गांव आर्सेनिक वाले पानी के चलते बुरी तरह बीमार हैं.
असम
राज्य के तीन जिलों कछार, जोरहाट और नगांव में भूजल के जो सैंपल लिए गए उनमें भी आर्सेनिक 0.05 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा मिला.
अन्य राज्य
छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव, कर्नाटक के राइचुर में भी केंद्रीय भूजल बोर्ड को जमीन से निकाले गए पानी में बहुत अधिक आर्सेनिक मिला. भारत में हर साल दूषित पानी पीने की वजह से दो लाख लोग मारे जाते हैं.
इकोफ्रंटलाइंस प्रोजेक्ट
यह रिपोर्ट डीडब्ल्यू के इकोफ्रंटलाइंस प्रोजेक्ट का हिस्सा है. इकोफ्रंटलाइंस जर्मनी के विदेश मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित प्रोजेक्ट है.