नैतिकता के मुखर पहरेदार थे आर्चबिशप डेसमंड टूटू
दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद विरोधी आइकॉन डेसमंड टूटू का 90 साल की उम्र में निधन हो गया है. दुनिया भर में उन्हें मानवाधिकारों और बराबरी के लिए लड़ने वाले सामाजिक नेता के रूप में याद किया जा रहा है.
साधारण पृष्ठभूमि, असाधारण व्यक्तित्व
टूटू का जन्म सात अक्टूबर 1931 को जोहानसबर्ग के पास हुआ था. उनकी माता एक घरेलू सहायिका थीं और उनके पिता एक स्कूल टीचर थे. उन्होंने खुद भी टीचर बनने की शिक्षा ली थी लेकिन अश्वेत बच्चों के लिए बनाई गई निम्न शिक्षा प्रणाली पर आक्रोश ने उन्हें पादरी बनने के लिए प्रेरित किया.
मानवाधिकारों का एक मुखर सिपाही
टूटू को 30 साल की उम्र में पादरी बना दिया गया. 1986 में 55 साल की उम्र में आर्चबिशप बनने के बाद उन्होंने अपने पद का इस्तेमाल दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध की वकालत करने के लिए किया. बाद में वो पूरी दुनिया में अधिकारों के लिए संघर्षों में जुड़ गए.
नोबेल पुरस्कार
टूटू को 1984 में रंगभेद के खिलाफ उनकी लड़ाई की वजह से नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 1994 में जब नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने तो टूटू ने पहली बार देश के लिए "रेनबो नेशन" नाम का इस्तेमाल किया.
सत्य और समन्वय की तलाश
1996 में टूटू आर्चबिशप के पद से सेवानिवृत्त हो गए और फिर अपार्थाइड की विभीषिका को उजागर करने वाले ट्रूथ ऐंड रेकंसिएलेशन आयोग का नेतृत्व किया.
गलत को गलत कहने की हिम्मत
जब मंत्रियों को काफी ज्यादा वेतन देने के लिए मंडेला की अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस पार्टी विवादों में आई तो टूटू ने मंडेला की आलोचना भी की. बाद में पूर्व राष्ट्रपति जेकब जूमा के कार्यकाल में पनपते भ्रष्टाचार की भी कड़ी आलोचना की.
कैंसर से संघर्ष
टूटू 1997 में प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित पाए गए और फिर उनका लंबा उपचार शुरू हुआ. इसके बाद उन्होंने सार्वजनिक आयोजनों में जाना भी कम कर दिया. उन्होंने इच्छा मृत्यु के आंदोलन को भी अपना समर्थन दिया.
एक पीढ़ी चली गई
टूटू के निधन पर दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने कहा कि यह "हमें एक विमुक्त देश देने वाले असाधारण नेताओं की विदाई का एक और अध्याय है." नवंबर 2021 में ही अपार्थाइड काल के आखिरी राष्ट्रपति एफडब्ल्यू डे क्लेर्क का भी निधन हो गया था.
दुनिया ने दी विदाई
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने टूटू को एक "यूनिवर्सल स्पिरिट" और एक "नैतिक दिक्सूचक" बताया. ब्रिटेन की रानी एलिजाबेथ ने कहा कि टूटू के निधन से उन्हें "गहरा दुख" पहुंचा है. पोप फ्रांसिस की तरफ से वैटिकन ने "दिली शोक" प्रकट किया. नेल्सन मंडेला फाउंडेशन ने कहा कि टूटू "एक असाधारण मानव, एक विचारक, एक नेता और एक धर्मगुरु थे." (एएफपी, रॉयटर्स)