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नोटबंदी से चमका "छोटू" का कारोबार

२९ नवम्बर २०१६

भारत में नोटबंदी के बाद जहां बड़ी संख्या में लोग परेशान हैं, वहीं कई लोगों के लिए यह पैसे बनाने का जरिया बन गया है. अगर आप चाहते हैं कि बैंक या एटीएम की लाइन में कोई आपके लिए लग जाए, तो यह मुमकिन है.

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Indien Ansturm auf Bank Umtausch von Rupien Scheinen
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. Kakade

नोटबंदी के बाद लोगों को बैंक से पुराने नोट बदलने या फिर एटीएम से कैश हासिल करने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. इसके लिए लंबी लंबी लाइनें लगी हैं. दिल्ली में एक ऐप ऐसे लोगों को सर्विस दे रहा है. इसका नाम है बुकमाईछोटू, जिसके जरिए कुछ पैसे देखकर आप एक व्यक्ति की मदद ले सकते हैं. यह व्यक्ति आपकी जगह लाइन में इंतजार करेगा और जब आपकी बारी आएगी, तो आपको बुला लेगा.

फेसबुक पर कंपनी का विज्ञापन कहता है, "क्या आपका भी कैश खत्म हो गया है? क्या आपको किसी हेल्पर की जरूरत है जो आपके लिए लाइन में लग जाए और बारी आने पर आपको बुला ले??" इसके मुताबिक, "हमारे लड़के बैंक के अंदर नहीं जाएंगे. वो सिर्फ हमारे ग्राहक के लिए लाइन में लगेंगे. हम समझते हैं कि कोई इमरजेंसी हो सकती है. ऐसे में, हमारे हेल्पर आपका कीमती समय बचा सकते हैं."

ये हैं दुनिया के सबसे बड़े नोट

दिल्ली और उसके आसपास के शहरों में एक "छोटू" के लिए आपको एक घंटे के 90 रुपये देने होंगे. आठ घंटे के लिए आप ये सेवा 550 रुपये देकर हासिल कर सकते हैं. 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने के फैसले की घोषणा के साथ सरकार ने लोगों को 30 दिसंबर तक अपने पुराने नोट बदलने या उन्हें बैंक में जमा करने का समय दिया है. सरकार ने भ्रष्टाचार और काला धन पर रोक लगाने के इरादे से नोटबंदी का फैसला किया है. हालांकि लोगों को हो रही परेशानियों को देखते हुए विपक्ष ने इसे "आर्थिक इमरजेंसी" का नाम दिया है.

वैसे बुकमाईछोटू की शुरुआत उन लोगों की मदद के लिए की गई थी, जिन्हें अस्थायी हेल्परों की जरूरत होती है. लेकिन इसके सीईओ सतजीत सिंह बेदी का कहना है कि जब उन्होंने बैंकों में लाइन लगाने के लिए अपनी सेवा देनी शुरू की, तो उन्हें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली. हिंदुस्तान टाइम्स अखबार के साथ बातचीत में बेदी ने कहा, "इसकी शुरुआत तब हुई, जब मुझे कैश की बहुत जरूरत थी और मेरी मां बीमारी थी. मैंने अपनी जगह अपने साथियों से लाइन में खड़े होने कहा और जब मेरी बारी आई तो मैं वहां चला गया."

देखिए ऐसे बनते हैं करारे करारे नोट

लेकिन कई लोग सोशल मीडिया पर उनकी आलोचना भी कर रहे हैं. खास कर "छोटू" शब्द के इस्तेमाल को लेकर. उनका कहना है कि छोटू शब्द से बाल मजदूर का अहसास होता है. महेंद्र ने ट्वीट किया, "क्या बुकमाईछोटू को कोई और नाम नहीं मिल सकता था? ऐसा लगता है कि जैसे बाल श्रम को बढ़ावा दिया जा रहा है." वहीं मुस्कान ने ट्वीट किया, "हेल्पर की सेवा लेने के लिए बुकमाईछोटू सर्विस सुनने में बहुत खराब लगती है."

हालांकि कंपनी को अपनी इस आलोचना का ख्याल है. उसने अपनी वेबसाइट पर डिसक्लेमर में लिखा है, "छोटू सिर्फ एक नाम है और सिर्फ ब्रैंडिंग के मकसद से इसका इस्तेमाल किया गया है. हम किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते." कंपनी ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा है, "सभी हेल्पर पूरी तरह ट्रेंड हैं और उनकी उम्र 18 साल से ज्यादा है."

एके/वीके (एएफपी)